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दीपावली आने वाली है और घरों में कलरिंग का काम शुरू हो गया है या फिर होने वाला है. हर साल सभी अपने घर को बेहतर से बेहतर कलर देने का प्रयास करते हैं. नये रंगों के साथ ही नई-नई खासियत लेकर आने वाले रंगों के ऑप्शन पर भी लोग विचार करते हैं. एक रिसर्च धूप के असर को कम कर कुछ हद तक गर्मी से निजात दिलाने वाले रंग को तैयार करने पर भी की गई है. 

गर्मी से बचने सफेद रंग का प्रयोग 

जिन देशों में धूप तेज़ रहने से वहां का तापमान बढ़ा रहता है, उन देशों में घरों को सफेद रंग से पोता जाता है. जिससे कि धूप टकराकर लौट जाए. धूप से बचने की इस रणनीति को आगे बढ़ाते हुए एक नई शीतलन सामग्री तैयार की जा रही है. इसे किसी भी सतह पर पोता कर तापमान लगभग 6 डिग्री सेल्सियस तक कम किया जा सकता है.

दृश्य प्रकाश को परावर्तित करता है सफेद रंग 

धूप में अवरक्त (आईआर) और पराबैंगनी (यूवी) किरणें गर्मी का मुख्य कारण होती हैं. सफेद रंग 80 प्रतिशत तक दृश्य प्रकाश को परावर्तित कर देता है, लेकिन आईआर और यूवी को परावर्तित नहीं कर पाता. रिसर्च में तैयार नई सामग्री में आईआर और यूवी को परावर्तित करने की क्षमता विकसित की गई है. 

रिसर्च में तैयार सामग्री में बहुलक और अन्य पदार्थों की रासायनिक संरचना के कारण अतिरिक्त गर्मी ऐसी तरंग लंबाइयों पर विकिरित होती है. जिन्हें वायुमंडल नहीं रोकता और हवा गर्म नहीं होती. इससे गर्मी को कम करने में मदद मिलती है.

पहले भी हुई हैं रिसर्च (Research done before)

तापमान कम करने वाले कलर बनाने की रिसर्च पहले भी की जा चुकी हैं. पहले की गई रिसर्च में सिलिकॉन डाईऑक्साइड और हाफनियम डाईऑक्साइड की परावर्तक सतह तैयार कर तापमान में 5 डिग्री सेल्सियस तक की कमी प्राप्त की गई है.

ये ऑप्शन भी किए गए थे तैयार 

ऐसे ही एक शोध में एयर कंडीशनिंग में पानी को ठंडा करने के लिए एक बहुलक और चांदी की मिली-जुली फिल्म के उपयोग से एयर कंडीशनिंग लागत में 21 प्रतिशत बचत की गई. वहीं कांच के महीन मोती जड़ी एक प्लास्टिक फिल्म सतह को 10 डिग्री सेल्सियस तक ठंडा करने में सक्षम थी. ऑस्ट्रेलिया में, एक ऐसा पॉलिमर तैयार किया गया जो छत को 3-6 डिग्री सेल्सियस ठंडा रख सकता था.

वायु रिक्तिकाएं भी करती हैं प्रकाश को परावर्तित

कोलंबिया यूनिवर्सिटी के भौतिकविद युआन यांग और नैनफांग यू के नेतृत्व में शोधकर्ताओं ने प्लास्टिक में वायु रिक्तिकाएं जोड़कर अत्यधिक परावर्तक सामग्री बनाने पर प्रयोग किया. एक बहुलक पर काम करते हुए उन्होंने पाया कि कुछ स्थितियों में यह सामग्री सूखने के बाद सफेद हो जाती है.

सूखने के बाद सफेद सामग्री को सूक्ष्मदर्शी से देखने पर पाया गया कि सूखी फिल्म में एक दूसरे से जुड़ी वायु रिक्तिकाएं बन गई हैं. जो कि प्रकाश को अधिक प्रभावशाली ढंग से परावर्तित कर सकती हैं. इसके बाद शोधकर्ताओं ने अन्य बहुलक की मदद से इसको और बेहतर बनाने का प्रयास किए.

पीवीडीएफ-एचएफपी किया तैयार 

शोधकर्ताओं ने अपनी रिसर्च को बेहतर बनाने के लिए कार्य किया. जिसके परिणाम स्वरूप पीवीडीएफ-एचएफपी नामक एक बहुलक को एसीटोन में घोल के रूप में तैयार किया. घोल को जब सतह पर पोता गया तो एसीटोन वाष्पित हो गया और बहुलक में पानी की बूंदों का एक जाल बन गया.

समय पानी भी वाष्पित हो गया, जिससे वायु-छिद्रों से भरी एक फिल्म तैयार हो गई. यह फिल्म 99.6 प्रतिशत प्रकाश को परावर्तित कर सकती है. साइंस में ऑनलाइन प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार दोपहर के समय में इस फिल्म से पुती सतह 6 डिग्री सेल्सियस तक ठंडी बनी रही.

यह नई सामग्री कुछ मौसमों में ठंडा करने की लागत को 15 प्रतिशत तक कम कर सकती है. लेकिन यह पेंट आजकल उपयोग होने वाले एक्रिलिक पेंट की तुलना में पांच गुना अधिक महंगा है. तो सवाल यह है कि क्या यह व्यावसायिक तौर पर उपयोगी होगा या अभी पारंपरिक तरीके ही काम आएंगे. (स्रोत फीचर्स)

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