भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है ‘जातस्य हि ध्रुवो मृत्युर्ध्रुवं जन्म मृतस्य च’ यानी जो जीव जन्म लेता है उसकी मृत्यु निश्चित है. श्रीकृष्ण द्वारा गीता में अर्जुन को दिया गया ये उपदेश केवल कोरी बातें ही नहीं हैैं, बल्कि यह उन पर भी उसी तरह लागू हुआ जिस तरह से एक साधारण मनुष्य पर होता है. जैसे एक सामान्य मनुष्य जन्म लेता है और उसकी मृत्यु होती है, वैसे ही भगवान कृष्ण के अवतार में आए विष्णु ने भी जन्म के साथ मृत्यु को चुना. कृष्ण की मृत्यु वैसे ही हुई जैसे किसी सामान्य मनुष्य की होती है.
कैसे और कब हुई श्रीकृष्ण की मृत्यु
मथुरा में जन्में श्रीकृष्ण का बचपन गोकुल, वृंदावन, नंदगाव, बरसाना में बीता. कृष्ण महाभारत के युद्ध के समय तकरीबन 56 साल के थे. विद्वानों के मुताबिक कृष्ण की मृत्यु हुई तब उनकी उम्र 92 साल थी.
विष्णु पुराण के अनुसार श्रीकृष्ण ने मथुरा में मामा कंस को मारने के बाद द्वारिका आ गए. वहीं उन्होंने पांच पांडवों का साथ दिया और महाभारत के युद्ध में भाग लिया. महाभारत युद्ध के बाद कृष्ण ने 36 वर्ष तक द्वारिका में एक राजा की तरह रहे.
कृष्ण को लगा गांधारी का श्राप
‘ततस्ते यादवास्सर्वे रथानारुह्य शीघ्रगान, प्रभासं प्रययुस्सार्ध कृष्णरामादिमिर्द्विज।
प्रभास समनुप्राप्ता कुकुरांधक वृष्णय: चक्रुस्तव महापानं वसुदेवेन नोदिता:, पिवतां तत्र चैतेषां संघर्षेण परस्परम्, अतिवादेन्धनोजज्ञे कलहाग्नि: क्षयावह:’। विष्णु पुराण
विष्णु पुराण के अनुसार महाभारत में कौरव वंश का नाश हुआ और उसके बाद अपने 100 बच्चों की मृत्यु से आहत गांधारी ने श्रीकृष्ण को श्राप दिया कि जैसे मेरे 100 पुत्र मरे हैं और मेरे वंश का नाश हुआ है, वैसे ही तुम्हारे वंश का भी नाश होगा और तुम्हारे कुल में सभी एक दूसरे को मारकर मर जाएंगे.
गांधारी का यह श्राप एक तरह से श्रीकृष्ण की लीला का ही हिस्सा था. यही वजह थी कि इस श्राप को भी श्रीकृष्ण की कृपा मिली और गांधारी के श्राप ने असर दिखाते हुए यादव कुल नष्ट हुआ. दुर्वासा ऋषि के श्राप के चलते जहां यदुवंशियों को भी वंश के नाश का श्राप लगा और वे खत्म होते चले गए जबकि बचे केवल श्रीकृष्ण.
ऐसे हुई श्री कृष्ण की मृत्यु
कथा कहती है कि यदुवंशियों के आपस में लड़-झगड़कर मरने के बाद जब लीलाधार कृष्ण वन में एक पीपल के पेड़ के नीचे बैठे थे तभी ‘जरा’ नाम के बहेलिए ने उन्हें हिरण समझा और तीर चलाकर निशाना साध लिया. यह बाण विषयुक्त था जो भगवान के पैर में जाकर लगा और श्रीकृष्ण ने प्राण त्याग दिए.
क्या हुआ कृष्ण की मृत्यु के बाद
कृष्ण की मृत्यु के बाद कृष्ण के प्रपौत्र वज्रनाभ द्वारिका के अंतिम शासक रहे. यही यदुवंश के वे शासक थे जो यदुओं आपसी लड़ाई में बचे. कृष्ण की मृत्यु के बाद और द्वारिका के समुद्र में डूबने पर अर्जुन ने वज्रनाभ और महिलाओं को हस्तिनापुर लेकर आ गए. कृष्ण के प्रपौत्र वज्रनाभ को कही बाद में हस्तिनापुर में मथुरा का राजा घोषित किया गया. आप जिसे आज ब्रजमंडल कहते हैं वह वज्रनाभ के नाम से ही माना जाता है.