जब भारत में रात के 9 बजते हैं तो अमेरिका में सुबह के 11.30 बजते हैं. कभी आपने सोच है कि देशों का समय अलग-अलग कैसे होता है? देशों का समय कैसे तय किया जाता है? एक ही देश में अलग-अलग समय कैसे हो सकते हैं?
एक बात तो हम सभी जानते हैं कि पृथ्वी पर यदि एक जगह पर दिन है तो किसी जगह पर उसी समय रात होगी लेकिन हर जगह का समय अलग-अलग होता है. इस समय को कैसे तय किया जाता है? इस बात के बारे में काफी कम लोग जानते हैं.
पृथ्वी पर दिन रात कैसे होते हैं? (How day and night on earth?)
अलग-अलग देशों में अलग-अलग समय कैसे होता है इसे समझने से पहले हम ये समझते हैं कि पृथ्वी पर दिन रात कैसे होते हैं.
इस ब्रह्मांड में सौरमंडल है जिसमें सूर्य एक बहुत बड़ा तारा है. सूर्य के चारों ओर कई ग्रह चक्कर लगाते हैं जिनमें पृथ्वी एक प्रमुख ग्रह है. पृथ्वी भी सूर्य का चक्कर लगाती है. वहीं दूसरी ओर चंद्रमा एक प्राकृतिक उपग्रह है जो पृथ्वी के चक्कर लगाता है.
पृथ्वी की अपनी खुद की गति भी है. पृथ्वी अपने अक्ष पर स्वयं भी घूमती है. पृथ्वी जब अपने यक्ष पर घूमती है तो उसका आधा हिस्सा सूर्य के सामने होता है. जो हिस्सा सूर्य के सामने आता है वहाँ पर दिन होता है और जिस हिस्से पर सूर्य की रोशनी नहीं रहती है वहाँ पर रात होती है.
पृथ्वी पर दिन-रात होने का प्रमुख कारण सूर्य की रोशनी और पृथ्वी का स्वयं के अक्ष पर घूमना है. अगर पृथ्वी स्वयं के अक्ष पर न घूमे तो हमेशा आधी पृथ्वी पर दिन रहेगा और आधी पर हमेशा रात रहेगी. इस तरह पृथ्वी पर दिन और रात होते हैं.
समय कैसे तय किया जाता है? (How time decide for country?)
आपने देखा होगा कि हर देश का अपना अलग समय होता है. जैसे भारत का समय अलग है, ब्रिटेन का अलग है और अमेरिका का अलग है. हर देश का अपना टाइम होता है लेकिन इस टाइम का निर्धारण इनकी स्थिति के आधार पर किया जाता है. इसे समझने के लिए पहले हम ग्लोब को अच्छे से समझते हैं.
आपने यदि ग्लोब को ध्यान से देखा हो तो आपने पाया होगा कि ग्लोब पर कुछ आड़ी-खड़ी लाइन होती है. आमतौर पर लोगों के लिए इसका कोई मतलब नहीं होता लेकिन किसी भी देश का समय इन्हीं लाइन से तय होता है. इन्हें अक्षांश एवं देशान्तर रेखाए कहा जाता है.
अक्षांश रेखा क्या है? (What is Latitude?)
ग्लोब पर जो आपको आड़ी रेखाएं दिखती हैं उन्हें अक्षांश रेखा कहा जाता है. इन्हें इंग्लिश में Latitude कहा जाता है. ये काल्पनिक रेखाएं होती हैं जो पृथ्वी के मध्य से शुरू होती हैं. ये रेखाएं एक काल्पनिक वृत बनाती है.
ये पृथ्वी के केंद्र से 0 डिग्री का कोण बनाते हुए शुरू होती है. 0 डिग्री रेखा को भूमध्य रेखा या विषुवत रेखा कहा जाता है. ग्लोब में इसके समांतर अन्य अक्षांश रेखाएं होती हैं. पूरे ग्लोब पर 179 अक्षांश रेखाएं होती हैं.
विषुवत रेखा से उत्तर में 23.5 डिग्री अक्षांश को कर्क रेखा तथा दक्षिण में 23.5 डिग्री अक्षांश को मकर रेखा कहा जाता है. 90 डिग्री अक्षांश एक बिन्दु के रूप में ध्रुवों पर होता है. जैसे उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव, जो दुनिया के सबसे ठंडे स्थान हैं.
दो अक्षांशों के बीच की दूरी 111 किमी होती है. मतलब 0 से 1 डिग्री अक्षांश की दूरी 111 किमी होगी. साल भर मकर रेखा और कर्क रेखा के बीच ही सूर्य की किरण पड़ती है.
देशान्तर रेखा क्या है? (What is Longitude?)
ग्लोब पर आपको जो आदि लाइन नजर आती हैं उन्हें देशान्तर रेखा कहा जाता है. ये दक्षिणी ध्रुव से उत्तरी ध्रुव को जोड़ती है. इन रेखाओं की लंबाई हर जगह समान होती है लेकिन इनकी दूरी समान नहीं होती है.
पूरी पृथ्वी पर 360 देशान्तर रेखा बनाई गई हैं. प्रत्येक रेखा समान है इसलिए एक रेखा को 0 डिग्री देशान्तर माना गया. ये रेखा ब्रिटेन के ग्रीन विच से होकर गुजरती है. इससे पूर्व में देशान्तर रेखाओं को पूर्वी देशान्तर कहा जाता है और पश्चिम में स्थित रेखाओं को पश्चिमी देशान्तर कहा जाता है.
देशों का समय कैसे तय होता है? (How do countries’ time decide?)
हर देश का समय देशान्तर रेखा के जरिए तय होता है. असल में मानचित्र में किसी देश की स्थिति अक्षांश और देशान्तर के आधार पर बताई जाती है. देशान्तर रेखा के आधार पर उस देश का समय तय किया जाता है.
इसके लिए 0 डिग्री देशान्तर का उपयोग किया जाता है. मतलब समय की शुरुआत होगी ब्रिटेन के ग्रीनविच से. इसके पूर्व में जो स्थान आएगा उसका समय ब्रिटेन के समय से आगे होगा और जो देश पश्चिम में आएगा उसका समय ब्रिटेन के समय से पीछे होगा.
समय को तय करने के लिए देशान्तर का सहारा तो लिया जाता है लेकिन प्रत्येक डिग्री देशान्तर पर 4 मिनट समय को बढ़ाया जाता है. मतलब एक घंटे आगे के समय के लिए मानचित्र पर 15 डिग्री आगे जाना होगा.
समय को समझने के लिए हम भारत का उदाहरण लेते हैं. भारत शुरू होता है 68.7 पूर्वी देशान्तर से और खत्म होता है 97.25 डिग्री पूर्वी देशांतर पर. ऐसे में भारत में अलग-अलग समय हो सकते हैं. लेकिन पूरे देश में एक समय रहे इसके लिए 82.30 डिग्री पूर्वी देशान्तर को मानक समय रेखा बनाया गया है.
अब मान लीजिए कि ब्रिटेन में दिन के एक बजे हैं तो उसी समय पर भारत का समय 82×4=328 मिनट आगे होगा. मतलब 5 घंटे 30 मिनट आगे होगा. अतः उस समय भारत में 6 बजकर 30 मिनट हो रहे होंगे.
आपने अपने स्मार्टफोन के टाइम को सेट करते वक्त भी देखा होगा कि वहाँ लिखा होता है GMT +5:30 लिखा होता है. इसका मतलब ये है कि आपका समय ग्रीनविच से 5 घंटे 30 मिनट आगे है. इसी तरह से हर देश का समय निर्धारित किया जाता है.
सबसे ज्यादा टाइमजोन वाला देश (Most timezone country)
किसी देश में एक से ज्यादा टाइम जोन हो सकते हैं. मतलब एक ही देश में भी अलग-अलग समय हो सकते हैं. उस देश में कितने टाइम ज़ोन रखना है ये फैसला स्वयं उस देश का हो सकता है लेकिन क्षेत्रफल के आधार पर भी ये निर्णय लिया जा सकता है.
सबसे ज्यादा टाइम जोन वाले देश की बात करें तो वो फ्रांस है. पूरे देश में 12 टाइम ज़ोन है, इसके बाद रूस में 11 टाइम ज़ोन है और अमेरिका में 9 टाइम ज़ोन है. वहीं ब्रिटेन में भी 9 टाइम ज़ोन है.
किसी भी देश का समय उसके देशान्तर के आधार पर तय किया जाता है. यदि आप अपनी जगह का समय जानना चाहते हैं तो आपको वहाँ की देशान्तर स्थिति का पता लगाना होगा. इसके बाद आप वहाँ का सही समय जान सकते हैं.
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