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एंजियोप्लास्टी-बायपास के बाद भी है हार्ट अटैक का खतरा, ये थेरेपी बचाएगी दिल के दौरे से

हार्ट हमारे शरीर का सबसे महत्त्वपूर्ण अंग है. इस अंग की बदौलत पूरे शरीर को ब्लड की सप्लाई होती है. यह अंग लाइफ टाइम काम करता रहता है. जब यह कार्य करना बन्द कर देता है व्यक्ति की मौत हो जाती है. खानपान और जीवन शैली में बदलाव के कारण सबसे ज्यादा नुकसान हार्ट को ही पहुंच रहा है, इसलिए हृदय रोगियों की संख्या में काफी तेजी से वृद्धि हो रही है.

एंजियोप्लास्टी की जरूरत (know about angioplasty and bypass surgery) 

आज एंजियोप्लास्टी और बाई-पास सर्जरी से हार्ट की बीमारियों का उपचार सफलतापूर्वक हो रहा है, लेकिन ये सभी हृदय रोगों के स्थायी उपचार नहीं हैं.

खान-पान व जीवनशैली में अनियमितता के कारण उपचार के बाद भी व्यक्ति हृदय रोग का शिकार हो सकता है. रिसर्च बताती हैं कि खान-पान, रहन-सहन और लाइफ स्टाइल थोड़ी सी सावधानी बरतते हुए नियमित योग और एक्सरसाइज से आसानी से हृदय रोगों से बचा जा सकता है.

हार्ट अटैक का प्राकृतिक उपचार क्या है (Natural therapy for heart blockage)

हार्ट पेशेंट के लिए नैचरल थैरेपी यानी की प्राकृतिक चिकित्सा सबसे ज्यादा लाभदायक विकल्प है. साओल हार्ट प्रोग्राम के प्रबन्ध निदेशक डॉ. विमल छाजेड़ कहते हैं कि हार्ट रोगियों की संख्या में काफी तेजी से वृद्धि हो रही है.

लोगों को रोगों से छुटकारा पाने के लिए महंगे और जोखिमपूर्ण सर्जरी उपचार के लिए समय भी नहीं मिल पाता और रोगी मौत का शिकार हो जाता है. यदि जीवन-शैली, आहार-विहार व खान-पान में सुधार कर लिया जाय तो फिर हृदय संबंधी समस्याएं पैदा ही नहीं होंगी. 

क्या करें हार्ट पेशेंट (how to take care of a heart patient)

यदि हृदय रोगी अपनी जीवन शैली में सुधार कर ले, प्राकृतिक और नैसर्गिक वातावरण में रहे, शाकाहारी आहार ले तो उसे स्थाई रूप से रोगों से मुक्ति मिल जाएगी. कम वसा वाला आहार लेने, सुबह-शाम नियमित रूप से योग, ध्यान और व्यायाम करने से रोगी को बहुत लाभ प्राप्त होता है. दरअसल यह प्राकृतिक चिकित्सा है जिससे आसानी से रोगों से मुक्ति मिल जाती है.

एंजियोप्लास्टी-बाई-पास सर्जरी हार्ट की बीमारियों का परमानेंट इलाज नहीं है. लाइफ स्टाइल बिगड़ी की खतरा मंडराने लगता है. (फोटो : pixabay.com).
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इसलिए होता है हार्ट अटैक का खतरा (causes a sudden heart attack)

जो लोग बैठे-बैठे काम करते हैं और उनका ज्यादा समय एक ही जगह बैठे-बैठे ही बीतता है, ऐसे लोगों के हृदय रोग से ग्रसित होने की संभावना अधिक होती है. डॉक्टर, वकील, क्लर्क, बैंकर आदि की तुलना में किसान, मजदूर, श्रमिक व खिलाड़ी आदि ज्यादा शारीरिक श्रम करने वाले लोग हृदय रोगों से कम ग्रसित होते हैं.

शारीरिक श्रम और नियमित व्यायाम करने से कतराने वाले लोग मोटापे का शिकार हो जाते हैं. उनके शरीर में ब्लड सकुर्लेशन की प्रोसेस प्रक्रिया गड़बड़ा जाती है, उनके फेफड़े कमजोर हो जाते हैं.

ऐसे लोग हृदय रोगों के साथ जोड़ और अस्थियों की विकृति का शिकार भी हो जाते हैं जबकि पर्याप्त शारीरिक श्रम और नियमित व्यायाम करने वाले लोग हृदय और कोरोनरी विकृतियों व विकार का शिकार नहीं होते है. उनके फेफड़े स्वस्थ रहते हैं. हडिड्यां और जोड़ मजबूत रहते हैं. उनकी त्वचा व चेहरा दमकते रहते हैं. 

हार्ट पेशेंट साओल हार्ट प्रोग्राम क्या होता है  (know about saaol heart program)

साओल हार्ट प्रोग्राम के तहत रोगी को तीन दिन का प्रशिक्षण दिल्ली से बाहर किसी प्राकृतिक स्थान पर दिया जाता है. प्रशिक्षण काल में रोगी को रोगी को कम वसा वाला शाकाहारी भोजन करने तथा तनाव को सहन करने का तरीका बतलाया जाता है.

योग का अभ्यास कराया जाता है और हृदय रोग संबंधी वैज्ञानिक शिक्षा दी जाती है, अर्थात् रोगी को नई संतुलित और प्राकृतिक जीवन शैली सिखलाई जाती है जिसके सहारे रोगी रोगमुक्त जीवन व्यतीत करता  है.

रोजाना एक्सरसाइज ना केवल आपको हमेशा रखेंगी फिट. बल्कि दिली की बीमारियों से भी बचाएगी. (फोटो : pixabay.com)
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ये तो बिल्कुल नहीं खाना चाहिए हार्ट पेशेंट को (What should a heart patient eat and diet chart of heart patient)
हार्ट पेशेंट के आहार के संबंध में डॉ. विमल छाजेड़ का कहना है कि रोगी को कोलेस्ट्रोल वाले खाद्य पदार्थ-जैसे अंडा, मांसाहार, संतृप्त वसाएं जैसे घी, मलाई, मक्खन व क्रीम से बने खाद्य पदार्थों को नहीं खाना चाहिए क्योंकि इनमें कोलेस्ट्रॉल की मात्रा अधिक होती है. अंसतृप्त वसाओं, सोयाबीन, अनाज, साबुत दालों, फलों और सब्जियों का सेवन हितकर है.

क्या होता है इस खाने से (diet chart effect of heart patient)
इन आहारों के सेवन से हृदय रोग और एंजाइना के दर्द नहीं होंगे. भूख से अधिक भोजन नहीं करना चाहिए अन्यथा वजन बढ़ सकता है.
चीनी और नमक का सेवन ज्यादा नहीं करना चाहिए नहीं तो डायबिटीज और उच्च रक्तचाप की शिकायत हो सकती है. हमारी लाइफ स्टाइल ही बीमारियों का कारण बनती है, यदि हम संतुलित और सरल जीवन जीने की कला अपना लें तो हम किसी रोग का शिकार होंगे ही नहीं.

(नोट : यह लेख आपकी जागरूकतासतर्कता और समझ बढ़ाने के लिए साझा किया गया है. यदि किसी बीमारी के पेशेंट हैं तो अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें.)

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