इस्लाम में पांच बातों को मुख्य और अनिवार्य बताया गया है. पहला कलमा पढ़ना, दूसरा नमाज पढ़ना, तीसरा रोजा रखना, चौथा जकात देना और पांचवा हज पर जाना. शुरू की तीन चीजे तो मुस्लिमों के लिए अनिवार्य ही हैं लेकिन आखिरी की दो चीजों में मुस्लिमों को राहत दी गई है. यानि हज पर वे लोग जा सकते हैं जो सक्षम हो और जकात जो अपनी मर्जी से जितना दे सकता हो.
हज कहां है? (Where is Haj?)
हज सऊदी अरब के मक्का शहर में है. दरअसल ये एक इमारत है जिसे ‘काबा’ नाम से जाना जाता है. ये मक्का में है और दुनियाभर के मुस्लिम काबा की ओर मुंह करके नमाज पढ़ते हैं. इस्लाम में काबा वो मंजिल है जिसे ‘अल्लाह का घर’ कहा जाता है. आमभाषा में कहें तो हज मुस्लिमों की सबसे प्रमुख और सबसे पवित्र तीर्थ यात्रा है और काबा एक पवित्र तीर्थ स्थल है.
हज में क्या होता है? (Rituals in Haj?)
हज बकरीद के दिन होता है. यानि अगर आप मक्का जा रहे हैं तो आपका काबा में बकरीद के दिन पर होना जरूरी है. तभी वो हज कहलाएगा. हज के मौके पर मक्का में अलग-अलग रस्में होती हैं
– सबसे पहले एक खास तरह की पोशाक पहनी जाती है जिसमें दो चादरे होती है. फिर इबादत करने की नीयत ली जाती है. ऐसा करने पर आपको काफी चीजों से परहेज करना होता है. इस प्रक्रिया को इहराम कहा जाता है.
– अब काबा पहुँचना होता है. यहाँ पर पहले नमाज पढ़ी जाती है और इसके बाद काबा का तवाफ यानि परिक्रमा करनी होती है. दुनियाभर के मुसलमान यहाँ बकरीद के दिन नमाज पढ़ते हैं और परिक्रमा करते हैं.
– इसके बाद सफा और मरवा नाम की दो पहाड़ियों के सात चक्कर लगाने होते हैं और दुआएं पढ़नी होती हैं. इसके बाद अगले दिन अराफ़ात नाम की जगह पर पहुँचते हैं और एक बड़े मैदान में खड़े होकर लोग अल्लाह से दुआ मांगते हैं. ये दोनों जगह मक्का से 5 किमी की दूरी पर मीना में है.
– सफा और मरवा की रस्म पूरी होने के बाद पुरुष अपने पूरे सर के बाल छोटे करवाते हैं और औरते अपने थोड़े से बाल कटवाती हैं.
– इसके बाद सारे हाजी मीना से लौटते हैं और शैतान को पत्थर मारते हैं. शैतान को दर्शाने के लिए यहाँ तीन खंभे बने हैं जिन पर हाजी सात कंकड़ मारते हैं. इस रस्म को रमीजमारात कहते हैं.
– शैतान को पत्थर मारने के बाद जानवर की कुर्बानी करने का समय आता है. इसमें हाजी भेड़, बकरा या ऊंट की कुर्बानी देते हैं.
शैतान को पत्थर क्यों मारते हैं?
हज के दौरान शैतान को पत्थर मारने की रस्म है. इसके पीछे बताया जाता है कि जब हजरत इब्रहीम अपने बेटे इस्माइल को कुर्बानी के लिए लेकर जा रहे थे तो रास्ते में उन्हें एक शख्स मिला जिसे इस्लाम में शैतान कहा जाता है. इस शख्स ने हजरत इब्रहीम को कुर्बानी देने से गुमराह किया था. उसने कहा था कि वह इस उम्र में अपने बेटे की कुर्बानी क्यों दे रहा है. बुढ़ापे में वही उसका सहारा बनेगा और वह उसे ही मार रहा है. बेटे के मरने के बाद उसकी देखभाल कौन करेगा. हजरत इब्रहीम ये सुनकर सोच में पड़ गए थे और उनके मन में कुर्बानी न करने का भी ख्याल आया था लेकिन उन्होने खुद को बहकने से रोका और आँख बंद करके अपने बेटे को कुर्बान कर दिया. शैतान जहां मिला था उस जगह पर तीन खंबे बनाए गए और उन्हीं खंबों को शैतान का प्रतीक मानकर पत्थर मारे जाते हैं.
हज पर कैसे जाते हैं? (How to go on haj yatra?)
लाखों लोग हज यात्रा पर हर साल जाते हैं. हज पर जाने के लिए सऊदी अरब में हर देश के लिए कोटा तैयार किया जाता है. यानि किस देश से कितने लोग हज यात्रा पर आने हैं ये सौतड़ी अरब में तय किया जाता है. हज यात्रा पर जाने में उम्र की कोई सीमा नहीं है. बच्चा, बूढ़ा, जवान, औरत, मर्द सब जा सकते हैं. लेकिन बच्चे और औरते बिना किसी गार्जियन के नहीं जा सकते.
भारत से हज पर जाने के दो तरीके हैं. एक है सरकारी कोटा और दूसरा है प्राइवेट. पिछले कुछ सालों में सरकारी कोटे से लगभग 1 लाख से भी ज्यादा लोग हज यात्रा पर गए हैं और वहीं प्राइवेट से 40 से 50 हजार लोग.
हज पर जाने के लिए कैसे आवेदन करें? (How to apply for haj yatra?)
अगर आप सरकारी कोटे से हज यात्रा पर जाना चाहते हैं तो आप ऑनलाइन इसके लिए आवेदन कर सकते हैं. ऑनलाइन आवेदन करने के लिए आपको हज कमेटी कि वेबसाइट पर आवेदन करना होगा. हज यात्रा के लिए आवेदन करने का प्रोसैस इस लिंक (http://hajcommittee.gov.in/HowtofillonlineHAF.html) पर क्लिक करके आप देख सकते हैं.
हज यात्रा का खर्च (Cost of Haj yatra)
हज यात्रा पर अगर आप जा रहे हैं तो आने-जाने और वहाँ ठहरने के लिए आपको कम से काम तीन लाख का खर्च उठाना पड़ेगा. अगर आप प्राइवेट ट्रैवल एजेंट के माध्यम से जा रहे हैं तो ये खर्च 4 से 5 लाख तक पहुँच सकता है.