भारत में हर धर्म के लोग रहते हैं और यहां पर सभी धर्मों के प्रमुख धार्मिक स्थल भी मौजूद हैं. इन्हीं धार्मिक स्थल में से एक पवित्र स्थल है स्वर्ण मंदिर (Golden temple Amritsar). ये सिक्खों का प्रमुख धार्मिक स्थल है जहां पर सिक्ख तो जाते ही हैं साथ ही अन्य धर्म के लोग भी जाते हैं. यहां रोजाना हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं. कई लोग हैं जो यहां पर जाना चाहते हैं. यहां जाने से पहले आपको स्वर्ण मंदिर की जानकारी होनी जरूरी है.
स्वर्ण मंदिर कहां पर है? (Golden temple information)
सिक्खों का पवित्र स्थल स्वर्ण मंदिर अमृतसर, पंजाब में है. इसे हरीमंदिर साहिब (Harimandir sahib) के नाम से भी जाना जाता है. अमृतसर रावी (Ravi river) और व्यास नदी (beas river) के किनारे बसा हुआ है. स्वर्ण मंदिर पूरे पंजाब का सबसे बड़ा आकर्षण है. वास्तव में पूरा शहर ही स्वर्ण मंदिर के किनारे बसा हुआ है. अमृतसर का नाम भी स्वर्ण मंदिर के सरोवर अमृत सरोवर के नाम पर पड़ा है.
स्वर्ण मंदिर किसने बनवाया? (Golden temple history)
स्वर्ण मंदिर का इतिहास काफी पुराना है. सिखों के चौथे गुरु रामदास जी ने इसकी नींव रखी थी. स्वर्ण मंदिर को कई बार नष्ट किया जा चुका है लेकिन सिखों ने इसे दोबारा बना दिया. जितनी भर भी इसे नष्ट किया गया है वो सारी घटनाएं गुरुद्वारे में दर्शाई गई हैं. 17वीं सदी में श्री महाराज सरदार जससा सिंह अहलूवालिया ने इसे बनाया था. इसके बाद अफगानी हमलावरों ने 19वी शताब्दी में इसे पुर तरह नष्ट कर दिया था तब महाराजा रणजीत सिंह ने इसे दोबारा बनवाया और सोने की परत से सजाया.
स्वर्ण मंदिर के संस्थापक (Founder of golden temple)
स्वर्ण मंदिर को अमृत सरिवार में बनाने का सपना तीसरे सीख गुरु श्री अमरदास जी का था. इसका निर्माण चौथे सीखे गुरु रामदास साहिब जी पूर्ण किया. इसका निर्माण 1570 में शुरू हो गया था जो 1577 में पूर्ण हुआ. इसका नक्शा सिखों के पंचवे गुरु श्री अर्जुन साहिब जी ने तैयार किया था.
स्वर्ण मंदिर की बनावट और प्रवेश द्वार (Golden temple structure and entry gate)
स्वर्ण मंदिर के चार प्रवेश द्वार हैं. इसमें चारों दिशाओं से गुरुद्वारे में प्रवेश कर सकते हैं. मुख्य द्वार हाल बाजार वाली दिशा में है. जिसे घंटाघर वाली साइड भी कहा जाता है. एक द्वार गुरु रामदास का सराय है. प्रवेश द्वार के बाहर लगे नल पर हाथ और पैर धोने के लिए फर्श में आठ फुट चौड़ा और 6 इंच गहरा तालाब बनाया गया था ताकि भरे हुए उस पाने में से होते हुए मंदिर में व्यक्ति प्रवेश करे.
मंदिर में प्रवेश करने से पहले द्वार पर एक प्लास्टिक की बड़ी सी बाल्टी में सैकड़ों वस्त्र मिलेंगे जिनमें से आप भी एक वस्त्र लेकर सिर पर बांध लें और जाते समय वापस वहीं छोड़ दें. यहां पूजा स्वरूप गुरुद्वारे के चारों ओर बने गलियारे में लोग परिक्रमा करते हैं.
स्वर्ण मंदिर खुलने तथा बंद होने का समय (Golden temple timing)
स्वर्ण मंदिर के खुलने और बंद होने का समय हर महीने बदलता रहता है. हालांकि इसके बदले समय में आधे घंटे से 1 घंटे का फर्क होता है. स्वर्ण मंदिर के पट लगभग सुबह दो से ढाई बजे के बीच खुल जाते हैं. इसके बाद यहां अलग-अलग गतिविधियां होती है जो सुबह 6 बजकर 45 मिनट तक चलती हैं. इसके बाद शाम को 9 बजे से इनके पूजन की विधि शुरू होती है और रात को 10 से 11 बजे तक चलती रहती है.
स्वर्ण मंदिर लंगर (Golden temple langar)
स्वर्ण मंदिर में जो लोग घूमने जाते हैं उन्हें वहां का लंगर जरूर खाना चाहिए. यहां पर आने वाले श्रद्धालुयों के लिए खाने-पीने की पूरी व्यवस्था होती है. यहां पर लंगर 24 घंटे खुला रहता है. इसके अलावा यहां पर ठहरने की व्यवस्था श्री गुरु रामदास सराय में है. यहां पर 228 कमरे और 18 बड़े हाल हैं. यहां रात गुजारने के लिए गद्दे व चादरें मिल जाती है. यहां पर प्रतिव्यक्ति तीन दिन तक रह सकता है.
स्वर्ण मंदिर के नियम (Golden temple rule)
स्वर्ण मंदिर में दर्शन करने के लिए आपको कुछ नियमों का पालन करना चाहिए.
– स्वर्ण मंदिर में जाने से पहले जूते बाहर निकालना जरूरी है.
– स्वर्ण मंदिर में अंदर आने से पहले सिर पर रुमाल बांधना जरूरी है. जिन लोगों के पास रुमाल नहीं होते उनके लिए वहीं पर कपड़े दिये जाते हैं. महिला हो या पुरुष सभी को अपना सिर ढंकना होता है.
– मंदिर के अंदर धूम्रपान, मदिरा पान आदि पूर्णतः निषेध है.
– स्वर्ण मंदिर में आते समय पूरे ढके हुए कपड़े पहनना जरूरी है.
– अंदर गुरुबानी सुनते समय सभी लोगों को नीचे बैठकर गुरुबानी सुनना चाहिए. ये भगवान के प्रति सम्मान का प्रतीक है.
स्वर्ण मंदिर कैसे पहुंचे? (How to reach golden temple Amritsar?)
स्वर्ण मंदिर जाने के लिए आप हवाई जहाज, ट्रेन, बस या निजी वाहन का सहारा ले सकते हैं. अगर आप हवाई जहाज से स्वर्ण मंदिर जाना चाहते हैं तो आप सीधे अमृतसर के लिए फ्लाइट ले सकते हैं. अमृतसर में इन्टरनेशनल एयरपोर्ट है जो कई बड़े शहरों के साथ कनैक्ट है. इसके अलावा अगर आप ट्रेन से आना चाहते हैं तो आपको आपके शहर से अमृतसर तक की यात्रा ट्रेन से करनी होगी. अमृतसर में ही रेल्वे स्टेशन हैं जहां से कई शहर जुड़े हैं. इसके अलावा यदि आप अपने खुद के वाहन या किसी बस से आना चाहते हैं तो वो भी आप सड़क के जरिये आ सकते हैं.
स्वर्ण मंदिर के आसपास दर्शनीय स्थल (Nearby traveling place at golden temple)
गुरुद्वारा बाबा अटल : स्वर्ण मंदिर गुरु द्वारे के पास ही स्थित है. इसे गुरु हरगोविंद सिंह जी के पुत्र की याद में बनाया गया था. इसमें एक 40 मीटर ऊंचा अष्टभुजीय स्तम्भ है जिसमें 9 तल्ले हैं. ये बाबा अटल राय के 9 साल के संक्षिप्त जीवन को दर्शाते हैं.
गुरुद्वारा सरगढ़ी साहिब : यह केसर बाग में स्थित है. इसे 1902 में उन सिक्ख सैनिक को श्रद्धांजली देने के लिए बनाया गया था जो एंग्लो-अफगान युद्ध में शहीद हुए थे.
गुरु का महल : इसे साल 1573 में गुरु रामदास जी ने अपने परिवार के घर के रूप में बनाया था. स्वर्ण मंदिर के निर्माण के समय गुरु रामदास इसी में रहते थे. उनके बेटे गुरु अर्जुन देव जी का विवाह भी यही हुआ था और यहीं वो 5वें सिक्ख गुरु बने थे.
तरन तारन : ये अमृतसर की एक तहसील है. इसे इस स्थान पर व्यास और सतलज नदी का संगम होता है. यहां चैत्र और भाद्रपद माह में मेला लगता है.
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