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आँखें मानव शरीर का सबसे नाजुक और महत्वपूर्ण हिस्सा होती है. अगर इनमें थोड़ी सी भी कुछ परेशानी आती है तो बड़ी मुश्किल हो जाती है. वैसे तो आँखों से जुड़े कई रोग है जो आँखों को बेहद प्रभावित करते हैं. इन खतरनाक रोगों में एक है ‘ग्लूकोमा'(glaucoma). इसे हम ‘काला मोतियाबिंद’ भी कहते हैं.

ग्लूकोमा (Glaucoma) एक ऐसी बीमारी है जिसके बारे में इंसान को पहले पता नहीं चलता. और जब पता चलता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है. दरअसल ये धीरे-धीरे आपकी दृष्टि को कमजोर करता है लेकिन आप नहीं जान पाते. ग्लूकोमा हमारी आँखों के Optic nerve को प्रभावित करता है। जिसके कारण हमारी दृष्टि जा भी सकती है.

ग्लूकोमा क्या है? (what is Glaucoma?)

ग्लूकोमा आँखों के विकारों का एक समूह है जो ऑप्टिक नर्वों को नुकसान पहुचाते हैं. ये ऑप्टिक नर्व ही आँखों द्वारा दिखने वाली चीजों की जानकारी आँखों के जरिये दिमाग तक पहुंचाती है. अधिकतर मामलों मे ग्लूकोमा आँख के अंदर उच्च से सामान्य दबाव से जुड़ा है, इस अवस्था को ओकुलर हाइपरटेंशन भी कहते हैं.

इसके अलावा ये तब भी हो सकता है जब अन्तः कोशिका दबाव सामान्य स्थिति में हो. अगर अनुपचारित या अनियंत्रित ग्लूकोमा है मतलब उस पर अभी तक किसी ने ध्यान नहीं दिया है तो यह आँखों के लिए नुकसानदायक साबित होता है. इससे आँखों की रोशनी भी जा सकती है.

ग्लूकोमा के प्रकार (types of glaucoma)

ग्लूकोमा सामान्यतः दो प्रकार का होता है 1) ओपन एंगल ग्लूकोमा 2) क्लोज्ड एंगल ग्लूकोमा. दोनों मामलों में “कोण” आंख के अंदर जल निकासी कोण को संदर्भित करता है जो उस तरल पदार्थ को बाहर जाने से रोकता है जो लगातार आँख के अंदर पैदा हो रहा है.

ग्लूकोमा के लक्षण (symptoms of glaucoma)

ग्लूकोमा एक ऐसी बीमारी है जिसकी शुरुवात में ना तो इंसान को कोई दर्द होता है और ना ही कोई लक्षण नजर आते हैं. इसमें ऐसा कुछ भी नहीं है जिस पर शुरुवात में ध्यान दिया जाए. कुछ लक्षण हैं जो क्लोज्ड एंगल ग्लूकोमा होने पर आप पता लगा सकते हैं जैसे – धुंधली दृष्टि, रोशनी के आसपास प्रभामंडल, आंखों में तेज दर्द, मतली और उल्टी महसूस होना. अगर ऐसे लक्षण महसूस हो रहे हैं तो जल्दी से किसी अच्छे आँखों के डॉक्टर को दिखाएँ ताकि आँखों की दृष्टि को होने वाले नुकसान को रोका जा सके.

ग्लूकोमा का इलाज (treatment of glaucoma)

ग्लूकोमा एक ऐसी बीमारी है जिसके बारे में पहले तो पता नहीं चलता लेकिन इसका इलाज संभव है. इसके इलाज में सर्जरी, लेजर ट्रीटमंट और दवाएं शामिल है. इसके इलाज में सबसे पहले दवाई के साथ ड्रॉप देकर इसे नियंत्रित करने की सलाह दी जाती है.

आई ड्रॉप को लेकर भी लोग लापरवाह होते हैं. डॉक्टर उन्हें आई ड्रॉप लंबे समय तक डालने के लिए कहता है लेकिन मरीज को जैसे ही लगता हैं की अब उसकी आँख ठीक हो गई है तो वो आई ड्रॉप लगाना बंद कर देता है. इसके कारण आँखों के अंदर होने वाले नुकसान की भरपाई होना बंद हो जाता है और ग्लूकोमा फिर से बढ़ने लगता है. इसके बढ़ने के कारण आँखों की रोशनी भी जा सकती है.

ग्लूकोमा से बचाव (prevention of glaucoma)

ग्लूकोमा से बचाव के लिए आपको डॉक्टर की ही सलाह लेनी पड़ेगी. इसका इलाज इस बीमारी की प्रकृति और गंभीरता पर निर्भर करता है. हो सकता है किसी व्यक्ति को ग्लूकोमा की शुरुवात हो और उसका पता चल गया हो तो ऐसी स्थिति में वो दवाई और ड्रॉप से ही ठीक हो सकता है. अगर ग्लूकोमा काफी गंभीर स्थिति में पहुच गया है तो फिर सर्जरी की जरूरत पड़ती है.

ग्लूकोमा एक घातक बीमारी है जिसके कारण आपकी आँखों की रोशनी भी जा सकती है. इसलिए अगर आपको अपनी आँखों में या फिर दृष्टि मे कुछ भी बदलाव नजर आए जैसे धुंधलापन, दर्द आदि तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएँ और उसके पीछे की वजह का पता लगाए. अगर ग्लूकोमा है तो डॉक्टर द्वारा बताई गए इलाज को फॉलो करें.

नोट: यह लेख आपकी जानकारी और जागरूकता बढ़ाने के लिए साझा किया गया है. यदि आप संबंधित बीमारी से ग्रस्त हैं अथवा बीमारी के लक्षण महसूस होते हैं तो अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें. बिना चिकित्सकीय सलाह के किसी भी तरह के उपाय ना करें और बीमारी को लेकर धारणा ना बनाएं. ऐसा करना सेहत के लिए नुकसानदायक है.

By रवि नामदेव

युवा पत्रकार और लेखक

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