गणेश चतुर्थी एक ऐसा त्योहार है जिसे हिन्दू धर्म में बड़ी धूम-धाम से एक उत्सव के रूप में मनाया जाता है. जगह-जगह पर गणेश जी की बड़ी-बड़ी मूर्तियाँ स्थापित की जाती है और 10 दिनों तक उनकी पूजा की जाती है.
गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi 2022) को गणेशजी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. इस दिन विधि-विधान से गणेशजी की पूजा करके उनकी स्थापना तो की जाती है साथ ही गणेश जी की कथा भी सुनी और पढ़ी जाती है तथा गणेश मंत्रों का जाप भी किया जाता है.
गणेश चतुर्थी की कथा (Ganesh Chaturthi Katha)
गणेश चतुर्थी को भगवान गणेश जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. इस दिन को लेकर एक पौराणिक कथा काफी प्रचलित है.
कथा के अनुसार एक बार एक बार माता पार्वती ने अपने तन के मैल से एक पुतला बनाया और उसका नाम गणेश रखा. माता पार्वती ने गणेश जी से कहा कि पुत्र तुम एक मुगदल लेकर द्वार पर बैठ जाओ. मैं भीतर जाकर स्नान कर रही हूँ. मैं जब तक स्नान न कर लूँ तब तक तुम किसी पुरुष को भीतर मत आने देना.
माता पार्वती के जाने के कुछ देर बाद ही शिवजी वहाँ आ गए और गणेशजी ने उन्हें द्वार पर ही रोक लिया. शिवजी ने इसे अपना अपमान समझा. शिवजी ने गणेशजी को समझाया लेकिन वे नहीं माने. बाद में शिवजी ने गणेश जी को एक उद्दंड बालक समझकर उसका सर धड़ से अलग कर दिया.
वे क्रोधित होकर भीतर चले गए. माता पार्वती ने उन्हें क्रोधित देखकर समझा कि वे भोजन में विलंब के कारण नाराज है. माता पार्वती ने तत्काल उनके लिए भोजन की थाली लगाई तथा साथ में एक और थाली लगाई.
तब शिवजी ने उनसे पूछा की ये एक और थाली किसके लिए है. माता पार्वती बोली कि ये मेरे पुत्र गणेश के लिए है जो बाहर द्वार पर पहरा दे रहा है. ये सुनकर शिवजी और भी अधिक आश्चर्यचकित हुए और कहा कि क्या वो तुम्हारा पुत्र था?
माता पार्वती ने कहा कि हाँ वहाँ मेरा पुत्र था क्या आपने उसे नहीं देखा? शिवजी ने कहा कि उसने मुझे रोक तो मैंने उद्दंड बालक समझकर उसका सिर काट दिया. ये सुनकर पार्वती बहुत दुखी हुई.
माता पार्वती अपने पुत्र की ऐसी हालत देखकर विलाप करने लगी. माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए भगवान शिव ने हाथी के बच्चे के सिर को गणेशजी के धड़ से जोड़ दिया.
इस तरह गणेशजी जीवित हुए और माता पार्वती को उनका पुत्र पुनः प्राप्त हुआ. यह सम्पूर्ण घटना भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को हुई थी. इसलिए इस दिन को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है.
गणेश जी का मंत्र (Ganesh Mantra)
भगवान को प्रसन्न करने के लिए मंत्रों का उच्चारण किया जाता है लेकिन मंत्रों का उच्चारण सही तरह से हो यह बहुत जरूरी है. भगवान गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए भी एक सरल मंत्र है. इस मंत्र के जप से आप बिना बाधा के किसी भी कार्य को कर सकते हैं.
वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ |
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ||
गणेश जी की आरती (Ganesh Aarti in Hindi)
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
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