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one nation one election

भारत में इस समय ‘एक देश एक चुनाव’ की चर्चा जोरों पर है. इसका कारण ये है कि केंद्र सरकार संसद Ek Desh Ek Chunav Bill लाने जा रही है जिसके बाद चुनाव के तरीकों में और देश की तरक्की में बदलाव होने के आसार हैं.

अभी तक आपने देखा होगा कि भारत में अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग दिन चुनाव होते हैं. मतलब अलग-अलग टाइम पर अलग-अलग चुनाव होते हैं. लेकिन अब चुनाव को एक साथ कराने की तैयारी की जा रही है.

एक देश एक चुनाव बिल क्या है? (Ek Desh ek chunav bil kya hai?)

एक देश एक चुनाव से मतलब ये है कि देश में लोकसभा और राज्यों की विधानसभा के चुनाव एक साथ कराए जाए. इसे लेकर लंबे समय से बहस चल रही है लेकिन इसका कोई परिणाम निकलता हुआ दिखाई नहीं दिया.

इसके समर्थन में और इसके विरोध में तमाम तरह के तर्क दिए जाते हैं. राजनैतिक पार्टियां भी इस पर अपनी राय को लेकर बटी हुई है. इसलिए इस बिल पर कोई ठोस ऐक्शन अभी तक देखने को नहीं मिला है.

एक देश एक चुनाव के फायदे (One nation one election benefits)

देखा जाए तो इसे लाना फायदेमंद होगा. अगर ये बिल पास हो जाता है तो आप देश में कुछ इस तरह के फायदे देख सकते हैं.

1) विकास कार्यों में तेजी

देश में लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा के चुनाव हमेशा कुछ समय के लिए आचार संहिता लागू होती है. जिसके कारण विकास कार्यों में देरी होती है. कई बार पूर्ण होता हुआ कोई काम सालभर के रुक जाता है.

चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद सरकार किसी परियोजना की घोषणा नहीं कर सकती वित्तीय मंजूरी और नियुक्ति नहीं कर सकती. इसके अलावा सरकार कोई नीतिगत निर्णय नहीं ले पाती है. इससे देश का विकास प्रभावित होता है.

2) पैसों की बचत

देश में चुनाव चाहे लोकसभा का हो या फिर विधानसभा का. दोनों ही जगह पर सरकार को जमकर पैसा खर्च करना पड़ता है. अगर बार-बार की जगह एक ही बार चुनाव होंगे तो सरकारी खजाने पर कम बोझ पड़ेगा.

इसके अलावा चुनावों में सरकारी कर्मचारियों जैसे बैंक कर्मचारियों, शिक्षक, पुलिस इन सभी की सेवाये ली जाती है जिस वजह से इनका मूल काम प्रभावित होता है, वो भी बार-बार प्रभावित नहीं होगा.

3) कालेधन और भ्रष्टाचार पर रोक

जब भी देश में चुनाव होते हैं तो राजनैतिक पार्टियां जमकर पैसा खर्च करती हैं. ये धन कहाँ से आता है, कितना खर्च किया जाता है कोई खास हिसाब नहीं होता है. अगर देश में एक ही चुनाव होगा तो राजनैतिक पार्टियां काला धन खुलकर खर्च नहीं कर पाएगी और उन पर लगाम लगाना भी आसान रहेगा.

एक तरफ कुछ राजनैतिक पार्टियां खुलकर Ek Desh Ek Chunav Bil के फायदे गिना रही हैं वहीं दूसरी ओर इस बिल का विरोध भी हो रहा है. इसके विरोध में कई तर्क दिए जा जारे हैं.

एक देश एक चुनाव बिल के नुकसान (One nation one election disadvantage)

1) विश्लेषकों का मानना है कि संविधान ने हमें संसदीय मॉडल दिया है, जिसके तहत लोकसभा और विधानसभा पाँच वर्षों के लिए चुनी जाती है. लेकिन के साथ चुनाव कराए जाने के संबंध में कोई अनुच्छेद संविधान में नहीं है.

2) अनुच्छेद 2 के मुताबिक संसद द्वारा किसी नए राज्य को भारतीय संघ में शामिल किया जा सकता है और अनुच्छेद 3 के मुताबिक संसद कोई नया राज्य बना सकती है जहां अलग से चुनाव कराने पड़ सकते हैं.

3) अनुच्छेद 85(2)(ख) के अनुसार राष्ट्रपति और अनुच्छेद 174(2)(ख) के अनुसार राज्यपाल विधानसभा को पाँच साल पहले ही भंग कर सकता है. अनुच्छेद 352 के तहत युद्ध या बाह्य आक्रमण की स्थिति में राष्ट्रीय आपातकाल लगाकर लोकसभा का कार्यकाल बढ़ाया भी जा सकता है. ऐसी स्थिति होने पर फिर से चुनाव होने की सभावना होती है इसलिए एक देश एक चुनाव का विरोध किया जा रहा है.

4) इस बिल को लेकर ये भी तर्क दिया जा रहा है कि अगर दोनों चुनाव एक साथ होते हैं तो राष्ट्रीय मुद्दों के आगे क्षेत्रीय मुद्दे फीके पड़ जाएंगे और उनका महत्व नहीं रहेगा. जिस वजह से क्षेत्रीय मुद्दे सुलगते ही जाएंगे.

एक देश एक चुनाव बिल को लेकर संसद में काफी बहस चल रही है और ये लागू होगा कि नहीं ये तो आने वाला समय ही तय कर पाएगा. हालांकि देश को अभी भी राजनीति में बढ़ते क्राइम, काले धन पर रोक लगाने की जरूरत है. ताकि एक समावेशी लोकतंत्र स्थापित किया जा सके.

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By रवि नामदेव

युवा पत्रकार और लेखक

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