Tue. Nov 19th, 2024

Diwali Lakshmi Puja 2023 : दिवाली पर क्यों की जाती है मां लक्ष्मी की पूजा? जानें महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

दिवाली के दिन माता लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है. मान्यताओं के अनुसार जब मुहूर्त में लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है तो उसे घर में लक्ष्मी का वास होता है.

Diwali Lakshmi Puja 2023 : दिवाली को हिंदू धर्म का सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है. हिंदू पंचांग के मुताबिक हर वर्ष दीपावली कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि के दिन मनाई जाती है. इस दिन भगवान राम ने रावण को पराजित कर अयोध्या लौटे थे. इस दिन भगवान राम के स्वागत के लिए नगर वासियों ने सभी जगह दीप जलाए थे. इसीलिए आज भी दिवाली के दिन दीए जलाए जाते हैं.

दिवाली पर लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व होता है. पौराणिक कथाओं के मुताबिक कार्तिक अमावस्या पर समुद्र मंथन के दौरान माता लक्ष्मी प्रकट हुई थी. इसलिए इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है. दिवाली आने से कई दिनों पहले से ही इसकी तैयारी घरों की साफ-सफाई और सजावट करके शुरू की जाती है. दिवाली की शाम को शुभ मुहूर्त में लक्ष्मी-गणेश, कुबेर और माता सरस्वती का पूजन किया जाता है.

 

लक्ष्मी पूजन का महत्व (Lakshmi Puja Mahatva)

दिवाली के दिन माता लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है. मान्यताओं के अनुसार जब मुहूर्त में लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है तो उसे घर में लक्ष्मी का वास होता है. इसलिए लक्ष्मी पूजन के लिए यह सबसे उत्तम समय माना जाता है. इस दिन मां लक्ष्मी के साथ-साथ भगवान गणेश की भी पूजा की जाती है.

 

लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त (Lakshmi Puja Muhurt)

प्रदोष काल का मुहूर्त: प्रदोष काल 12 नवंबर 2023 को सायं काल 5:28 से 8:07 बजे तक रहेगा, जिसमें वृषभ काल 5:39 बजे से 7:33 बजे तक रहेगा. लक्ष्मी पूजा का प्रदोष काल का मुहूर्त का समय सायं काल 5:39 बजे से सायं काल 7:33 बजे तक रहेगा. यह अवधि लगभग 1 घंटा 54 मिनट की होगी.

 

पूजन सामग्री लिस्ट (Lakshmi Puja Samagri List)

दिवाली पूजा के लिए लाल या पीले रंग का कपड़ा, गणेश-लक्ष्मी की प्रतिमा, चंदन, अक्षत, गुलाब और चंदन का इत्र, पान का पत्ता, सुपारी, दुर्वा, रुई की बाती, पंचामृत, लौंग-इलायची, नारियल, आम का पत्ता, कलावा, खील बताशे, खीर, लड्डू, धूप-दीप, कपूर, गुलाब का फुल, गेंदा का फूल, फल, गन्ना, कमल गट्टा, सिंदूर, गोबर, कलश में जल, चांदी का सिक्का, घी का दीपक, जनेऊ, दक्षिणा के लिए नोट और सिक्के समेत सभी पूजन सामग्री एकत्रित कर लें.

 

लक्ष्मी-पूजन की विधि (Lakshmi Puja vidhi)

  • कार्तिक मास की अमावस्या के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान-ध्यान कर साफ-स्वच्छ वस्त्र पहनें.
  • पूजा स्थल के पास एक छोटी चौकी रखें और उस पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं.
  • अब माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा ऐसे स्थापित करें कि उनका मुख पूर्व या पश्चिम दिशा में हो.
  • प्रतिमा के पास एक स्थान पर एक मुट्ठी अनाज बिछाकर एक चांदी का सिक्का रखें. इस पर कलश रखें.
  • दो बड़े दीपक प्रज्ज्वलित करें. कलश की ओर चावल से नवग्रह की नौ ढेरियां बनाएं.
  • गणेश जी की ओर चावल की ढेर से सोलह ढेरियां बनाएं. चावल की 16 ढेरियों को सोलह मातृका माना जाता है.
  • सोलह मातृका के बीच स्वास्तिक बनाएं.
  • पवित्रीकरण के लिए मूर्तियों पर गंगाजल छिड़कें.
  • लक्ष्मी और गणेश जी को फूलों की माला और वस्त्र अर्पित करें.
  • इसके बाद पूजा शुरू करें और लक्ष्मी-गणेश को फल, फूल, धूप-दीप और नैवेद्य समेत सभी पूजा सामग्री अर्पित करें.
  • मंत्रों का जाप करें और अंत में सभी देवी-देवताओं और नवग्रहों के साथ लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा की आरती उतारें.
  • लक्ष्मी पूजन के दौरान अष्टलक्ष्मी महा स्त्रोत या श्री सूक्त का पाठ कर सकते हैं.

Related Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *