एक सरकारी कर्मचारी के रिटायरमेंट के बाद पेंशन (National Pension Scheme 2021) ही उसका सहारा होती है. रिटायर होने के बाद हर महीने उन्हें एक निश्चित पेंशन मिलती थी जो लगभग उनकी सैलरी का आधा हिस्सा होती थी. लेकिन साल 2004 से सरकार ने नई पेंशन योजना लागू (NPS Launch Date) की जिसके बाद से पेंशन को लेकर कई नियम बदल गए. पुरानी पेंशन और नई पेंशन में क्या अंतर आया है? ये सारी बातें आप इस लेख में जानेंगे.
भारत में पेंशन की शुरुवात कैसे हुई? (History of Pension system in India?)
भारत में अंग्रेजों के आने से पहले पेंशन जैसा कोई नियम नहीं था. इससे पहले सभी लोग अपना गुजर-बसर कृषि और अन्य व्यावसाय से किया करते थे. मुख्य तौर पर पेंशन की शुरुवात भारत में अंग्रेजों के द्वारा मानी जाती है. सबसे शुरू में जब अंग्रेज़ भारत के कुछ राज्यों को अपने अधीन कर रहे थे तो वे रियासतों के महाराज को रियासत के बदले पेंशन दिया करते थे ताकि महाराज अंग्रेजों के कार्यों में दखल न करे. इसके बाद जब अंग्रेज़ अपने प्रशासन व अन्य कार्यों के लिए लोगों की भर्ती करने लगे तो उन्हें रिटायरमेंट पर पेंशन दिये जाने का प्रावधान किया गया. ये प्रावधान मुख्य रूप से भारत में सिविल सर्विसेज के साथ ही शुरू हुआ. फिर जब देश आजाद हुआ तो देश के सभी सरकारी कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद एक निश्चित रकम पेंशन में दिये जाने का प्रावधान किया गया.
नई पेंशन स्कीम और पुरानी पेंशन स्कीम में क्या अंतर है? (Difference between old pension and new pension scheme?)
1 अप्रैल 2004 से भारत में नई पेंशन स्कीम (NPS) शुरू हुई. जिसके तहत 1 अप्रैल 2004 के बाद से सरकारी विभाग को जॉइन करने वाले कर्मचारी को पेंशन नई पेंशन स्कीम के हिसाब से मिलेगी. यानी अगर आपकी जॉब सरकारी विभाग में लगती है तो आपको पेंशन नई पेंशन स्कीम के हिसाब से ही मिलेगी. पुरानी पेंशन स्कीम और नई पेंशन स्कीम में काफी अंतर आया है और इसका सीधा असर आपकी जेब पर पड़ेगा.
# सैलरी से कटेगी पेंशन
पुरानी पेंशन स्कीम में पेंशन को आपकी सैलरी से नहीं काटा जाता था. इसे सीधे तौर पर सरकार की ओर से दिया जाता था. आपके जो बेसिक सैलरी होती थी वो वैसी की वैसी ही रहती थी. लेकिन नई पेंशन स्कीम में पेंशन को पहले ही आपकी सैलरी से काट लिया जाएगा. जब हर महीने आपकी सैलरी आएगी तो आपकी सैलरी से एक निश्चित प्रतिशत में पेंशन के लिए रकम काटी जाएगी और फिर वही रकम आपको रिटायरमेंट पर पेंशन के रूप में मिलेगी. कुल-मिलाकर आपका पैसा ही आपको पेंशन के रूप में मिलेगा.
# कितनी पेंशन मिलेगी ये तय नहीं
जब आप रिटायर होंगे तब पुरानी पेंशन के हिसाब से आपको आधी सैलरी मिलती थी वो भी तब तक मिलेगी जब तक आप या आपकी पत्नी जीवित है. उसमें ये तय था की रियतरमेंट के समय जो आपकी सैलरी है उसका 50 प्रतिशत हर महीने आपको पेंशन में मिलेगा. लेकिन इसमें कुछ भी फिक्स नहीं है. इसमें ये तय नहीं है की आपकी सैलरी का कितना प्रतिशत आपको पेंशन के रूप में मिलेगा. आपको मिलने वाली पेंशन पूरी तरह शेयर मार्केट और बीमा कंपनियों को हो रहे फायदे पर निर्भर करेगी.
# पारिवारिक पेंशन समाप्त
पुरानी पेंशन व्यवस्था के हिसाब से जब तक व्यक्ति जीवित रहता था तब तक तो उसे पेंशन मिलती ही थी लेकिन उसकी मृत्यु के बाद भी उसकी पत्नी के जीवित रहने तक उसे पेंशन मिला करती थी. लेकिन नई पेंशन व्यवस्था में पारिवारिक पेंशन को समपट कर दिया गया है. पेंशन सिर्फ कर्मचारी के जीवित रहने तक ही मिलेगी.
# लोन लेने में दिक्कत होगी
पुरानी पेंशन व्यवस्था में आपके पास जीपीएफ़ होता था जिसकी वजह से रिटायरमेंट के बाद भी आपको लोन मिल जाया करता था लेकिन नई पेंशन योजना में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है जिसके कारण आपको लोन मिल जाए.
नई पेंशन योजना देखा जाए तो एक सरकारी कर्मचारी के लिए घाटे का सौदा है क्योंकि पेंशन का पैसा उसकी सैलरी से कटेगा, कितनी पेंशन मिलेगी ये भी तय नहीं है, लोन लेने की व्यवस्था भी नहीं है और पारिवारिक पेंशन का भी विकल्प नहीं है. इसलिए इसमें नुकसान तो है. लेकिन इसमें एक फायदा ये है की जो पेंशन आप अपनी नौकरी के दौरान इकट्ठा करेंगे उसका 75 प्रतिशत तक आप रिटायरमेंट पर निकाल सकते हैं और बाकी रकम को आप पेंशन के रूप में ले सकते हैं.
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