दीपावली दीपों का पर्व है और इस दिन पृथ्वी पर माता लक्ष्मी का आगमन होता है. मां को प्रसन्न कर उनकी कृपा पाने के लिए दीप जलाए जाते हैं. दिवाली पर माता के पूजन का विधान है और सभी उसका पालन भी करते हैं, लेकिन आमतौर पर लोग किस स्थान पर दीपक रखे जाएं इसका ध्यान नहीं रखते हैं.
मां की कृपा पाने करें यह उपाय
“दीप ज्योति परम ज्योति, दीप ज्योति जनार्दन: दीपो हरतु मे पापं दीप ज्योति नमोस्तुते!
शुभं करोतु कल्याणं आरोग्यं सुख सम्पद: द्वेस बुद्धिर्विनासय आत्म ज्योति नमोस्तुते !!”
दिवाली पर मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए पूजन के साथ ही दीपदान का भी विशेष महत्व है. शास्त्रों में इसका उल्लेख भी किया गया है. दीप प्रकाश का प्रतिबिंब हैं और यह अंधकार को हर कर जीवन को प्रकाश से भर देते हैं. शास्त्रों में सात स्थानों पर ध्यान पूर्वक दीपक जरूर जलाने की बात कही गई है.
तिजोरी के पास जलाएं दीपक
माता लक्ष्मी धन, सम्पदा और ऐश्वर्य देवी हैं और जब वे दिवाली की रात घर आएं तो उन्हें तिजोरी के पास दीपक जलता हुआ मिले. तिजोरी धन का स्थान है इसलिए दिवाली पर तिजोरी में सुरक्षित जगह पर दीप जरूर जलाना चाहिए. यदि घर में तिजोरी नहीं है तो धन रखने वाले स्थान पर दीप प्रज्ज्वलित करें.
वाहन और जल स्रोत के पास भी रखें दीप
धनतेरस के साथ ही दीपावली पर वाहनों का पूजन कर सुरक्षित स्थान पर दीपक रखने चाहिए. क्यों कि वाहन हमारी संपत्ति का हिस्सा होते हैं और इसीलिए इनका पूजन आवश्यक है. इसके अलावा आप दीपावली पूजन के बाद घर के किसी भी जल स्रोत के पास दीपदान करें.
मुख्य द्वार पर दीप जलाकर करें मां का स्वागत
घर के मुख्य दरवाजे पर दिवाली पूजन के बाद दीप जलाना बिल्कुल न भूलें. दिवाली पर घर के मुख्य द्वार की साज-सज्जा का भी ध्यान रखें. क्योंकि यहीं से मां लक्ष्मी का घर में आगमन होता है. इसलिए दिवाली की रात मुख्य दरवाजे पर दो दीपक जरूर जलाने चाहिए.
भंडार व रसोईघर में ज़रूरी है दीप प्रकाश
लक्ष्मी पूजन के साथ ही आपको घर के भंडार गृह में भी पूजन करनी चाहिए. यहां से हमारा पोषण होता है और इसीलिए घर का यह भाग सबसे महत्वपूर्ण होता है. इस जगह दीपक जलाने से मां लक्ष्मी घर में कभी भी अन्न की कमी नहीं होने देतीं.
वहीं घर के रसोईघर में भी दिवाली की रात को दीपक का प्रकाश ध्यान से करें. किचन को घर का सबसे पवित्र स्थान माना जाता है. इसके साथ ही दीपावली की रात पूजा घर में चारों कोनों में चतुर्मुखी दीपक जलाएं.
(नोट: यह लेख आपकी जागरूकता, सतर्कता व समझ बढ़ाने के लिए प्रस्तुत किया गया है. पूजन-पाठ संबंधी अधिक जानकारी के लिए पंडित या ज्योतिष आचार्य से सलाह ज़रूर लें.)
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