दुनियाभर में हुए विकास की एक वजह इन्टरनेट भी है जिसकी वजह से सूचनाओं का आदान-प्रदान तेज गति से हुआ है. लेकिन इन्टरनेट की वजह से ही अपराध करने का तरीका भी बदला है. पहले लोग चाकू या बंदूक की नोक पर लोगों को लूटा करते थे लेकिन आज कम्प्युटर के जानकार लोग जिन्हें हम हैकर कहते हैं वो किसी दूसरी जगह बैठकर पलभर में किसी व्यक्ति का अकाउंट खाली कर सकते हैं. इस तरह के अपराध को साइबर अपराध (Cyber Crime) की श्रेणी में रखा जाता है और इनके लिए भारत में साइबर लॉं (Cyber Law) है.
साइबर अपराध क्या है? (What is Cyber law?)
आज का व्यक्ति तीन चीजों से ज्यादा घिरा है, स्मार्टफोन, कम्प्युटर और इन्टरनेट. इन तीनों चीजों के मधायम से होने वाले अपराध को साइबर अपराध (Cyber crime) कहा जाता है. जैसे किसी ने आपके अकाउंट से आपका कोड जानकर या ऑनलाइन पैसे उड़ा लिए, किसी ने आपकी पर्सनल तस्वीरे चुरा ली वो आपको ब्लैकमेल कर रहा है. इस तरह के अपराध साइबर अपराध में ही आते हैं. साइबर अपराध में कुछ खास शब्दों का इस्तेमाल होता है जिन्हें आपको समझना चाहिए.
साइबर स्टाकिंग (Cyber Stocking) : किसी व्यक्ति द्वारा इन्टरनेट पर आपका पीछा करना, यानि आप पर इन्टरनेट पर पैनी नजर रखना, आप कब क्या पोस्ट डाल रहे हो. इसकी जानकारी रखना. ये सब साइबर स्टाकिंग कहलाता है.
ई मेल बॉम्बिंग (Email Bombing) : इसका मतलब होता है किसी व्यक्ति को इतने ज्यादा ईमेल भेजना की उसका ईमेल अकाउंट ही ठप हो जाए.
डाटा डिडलिंग (Data Didling) : डाटा डिडलिंग का मतलब होता है की कम्प्युटर के रॉ डाटा को प्रोसैस होने से पहले ही बादल देना. जैसे ही प्रोसैस पूरा होता है डाटा फिर से मूल रूप में आ जाता है.
सलामी अटैक : सलामी अटैक का मतलब होता है बैंक से हैकिंग के जरिये पैसे चुराना. ये पैसे इतनी कम मात्रा में चुराये जाते हैं की किसी को कोई शक नहीं होता.
लॉजिक बम (Logic bomb) : ये इस तरह के प्रोग्राम होते हैं जो किसी खास तारीख के आते ही एक्टिवेट हो जाते हैं और बाकी समय सुस्त पड़े रहते हैं.
ट्रोजन हॉर्स (Trojan horse) : ये एक अनधिकृत प्रोग्राम होता है जो अधिकृत प्रोग्राम के अंदर काम करता है. इसे एक तरह से ऐसा वायरस कह सकते हैं जो पकड़ में नहीं आता.
फिशिंग (Fishing) : कई बार आपको ऐसे ईमेल या मैसेज मिलते हैं जो देखने में ऐसे लगते हैं की बैंक ने भेजे हैं और इसी सहारे वे आपसे आपकी बैंक डीटेल मांग लेते हैं और आपका अकाउंट खाली कर देते हैं. इसे फिशिंग कहा जाता है. यानि मछ्ली को जाल में फंसाना.
साइबर जासूसी (Cyber Spy) : ये ऐसे वायरस होते हैं जो आपकी अनुमति के बिना आपके कम्प्युटर में आ जाते हैं और आपके कम्प्युटर के डाटा को किसी और तक पहुंचाते हैं.
पहचान की चोरी (Identity theft) : किसी हैकर या किसी अन्य व्यक्ति के द्वारा किसी दूसरे व्यक्ति की पहचान चोरी करके उसके नाम से गलत काम करना या उसका नाम उपयोग करना पहचान की चोरी कहलाता है.
अश्लीलता : इन्टरनेट पर कई ऐसे लोग होते हैं जो सोशल मीडिया या अन्य प्लेटफॉर्म पर गलत चीजों का प्रचार करते हैं इसे भी साइबर अपराध की श्रेणी में रखा गया है.
भारत में साइबर कानून (Cyber law in India)
साइबर क्राइम से निपटना काफी हद तक मुश्किल होता है लेकिन अब साइबर अपराधियों को पकड़ने के लिए काफी उन्नत तकनीक आ चुकी है. फिर भी इन्हें अपराध करने से पहले नहीं पकड़ा जा सकता. और न ही इन्हें रोका जा सकता है क्योंकि ये किसी को बताकर अपराध नहीं करते. साइबर क्राइम को कम करने के लिए सरकार ने साल 2000 में आईटी एक्ट लागू किया था. इसके बाद साल 2008 में इसे संशोधित भी किया गया था. इसके तहत इन्टरनेट, कम्प्युटर और स्मार्टफोन के जरिये अपराध करने वाले लोगों पर कार्यवाही की जाए. इनके लिए सजा के तौर पर कुछ सालों के जेल और जुर्माने का प्रावधान रखा गया है.
साइबर क्राइम की रिपोर्ट कैसे करें?
साइबर क्राइम किसी भी व्यक्ति के साथ हो सकता है. कई लोग इसके बारे में रिपोर्ट करने से हिचकिचाते हैं उन्हें लगता है की पुलिस उनसे न जाने कौन से सवाल पूछेगी इसलिए वो रिपोर्ट नहीं करते लेकिन अब आप ऑनलाइन इसकी रिपोर्ट कर सकते हैं. साइबर क्राइम की ऑनलाइन रिपोर्ट करने के लिए Cyber Crime Portal (https://cybercrime.gov.in/) पर जाएं और ऑनलाइन अपनी रिपोर्ट दर्ज करें. यहां रिपोर्ट दर्ज करने के लिए साइबर अटैक के सबूत जरूर रखें. जैसे फोन कॉल, नंबर, ईमेल, मैसेज आदि.
साइबर अटैक से कैसे बचें?
साइबर अटैक से बचना थोड़ा मुश्किल होता है क्योंकि इसके बारे में आपको भी पता नहीं रहता है. लेकिन इससे बचने के लिए आपको सतर्कता बरतनी पड़ेगी. साइबर अटैक से बचने के लिए कुछ खास बातों का ध्यान रखें.
– इन्टरनेट का उपयोग करते वक़्त किसी अंजान वेबसाइट से कोई सॉफ्टवेयर न डाउनलोड करें. कई बार फ्री सॉफ्टवेयर में ऐसी फ़ाइल आती हैं जो आपके कम्प्युटर को हैक करने में सहायक होती हैं.
– फोन कॉल पर किसी भी व्यक्ति को अपने एटीएम का पिन नंबर, या एटीएम की अन्य डीटेल न दें.
– फोन मैसेज या चैटिंग में किसी भी व्यक्ति को अपने नेट बैंकिंग के यूजर आईडी और पासवर्ड की जानकरी न दें. अगर किसी भी व्यक्ति के पास ये जानकारी होगी तो वो आपके अकाउंट को खाली कर सकता है.
– अपने स्मार्टफोन में कभी भी खुद की ऐसी कोई आपत्तिजनक तस्वीर या विडियो न रखें जो किसी और के पास पहुँचने पर आपके लिए मुसीबत बन जाए.
– लड़का हो या लड़की अपनी आपत्तिजनक तस्वीरे किसी को शेयर न करें.
– इन्टरनेट पर लॉटरी या फ्री इनाम के चक्कर में अपने बैंक की डीटेल किसी भी व्यक्ति को न दें.
आप काफी हद तक अपनी समझ और सूझबुझ के आधार पर साइबर अटैक से बच सकते हैं और अपना नुकसान होने से बचा सकते हैं. भविष्य में भूलकर भी ऐसी गलतियाँ न करें जो किसी व्यक्ति के लिए पैसे कमाने का मौका बन जाए.
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