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एक शादीशुदा जोड़े से उसके परिवार वाले हमेशा ये चाहते हैं की उनके बच्चे हो ताकि उनका परिवार पूरा हो जाए और उनका वंश चलता रहे. कई बार कुछ कमियों के चलते कुछ दंपत्ति बच्चे को जन्म देने में असमर्थ होते हैं जिस कारण उन्हें बच्चे को गोद लेना पड़ता है. इसके अलावा कुछ दंपत्ति किसी अनाथ बच्चे के कल्याण के लिए उसे गोद ले लेते हैं. किसी अनाथ बच्चे को गोद (Child adoption) लेने के लिए बच्चा गोद लेने के नियम (Child adoption rule) की जानकारी होना जरूरी है.

बच्चा गोद लेने के लिए योग्यता (Eligibility for child adoption) 

बच्चा गोद लेना कोई आसान काम नहीं है. ये एक कानूनी प्रक्रिया है जिसका आपको पूरी तरह पालन करना होता है. भारत में गोद लेने की प्रक्रिया की निगरानी केन्द्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (CARA) द्वारा की जाती है. ये संस्था महिला एवं बाल कल्याण मंत्रलाय का एक हिस्सा है जो ये तय करती है की बच्चा गोद लेने के लिए अभिभावक की क्या योग्यता होनी चाहिए.

– भारत में भारतीय नागरिक, एनआरआई और विदेशी नागरिकों के द्वारा बच्चा गोद लिया जा सकता है. तीनों के लिए बच्चा गोद लेने के नियम अलग-अलग हैं.
– कोई भी दंपत्ति जो बच्चा गोद ले रहा है उनकी शादी दो साल स्थिर होना चाहिए और बच्चा गोद लेने के इलये दोनों की सहमति भी होना चाहिए.
– कोई भी दंपत्ति या सिंगल पैरेंट यानि सिंगल व्यक्ति बच्चा गोद ले सकता है.
– बच्चे के भावी माता-पिता की उम्र में 25 साल से ज्यादा का अंतर नहीं होना चाहिए.

बच्चा गोद लेने के लिए शर्तें (Rules for child adoption) 

– बच्चे के भावी माता-पिता मानसिक तथा शारीरिक रूप से स्वस्थ होने चाहिए.
– बच्चे के भावी माता-पिता आर्थिक रूप से बच्चे को संभालने के लिए सक्षम होने चाहिए.
– बच्चे के भावी माता-पिता को किसी प्रकार का गंभीर या घातक रोग नहीं होना चाहिए.
– तीन या अधिक बच्चे वाले माता-पिता को बच्चे गोद लेने के लिए योग्य नहीं माना जाता कुछ आवश्यक मामलों को छोड़कर.
– एक अकेली महिला चाहे तो बेटा या बेटी किसी को भी गोद ले सकती है परंतु पुरुष सिर्फ बेटा गोद ले सकता है बेटी नहीं.
– सिंगल पैरेंट की उम्र 55 साल से ज्यादा नहीं होनी चाहिए.
– दंपत्ति की संयुक्त उम्र 110 साल से ज्यादा नहीं होनी चाहिए.

बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया (Child adoption process in India) 

बच्चा गोद लेने के लिए अभिभावक को सबसे पहले अधिकृत एजेंसी में पंजीकरण करवाना होता है. इस प्रकार के पंजीकरण को आप मान्यता प्राप्त भारतीय नियोजन संस्थाएं (IRPA) और विशेष दत्तक ग्रहण संस्था (SPA) में करवा सकते हैं. ये संस्थाएं आपको बच्चा गोद लेने की पूरी प्रक्रिया के बारे में बताते हैं.

आपके रजिट्रेशन करवाने के बाद पंजीकृत संस्था के कार्यकर्ता आपके घर आकर घर की स्थिति जानते हैं, घर का दौरा करते हैं. बच्चे के भावी माता-पिता उसके लिए कितने सक्षम और तैयार हैं इसके लिए वे उनके साथ परामर्श भी करते हैं.

इसके बाद जब कोई बच्चा गोद लेने के लिए उपलब्ध होता है तो इच्छुक दंपति को सूचित किया जाता है. संस्था को बच्चे की स्वस्थ्य रिपोर्ट, शारीरिक प्रशिक्षण रिपोर्ट और अन्य प्रासंगिक जानकारी इच्छुक दंपत्ति को दी जाती है. इसके साथ ही उन्हें बच्चे के साथ थोड़ा समय बिताने की अनुमति भी दी जाती है. अगर भावी दंपत्ति बच्चे से मिलकर सहज महसूस करते हैं तो बच्चे की स्वीकृति के साथ कुछ दस्तावेज़ पर साइन करवाए जाते हैं.

इन सभी के बाद आपको एक वकील करना होता है जो कोर्ट में आपके बच्चे गोद लेने की याचिका दायर करता है. वहाँ मौजूद अधिकारी के संख्स इस पर साइन करना होता है. बच्चे को माता-पिता के साथ कोर्ट की सुनवाई में जाना होता है जहां न्यायधीश कुछ सवाल पुच सकते हैं. तथा बच्चे के नाम पर निवेश की गई धनराशि के बारे में पूछ सकते हैं. जज के बताई गई राशि को निवेश करने के बाद न्यायधीश बच्चे को गोद लेने की अनुमति दे देते हैं. गोद लेने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद संस्था बच्चे की फॉलो अप रिपोर्ट प्रस्तुत करती है. ये कार्यवाही लगभग 1 से 2 साल तक चलती है.

बच्चा गोद लेने के लिए आवश्यक दस्तावेज़ (Document for child adoption in India) 

बच्चा गोद लेने के लिए कुछ जरूरी दस्तावेज़ आपको चाहिए होते हैं.
– दत्तक आवेदन पत्र
– 4×6 इंच आकार की फोटो – पति और पत्नी की एक साथ फोटो की 4 कॉपी
– विवाह एवं आयु प्रमाण पत्र
– गोद लेने का कारण
– दंपत्ति की लेटेस्ट एचआईवी और हेपेटाइटिस बी मेडिकल रिपोर्ट
– आय प्रमाण पत्र
– निवास प्रमाण पत्र
– निवेश का विवरण
– 2 व्यक्तियों की गवाही

बच्चा गोद लेने के नियम थोड़े से सख्त है क्योंकि कई लोग बच्चे को गोद लेकर बेचने के बारे में सोचते हैं. अनाथ बच्चों की भलाई को देखते हुए सरकार ने इस तरह के कड़े नियम बनाए हैं ताकि बच्चे को सही अभिभावक तक पहुंचाया जा सके जो उस बच्चे की उचित देखभाल कर सके.

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