भारत के चंद्रयान-2 पर एक चीनी पत्रकार ने बड़े सवाल उठाए है. चीनी पत्रकार ने एंड्यू जोंस ने ट्वीट लैंडर विक्रम को लेकर एक ट्वीट किया है, जिसमें उन्होंने भारत द्वारा की गई बड़ी गलती का खुलासा किया है. गौरतलब है कि भारत द्वारा भेजा गया लैंडर विक्रम 7 सितंबर को चांद पर लैंडिग कर रहा था. लेकिन उसी दौरान वह क्रैश हो गया. इसके बाद से इसरो लैंडर विक्रम से संपर्क करने के लिए काफी मशक्कत कर रहा था.वहीं, नासा ने भी विक्रम से संपर्क साधने की भरपूर कोशिश की लेकिन कोई कामयाबी नही मिल पाई. इस बीच चीनी पत्रकार ने एंड्यू जोंस ने चांद की स्थिति को लेकर कुछ जानकारी साझा की है, जिससे लैंडर विक्रम से संपर्क की अंतिम आस टूटती हुई नजर आ रही है.
चांद की ठंडी रातें
एंड्यू जोंस ने ट्वीट करके दावा किया कि चांद पर धरती की बजाय बेहद ठंडी रातें होती है. वहां तापमान माइनस 200 डिग्री से भी नीचे चला जाता है. लेकिन इसरो ने लैंडर विक्रम को केवल 14 दिनां के लिए चांद पर भेजा था. इसलिए ठंड से बचाने वाले थर्मल उपकरण नहीं लगाए गए थे. ऐसे में लैंडर विक्रम को ठंड से बचाना लगभग असंभव नजर आता है. पत्रकार ने दावा किया कि चांद के साउथ पोल में बर्फ की परत जमने की संभावना है जो कि किसी आर्बिटर को नजर आना मुमकिन नहीं है. ऐसे में इसरो और नासा दोनों के आर्बिटर विक्रम की तलाष शायद ही कर पाए.
थर्मल डिजाइन बेहद जरूरी
इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में ते यांग पार्क, जांग जून ली और ह्यून ओंग ओ का थर्मल डिजाइन पर एक आर्टिकल प्रकाशित हुआ है. यह आर्टिकल प्राइमरी थर्मल डिजाइन और चांद पर रात में लैंडर के बचाव पर लिखा गया है. इस आर्टिकल के मुताबिक, चांद का एक दिन धरती के एक महीने के बराबर होता हैं. 14 दिनों का दिन और 14 दिनों की रात होती है. ऐसे में चांद पर भेजे जाने वाले लैंडर का थर्मल डिजाइन बेहद जरूरी हो जाता है.
The Sun will set over the landing site of the Chandrayaan-2 mission Vikram lander within 2 days. As Vikram is not equipped with radioisotope heater units, any hope of contacting the spacecraft will die as temperatures approach ~minus 180 Celsius. pic.twitter.com/jsTUZiXnCp
— Andrew Jones (@AJ_FI) September 17, 2019
आखिर क्या होता है थर्मल डिजाइन
1960 के दशक में अमेरिका और सोवियत संघ में सबसे पहले चांद पर कदम रखने की प्रतिस्पर्धा चल रही थी. दोनों देश अपनी अपनी तरफ से प्रयोग कर रहे थे. तब यह चीज साफ हो गई थी कि चांद पर दिन और रात एकदम विपरीत होते है. वहीं चांद के अलग-अलग हिस्सों में तापमान में काफी अंतर है. जहां चांद पर दिन बेहद गर्म होते हैं, वहीं रात इससे उलट काफी ठंडी. ऐसे में नासा समेत दुनिया के तमाम वैज्ञानिकों को थर्मल डिजाइन की जरूरत महसूस हुई. जो थर्मल हार्डवेयर से को मिलाकर बनाया जाता है. दावा किया जा रहा है कि भारत द्वारा भेजे गए चंद्रयान 2 में यह डिजाइन ही नहीं था. यानी विक्रम लैंडर को गर्म की करने की अलग से कोई व्यवस्था ही नहीं थी. चीनी पत्रकार एंड्यू जोंस ने अपने ट्वीट में दावा किया कि चंद्रयान-2 का लैंडर विक्रम जहां लैंड किया वहां सूर्य अस्त हो रहा है. यान में रेडियोस्टोप हीटर यूनिट नहीं है, इसलिए वह माइनस 180 डिग्री सेल्शियस की ठंड में है.
[…] […]