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Boxing Rules : मुक्केबाज़ी के नियम तथा फ़ाउल की स्थिति?

मुक्केबाज़ी यानि बॉक्सिंग (Boxing) दुनियाभर में एक फेमस खेल है. ये देखने में जितना इंट्रेस्टिंग लगता है उससे भी ज्यादा ये खतरनाक है. पहले के जमाने में ये युद्धों में प्रयोग किया जाता था लेकिन अब इसे एक खेल बना दिया गया और इसे शालीनता के साथ तथा नियमों के अनुसार खेला जाता है.

मुक्केबाज़ी का इतिहास (History of boxing)

मुक्केबाज़ी की शुरुवात साल 1719 में मानी जाती है तथा इसका श्रेय जिम फिग को जाता है. उस समय ये खेल बिना दस्तानों के खेला जाता था. बाद में इसमें सुधार होते चले गए और दस्तानों के साथ कई और चीजें भी सुरक्षा को देखते हुए जुड़ गई. साल 1743 में मुक्केबाज़ी के नियम बनाए गए थे तथा इस खेल एक मध्य विश्राम का भी प्रावधान किया गया था.

ओलंपिक में मुक्केबाज़ी (Boxing in Olympic)

ओलंपिक में मुक्केबाज़ी की शुरुवात साल 1904 में हुई थी. तब इसे पहली बार सम्मिलित किया गया था. इसके बाद ये ओलंपिक का एक अभिन्न अंग बन गया. एशियाई खेलों में इसे साल 1954 में सम्मिलित किया गया था. भारत में पहली बार बॉक्सिंग की राष्ट्रीय प्रतियोगिता साल 1950 में मुंबई में हुई थी.

बॉक्सिंग रिंग का साइज़ (Boxing ring size)

बॉक्सिंग करने के लिए बॉक्सिंग रिंग की जरूरत होती है. अगर आप बॉक्सिंग सीखना चाह रहे हैं तो बॉक्सिंग रिंग के साइज़ के बारे में जरूर जाने. एक बॉक्सिंग रिंग का आकार कम से कम 12 वर्ग फीट होता है और अधिक से अधिक 20 वर्ग फीट होता है. ये एक स्टेज जैसा होता है और जमीन की सतह से ऊपर रखा जाता है. इसमें चारों तरफ रस्सियाँ लगी होती है.

बॉक्सिंग के लिए जरूरी सामाग्री (Boxing instruments)

बॉक्सिंग के लिए आपको कुछ जरूरी सामाग्री की आवश्यकता भी होती है जिन्हें आप बॉक्सिंग में उपयोग करने वाले हैं.

दस्ताने : बॉक्सिंग के लिए सबसे ज्यादा जरूरी चीज होती है दस्ताने जिन्हें हम ग्लव्स भी कहते हैं. ये उँगलियों को चोटों से बचाने के लिए पहना जाता है. इसका वजन 16 औंस का होता है.

दांत कवच : आपने देखा होगा की बॉक्सिंग खेलने से पहले बॉक्सिंग खिलाड़ी के दांतों में कुछ लगाया जाता है. ये के प्लास्टिक का लचीला टुकड़ा होता है जिसे दांतों की सुरक्षा के लिए दांतों व मसूड़ों के बीच लगाया जाता है ताकि दाँत किसी भी प्रहार से सुरक्षित रहे.

प्रोटेक्टर कप : ये एक ऐसा कवच है जिससे खिलाड़ी के प्राइवेट पार्ट की सुरक्षा की जाती है. मुक़ाबले के दौरान इसे अंडर वियर के अंदर धारण किया जाता है.

हेलमेट : कई प्रतियोगिताओं में बॉक्सर को हेलमेट दिये जाते हैं और कई में नहीं लेकिन आमतौर पर सिर की सुरक्षा के लिए हेलमेट जरूर पहनना चाहिए.

बॉक्सिंग में रैफरी और जज (Boxing referee and judge)

बॉक्सिंग के सभी मुकाबलों में एक रैफरी, तीन जज और एक समय पालक होता है. रैफरी रिंग में होता है. समय पालक रिंग के एक ओर बैठ कर समय के बारे में जानकारी देखता है. बाकी तीन दिशाओं में एक एक जज बैठे होते हैं. इनकी सीटें इस तरह लगी होती है की उन्हें सब सही-सही दिखे. तीनों जज स्वतन्त्रतापूर्वक अंक प्रदान करते हैं. अंक देने के लिए स्कोरिंग शीट प्रयोग में लाई जाती है.

बॉक्सिंग में स्कोर के नियम (Boxing Score rule)

बॉक्सिंग में स्कोर करने का एक ही फंडा होता है जो जितने ज्यादा सही मुक्के मारेगा उसे ज्यादा स्कोर मिलेगा. एक राउंड के अंत में ज्यादा मुक्के मारने वाले को 20 अंक मिलते हैं तथा दूसरे को उसे अनुपात में कम अंक प्राप्त होते हैं. इसमें कुल तीन राउंड होते हैं. तीनों राउंड को मिलाकर विजेता घोषित किया जाता है.

बॉक्सिंग में फ़ाउल कैसे होता है? (Boxing foul condition)

बॉक्सिंग में फ़ाउल के बारे में जरूर पता होना चाहिए क्योंकि इससे आप कितने भी मुक्के मारे अगर आपने सही मुक्के नहीं मारे तो आपको अंक नहीं मिलेंगे और वे फ़ाउल में गिने जाएँगे.

– यदि कोई खिलाड़ी धराशायी हो गया है और दूसरा खिलाड़ी उसे मारे जा रहा है तो ये स्थिति फ़ाउल कहलाती है.
– यदि कोई खिलाड़ी दूसरे खिलाड़ी को कसकर पकड़ लेता है और रैफरी के कहने पर भी नहीं छोड़ता है तो उसे फ़ाउल कहते हैं.
– अगर कोई खिलाड़ी दूसरे खिलाड़ी को कंधा मारता है तो उसे फ़ाउल कहते हैं.
– कोहनी से मारने की स्थिति को फ़ाउल कहते हैं.
– बॉक्सिंग की जगह कुछ खिलाड़ी कुश्ती का प्रयोग भी मारने के लिए करते हैं इसे भी फ़ाउल कहते हैं.
– खिलाड़ी के गुर्दे पर प्रहार करना फ़ाउल कहलाता है.
– बिना विरोधी के प्रहार किए जानबूझकर गिर जाना भी फ़ाउल कहलाता है.
– सिर से टक्कर मारने पर भी फ़ाउल होता है.
– सिर तथा शरीर के बल दूसरे खिलाड़ी के ऊपर लेट जाना फ़ाउल कहलाता है.

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By रवि नामदेव

युवा पत्रकार और लेखक

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