शहद के मधुर स्वाद से प्रायः सभी लोग परिचित हैं किन्तु यह कम ही लोग जानते हैं कि यह अनेक प्रकार के पौष्टिक विटामिनों से भरपूर है. इसमें विटामिन ए, बी और ई अधिक अनुपात में पाये जाते हैं. शहद शरीर को पोषण करने वाला तथा रक्तशोधक होता है. यह वात-पित्त-कफ का शमन करता है, भूख बढ़ाता है तथा आमाशय और गुर्दों को बल पहुंचाता है. जलोदर, मूत्राकृच्छ, पथरी तथा बहुमूत्रा में शहद हितकर होता है. इसके सेवन से यक्ष्मा, कुष्ठ, प्रमेह, कृमि, वमन, अतिसार, हिचकी आदि रोग नष्ट हो जाते हैं.
यह बात विशेष जानने की है कि शहद और शक्कर के गुणों में बहुत फर्क होता है. शहद में जो शक्कर होती है, वह पेट में जाने के उपरान्त तुरन्त ही शरीर में मिल जाती है किन्तु ऊख से बनी हुई शक्कर पेट में पच जाने के बाद ही शरीर को पोषण देने के योग्य होती है अर्थात् शहद की शक्कर में शरीर-पोषण का गुण कुदरती ही रहता है.
जिन बीमारियों में मरीज का वजन घट जाता है, उन बीमारियों में शहद बड़ा फायदेमन्द सिद्ध हुआ है. क्षयादि रोगों में भी मरीज को शहद से बहुत लाभ होता है. दूध में शहद मिलाकर पीने से शरीर पुष्ट होता है. दूध में शहद मिलाकर पीने वाले निरोग होते हैं. उन्हें किसी भी रोग के आक्रमण का बहुत कम डर रहता है. बहुत परिश्रम करने के बाद यदि उन थके-मांदे मनुष्यों को शहद पिलाया जाय तो उनकी थकावट शीघ्र ही नष्ट हो जाती है.
शहद में शरीर को ताकत और पुष्टि देने के कई गुण हैं. उसमें इतने अधिक गुण हैं कि इसके बदले इस प्रकार के किसी दूसरे पदार्थ को इस्तेमाल ही नहीं किया जा सकता. फेफड़े के अनेक रोग दूध और शहद से नष्ट हो जाते हैं.
अनेक आयुर्वेदिक औषधियों में शहद को अनुपान के रूप में प्रयोग तो बहुत से लोगों ने किया होगा किंतु एक बात की जानकारी कम ही लोगों को होगी कि शहद टूटी हुई हड्डी को जोड़ देने में भी बेजोड़ है.
गर्म करने से शहद अपने मौलिक गुण खो देता है क्योंकि इसके प्राकृतिक विटामिन क्षीण हो जाते हैं. दूध के साथ शहद का प्रयोग कामोद्दीपक और बल-वीर्यवर्धक होता है. पानी में मिलाकर शहद पीने से मोटापा कम हो जाता है, किन्तु शहद का उपयोग थोड़े परिमाण में करने की सावधानी रखनी चाहिए. कान में दर्द होने पर शहद की दो-तीन बूंदें डालने से दर्द बन्द हो जाता है. जिन लोगों का पेट प्रायः फूला करता है, उनको प्रतिदिन एक तोला शहद पानी में मिलाकर पिलाने से कुछ दिनों में पेट का फूलना बन्द हो जाता है.
शहद में घी या मक्खन मिलाकर खाने से बल मिलता है परन्तु दोनों बराबर-बराबर मात्रा में न हों. अधिकतर शीत ऋतु में ही शहद का सेवन करना चाहिए. इससे अधिक बल प्राप्त करने के इच्छुक पित्त प्रकृति के मनुष्यों को तीन-भाग मक्खन और एक भाग शहद मिलाकर सेवन करना चाहिए. वात प्रकृति वालों को एक चौथाई घी या मक्खन मिलाकर सेवन करना चाहिए. सर्दी या कमजोरी के कारण जब दिल की धड़कन गड़बड़ा जाय और रोगी का दम घुटता दिखाई दे तो चम्मच भर शहद उसे नई शक्ति प्रदान करता है.
शारीरिक परिश्रम करने वालों को शहद का सेवन करना लाभदायक है. छोटे बच्चों को जो दूध पिलाया जाय, उसमें भी यदि थोड़ा शहद मिलाकर दें तो वह शीघ्र ही हजम हो जायेगा.