दुर्गंध के नाम से ही हम नाक मुंह सिकुड़ने लगते हैं. ऐसे में कल्पना कीजिए आपसे बात करने वाले के मुंह से दुर्गंध आ रही हो तो वास्तव में उस समय आपका क्या हाल होगा.मुंह में बैक्टेरिया होने की वजह अक्सर मुंद से बदबू आती है. जमी हुई श्लेष्मा और नाक और गले की नली, पेट और आंत की नली, मूत्र नली, रक्त में जमने वाले अन्य विषैले पदार्थों से भी सांस से बदबू आती है. इस बदबू की वजह से कई बार आपको शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता है.
दरअसल, गंध एक ऐसी चीज़ है जिसका सीधा प्रभाव हमारे मनोभावों पर पड़ता है.गंध दो प्रकार की होती है- सुगंध और दुर्गंध. सुगंध से हमारे भाव खिले रहते हैं और दुर्गंध से हमारे भाव बुझे-बुझे से रहते हैं. मुंह से दुर्गंध अगर आती हो तो उसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. उसका इलाज करना चाहिए. अपनी दिनचर्या में बदलाव लाकर आप दुर्गंध को बाय-बाय कह सकते हैं.
पेट को साफ रखें-प्रतिदिन सुबह शौच अवश्य जाएं. प्रातः और रात्रि में सोने से पूर्व अपने दांतों की सफाई अवश्य करें ताकि खाने के कण दांतों में सड़न न पैदा कर सकें. दांतों की सफाई के साथ-साथ प्रतिदिन जीभ को भी साफ करें ताकि उस पर चिकनाई की परत न जमने पाए. दांतों या मसूड़ों संबंधी कोई भी समस्या होने पर दंत चिकित्सक के पास जाएं.
स्वस्थ रहने के नियमों को अपनाएं. कुछ भी खाद्य पदार्थ सेवन करने के बाद कुल्ला अवश्य करें ताकि बचे कणों को सड़ने का अवसर न मिल सके. दिन भर में खूब पानी पिएं. भोजन सात्विक करें.
तीखे दुर्गंध वाले खाद्य पदार्थों का सेवन कच्चा न करें जैसे प्याज, लहसुन आदि. करना भी पड़े तो भोजन के उपरांत सौंफ, इलाइची, मिश्री, लौंग लें. धूम्रपान का भी त्याग करें. मादक पदार्थों का भी त्याग करें.
फिर भी दुर्गंध बनी रहे तो अपने दंत चिकित्सक से अपने दांतों की जांच करवाएं और दुर्गंध के बारे में उन्हें बेहिचक बताएं.