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दिल्ली से पंजाब तक मुश्किल में केजरीवाल, खत्म हो जाएगी ‘आप’ ?

Arvind kejriwal-Arun Jaitley defamation case and existence of aam aadmi party. (Image source: aam aadmi party.org).
Arvind kejriwal-Arun Jaitley defamation case and existence of aam aadmi party. (Image source: aam aadmi party.org).
अन्ना हजारे के आंदोलन से निकली ‘आप’ देश के राजनीतिक पटल पर आंधी की तरह छाई और अब तूफान की तरह लौटती दिख रही है. (फोटो : aamaadmiparty.org)
अन्ना हजारे के आंदोलन से निकली ‘आप’ देश के राजनीतिक पटल पर आंधी की तरह छाई और तूफान की तरह लौटती दिख रही है. (फोटो : aamaadmiparty.org)

दिल्ली हाईकोर्ट में अरुण जेटली मानहानि मामले में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को झटका लगा है. कोर्ट ने 10 करोड़ रुपये के मानहानि मामले में मुख्यमंत्री के लिखित बयान के जवाब में दायर अरुण जेटली के उत्तर को निरस्त करने संबंधी उनकी याचिका मंगलवार को खारिज कर दी. बता दें कि केजरीवाल के खिलाफ दूसरे दीवानी मानहानि मामले में अरुण जेटली ने उन्हें पहुंची क्षति के रूप में 10 करोड़ रुपये की मांग की है. बहरहाल, मानहानि के मामले में अदालती चक्कर में फंसे आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल की सियासी मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं.

घट रहा है पार्टी का जनाधार
एक ओर पार्टी के मुखिया की इस तरह किरकिरी हो रही है वहीं पार्टी का जनाधार भी कम हो रहा है. अन्ना हजारे के आंदोलन से निकली ‘आप’ देश के राजनीतिक पटल पर आंधी की तरह छाई और अब तूफान की तरह लौटती दिख रही है. पंजाब में विपक्ष में रहते हुए करिश्मा करना तो दूर, सामान्य संवैधानिक जिम्मेवारी निभाने में भी असमर्थ दिख रही है.

पांच साल में कहां है पार्टी
हाल ही पार्टी ने में दिल्ली में अपना पांचवां स्थापना दिवस मनाया, लेकिन इसमें आयोजित समारोह में शोकसभा सा नजारा दिखा. कल तक जिस रामलीला मैदान में अरविंद केजरीवाल की रैलियों में पैर रखने को भी जगह नहीं मिलती थी वहां वालंटियर्स नहीं के बराबर थे. पार्टी का फोकस पिछले सालों के आत्मविश्लेषण पर था, लेकिन सभी नेताओं ने एक दूसरे को नीचा दिखाने में लगे रहे. कविहृदय कुमार विश्वास ने दिल्ली के मुख्यमंत्री और पार्टी सर्वेसर्वा केजरीवाल पर तंज कसते हुए कहा कि ‘अगर चंद्रगुप्त को अहंकार हो जाए तो चाणक्य का फर्ज है कि वह उसे वापस भेज दे.’ कुमार विश्वास के चंद्रगुप्त कौन है और कौन कौटिल्य, यह बताने की आवश्यकता नहीं.

पार्टी का पांचवां स्थापना दिवस कुछ खास नहीं रहा. नेता वहां एक दूसरे पर आरोप लगाते दिखे.
पार्टी का पांचवां स्थापना दिवस कुछ खास नहीं रहा. नेता वहां एक दूसरे पर आरोप लगाते दिखे. (फोटो : aamaadmiparty.org)

ऐसे मिला विश्वास को जवाब
हालांकि ‘आप’ में कुमार विश्वास के ऐसे आरोपों का तपाक से गोपाल राय ने जवाब दे डाला. राय ने कहा ‘मीरजाफर अभी अंदर है, उसे बाहर निकालने की जरूरत है.’ पार्टी में कई बार सार्वजनिक मंचों पर कुमार विश्वास को भाजपा-आरएसएस का आदमी घोषित किया जा चुका है और स्वाभाविक है कि मीरजाफर की उपाधि उन्हीं को दी गई.  बहरहाल, विश्वास कल को प्रशांत भूषण, योगेंद्र यादव, आनंद कुमार, मयंक गांधी, कपिल मिश्रा की पंक्ति में कुमार भी खड़े दिखाई दें तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए.

ये हुआ आप में बदलाव
दरअसल
, दिल्ली में सत्तारूढ़ दल के रूप में आम आदमी पार्टी की सरकार की कार्यप्रणाली की निंदा में बहुत कुछ कहा जा सकता है. इसको दोहराने की जरूरत नहीं. इसके लिए तो केवल एक उदाहरण देना ही काफी है कि आजकल दिल्ली हाईकोर्ट और देश के सर्वोच्च न्यायालय का अधिकतर समय केजरीवाल सरकार को फटकारने में ही जाया हो रहा है. केजरीवाल के पीछे न वैसी भीड़ है, न उनका वह नायकत्व बचा है. आम आदमी पार्टी इतनी जल्दी अपना नूर खो देगी, यह किसने सोचा था.

पंजाब में भी खराब हालत
दिल्ली के बाद पार्टी के दूसरे गढ़ पंजाब की बात करते हैं, जहां पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ी आम आदमी पार्टी व सहयोगी दल को 21 सीटों के साथ विपक्षी दल बनने का गौरव हासिल हुआ. पार्टी में अंतर्कलह इतना बढ़ा कि विपक्ष के नेता एडवोकेट एचएस फूलका ने चार-पांच महीने बाद ही अपना पद छोड़ दिया. इसके बाद सुखपाल सिंह खैहरा को विपक्ष का नेता बनाया गया जो कांग्रेस छोड़कर ‘आप’ में शामिल हुए थे. अकाली और बीजेपी की सरकार पर नशे को संरक्षण व प्रोत्साहन देने के आरोप लगाने वाली ‘आप’ के विधायक व विपक्ष के नेता सुखपाल सिंह खैहरा को ही फाजिल्का की अदालत ने नशा तस्करों से संबंध रखने के आरोप में समन दिया हुआ है.

पंजाब में भी पार्टी की हालत कुछ ठीक नहीं है. पार्टी के कई नेता गंभीर आरोप झेल रहे हैं. (फोटो : aamaadmiparty.org)
पंजाब में भी पार्टी की हालत कुछ ठीक नहीं है. पार्टी के कई नेता गंभीर आरोप झेल रहे हैं. (फोटो : aamaadmiparty.org)

ये हैं खैहरा पर आरोप
बता दें कि पंजाब के सीमावर्ती जिले फाजिल्का पुलिस ने पिछले साल एक बहुत बड़े अंतरराष्ट्रीय तस्कर गिरोह को गिरफ्तार किया था जिसके आरोपियों के साथ खैहरा के संबंध होने के आरोप हैं. पुलिस मामले की जांच कर रही है. इसको लेकर स्थानीय अदालत उनके खिलाफ अपराधिक दंड संहिता (सीआरपीसी) की धारा 319 के तहत समन जारी किया है.

निचली अदालत के समन को निरस्त करने की खैहरा की अपील पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय यह कहते हुए खारिज कर चुका है कि केस से जुड़े साक्ष्यों की अनदेखी नहीं की जा सकती, यानी सुप्रीम कोर्ट को भी लगता है कि मामला गंभीर है. कुल मिलाकर विपक्ष में रहते हुए भी यहां आम आदमी पार्टी विरोधियों से बुरी तरह घिरी हुई व रक्षात्मक दिखाई दे रही है.

पंजाब में इसलिए भी घिरी पार्टी
पंजाब विधानसभा चुनावों में पूर्व खालिस्तानी आतंकियों की मदद के आरोपों के चलते औंधे मुंह गिरी ‘आप’ ने इस गलती से कुछ नहीं सीखा. राज्य में हाल ही में हुई आतंकी गतिविधियों के आरोप में पुलिस ने भारतीय मूल के ब्रिटिश नागरिक जगतार सिंह जग्गी जौहल के रूप में कई लोगों को गिरफ्तार किया है. जग्गी जौहल को लेकर ब्रिटेन स्थित अलगाववादी संगठन होहल्ला मचा रहे हैं तो आम आदमी पार्टी ने भी इस शोरगुल में अपना सुर मिला दिया. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सांसद भगवंत सिंह मान ने मानवाधिकार की दुहाई दे कर जौहल की रिहाई के लिए आवाज उठानी शुरू कर दी है.

एक ओर जहां पार्टी के अस्तित्व पर सवाल उठ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर केजरीवाल का सियासी करियर दांव पर दिखाई दे रहा है? (फोटो : aamaadmiparty.org)
एक ओर जहां पार्टी के अस्तित्व पर सवाल उठ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर केजरीवाल का सियासी करियर अधर में दिखाई दे रहा है? (फोटो : aamaadmiparty.org)

क्या खत्म हो जाएगी पार्टी?
आतंकवाद का समर्थन करने व पार्टी के विधायक खैहरा के नशे के आरोप में घिरने के बाद पार्टी की खूब किरकिरी हो रही है और विभिन्न दलों को छोड़कर अपने उज्जवल राजनीतिक भविष्य के लिए आम आदमी पार्टी में आए नेताओं ने घरवापसी शुरू कर दी है. विपक्ष के नेता खैहरा के संकट में पड़ते ही उनके पद पर उनके ही साथियों ने नजरें गड़ा दी हैं और एक आध नेता को छोड़कर बाकी विधायकों ने खैहरा को किस्मत के सहारे छोड़ दिया है.

कुल मिलाकर सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों रूप में पार्टी अभी तक तो जनता की आकांक्षाओं पर खरा उतरती दिखाई नहीं दे रही. मात्रा पांच सालों में तेजी से उभरे एक राजनीतिक दल का इस तरह अल्पायु में अवसान होता है तो यह अध्याय भारतीय राजनीति के इतिहास में दुखद घटना के रूप में याद किया जाएगा.

(इस लेख के विचार पूर्णत: निजी हैं. India-reviews.com इसमें उल्लेखित बातों का न तो समर्थन करता है और न ही इसके पक्ष या विपक्ष में अपनी सहमति जाहिर करता है. यहां प्रकाशित होने वाले लेख और प्रकाशित व प्रसारित अन्य सामग्री से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है. आप भी अपने विचार या प्रतिक्रिया हमें editorindiareviews@gmail.com पर भेज सकते हैं.)

By राकेश सेन

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