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महिंद्रा एंड महिंद्रा ग्रुप के (mahindra and mahindra group CEO) आनंद महिंद्रा (Chairman of Mahindra Group Anand Mahindra) आज ऑटो जगत के बड़े नाम हैं. (Anand Mahindra and Automobile industry) 1 मई 1955 को महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में जन्में आनंद महिंद्रा आज देश और दुनिया के बड़े उद्योगपतियों में गिने जाते हैं. (mahindra and mahindra group of companies) महिंद्रा एंड महिंद्रा देश के बड़े औद्योगिक घरानों में पिछली तीन पीढ़ियों से शामिल हैं.

आनंद महिंद्रा फैमिली (Anand mahindra family)
पंजाब के लुधियाना में जगदीश चंद्र और कैलाश चंद्र (jagdish chandra mahindra Kailash Chandra Mahindra) जो कि आनंद महिंद्रा के दादा है ने महिंद्रा एंड महिंद्रा की नींव रखी जिसे आज आनंद महिंद्रा विरासत के रूप में बखूबी आगे बढ़ा रहे हैं. आज महिंद्रा ट्रैक्टर, (mahindra tractor) महिंद्रा बोलेरो (mahindra bolero) महिंद्रा एक्सयूवी (mahindra xuv), महिंद्रा स्कार्पियो (mahindra scorpio success story) जैसी कई गाड़ियां भारतीय और विदेशी सड़कों की शान बनी हुई है. इसके अलावा महिंद्रा ग्रुप वित्तीय सेवाओं (kotak mahindra group finance sector) , पर्यटन, इंफ्रास्ट्रक्चर, ट्रेंडिंग और लॉजिस्टिक सेवा में खासी भूमिका अदा करते हुए देश और दुनिया में अपना नाम आगे बढ़ा रहा है.

आनंद महिंद्रा की जीवनी 
आनंद महिंद्रा के पिता हरीश महिंद्रा को महिंद्रा एंड महिंद्रा ग्रुप (Harish Mahindra (father) Indira Mahindra (mother)) अपने पिता से विरासत में मिला. उनकी मां इंदिरा महिंद्रा भी पारिवारिक व्यवसाय से जुड़ी हुई रहीं. 1977 में हार्वर्ड कॉलेज से स्नातक करने के बाद 1981 में उन्होंने यहीं से स्नातक की डिग्री हासिल की. 

(anand mahindra wife) उनकी पत्नी का नाम अनुराधा महिंद्रा है जो कि एक प्रसिद्ध पत्रिका में एडिटर इन चीफ हैं. उनकी दो बेटियां हैं आलिया और दिव्या, जो की फ़िल्म और फैशन जगत में फिलहाल सक्रिय हैं. पढ़ाई पूरी करने के कुछ समय बाद आनंद महिंद्रा महिंद्रा कंपनी के निदेशक बने. 1997 में ग्रुप के प्रबंध निदेशक के रूप में उन्होंने कार्यभार संभाला.

(anand mahindra personality traits)
अपने कौशल और प्रतिभा के दम पर 1997 उन्होंने कंपनी का प्रबंध निदेशक होने का गौरव हासिल किया. आगे बढ़ने की सोच के साथ उन्होंने अपने ग्रुप को नित नई ऊंचाइयों पर पहुंचते हुए 2003 में कंपनी के वाइस चेयरमैन की कुर्सी संभाली. 2003 में उन्होंने कोटक महिंद्रा न्यू की नींव रखी और इसे आगे बढ़ाया.

2002 में उनके क्रिएटिव आइडियाज के दम पर कंपनी ने स्कॉर्पियो नाम की फोर व्हीलर लॉन्च की जो आज भारतीय सड़कों की शान बनी हुई है. सत्यम कंप्यूटर 2009 में 2010 में रेवा इलेक्ट्रिक का विलय आनंद महिंद्रा की आगे की सोच का नतीजा था.

आनंद महिंद्रा की सफलता की कहानी (Anand mahindra success story)
नई कंपनियों से व्यापार में सदा मशगूल रहने वाले महिंद्रा सामाजिक कार्यों में भी योगदान देते रहे है. आनंद महिंद्रा बड़े सक्रिय रूप से सोशल मीडिया पर लोगों से मिलते हैं. वह अपनी कंपनी की नई नीतियां, ऑटो जगत के नए मॉडल की लॉन्चिंग और खेल जगत से जुड़ी कई बातों को लेकर ट्विटर (anand mahindra twitter) पर अपने चाहने वालों से मुखातिब करते रहते हैं. आज ट्विटर पर उनके लगभग 2 करोड़ 85 लाख फॉलोअर हैं.

क्रिकेट और फुटबॉल के शौकीन आनंद महिंद्रा को भारत में प्रो कबड्डी लीग (anand mahindra pro kabaddi league) का सूत्रधार भी कहा जाता हैं. अपने अदम्य साहस, निर्णय क्षमता और व्यापारिक बुद्धि के दम पर आज आनंद महिंद्रा महिंद्रा एंड महिंद्रा ग्रुप को नई ऊंचाइयां दे रहे हैं.

वे सामाजिक सरोकारों से भी जुड़े हैं. लोगों से जुड़ने के लिए वे सदा सोशल मीडिया पर भी एक्टिव रहते हैं. आज तक आनंद महिंद्रा के साथ कोई बड़ा विवाद नहीं जुड़ा है. सादगी पसंद और ऊंची सोच रखने वाले भारत के बड़े उद्योगपति आनंद महिंन्द्र लगातार देश और दुनिया में भारत का गौरव बढ़ा रहे हैं.

आनंद महिंद्रा को सम्मान
2003-04 में ‘भारतीय उद्योग परिसंघ’ के अध्यक्ष, भारत के ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन (एआरएआई) के अध्यक्ष, भारत में हार्वर्ड बिजनेस स्कूल एसोसिएशन के सह-संस्थापक, ‘दावोस’ में विश्व आर्थिक मंच के सह-अध्यक्ष ,‘नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड’ में एक ‘जनप्रतिनिधि श्रेणी’ के निदेशक, ‘के.सी. महिंद्रा एजुकेशन ट्रस्ट’ के ट्रस्टी, एशिया सोसायटी के अंतर्राष्ट्रीय परिषद्’, न्यूयॉर्क के सह-अध्यक्ष और अन्य सामाजिक-व्यापारिक समूहों में सदा सक्रीय रहने वाले आनंद ‘महिंद्रा ने अपनी मां इंदिरा महिंद्रा के नाम पर हार्वर्ड विश्वविद्यालय को 100 करोड़ डॉलर का दान दिया.

एक उद्योगपति और जिम्मेदार नागरिक के रूप में आनंद महिंद्रा को कई सम्मानों ने नवाजा गया. जिनमें 2004 में फ्रांस के राष्ट्रपति द्वारा विशेष सम्मान ‘ऑर्डर ऑफ मेरिट’, ‘राजीव गांधी पुरस्कार’, 2005 में इन्हें ‘पर्सन ऑफ द ईयर’ ऑटो मॉनिटर और ‘लीडरशिप अवार्ड’ अमेरिकन इंडिया फाउंडेशन द्वारा, 2006 में ‘सीएनबीसी एशिया बिजनेस लीडर’ पुरस्कार,

‘लुधियाना मैनेजमेंट एसोसिएशन’ द्वारा ‘वर्ष के उद्यमी पुरस्कार’, 2007 में ‘एनडीटीवी प्रॉफिट’ द्वारा ‘वर्ष का सबसे प्रेरणादायक कॉर्पोरेट लीडर’ सम्मान, वर्ष 2008-2009 में बिजनेस लीडर के रूप में ‘इकॉनोमिक टाइम्स पुरस्कार’ मुख्य हैं. इनके ‘फार्म इक्विपमेंट सेक्टर’ को ‘जापान क्वालिटी मेडल’ प्राप्त हुआ है. यह सम्मान प्राप्त करने वाली विश्व की यह एकमात्र ट्रैक्टर कंपनी है. ‘डेमिंग पुरस्कार’ जीतने वाली भी यह विश्व की एकमात्र कंपनी है.

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One thought on “Anand mahindra: सफलता से शिखर तक की अनोखी कहानी”

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