साफ-सफाई मानव का स्वाभाविक सा गुण है, लेकिन कई जानवर भी इससे अछूते नहीं हैं. इन्हीं में से एक जानवर है बिल्ली. आपने यदि ध्यान दिया हो तो बिल्लियां अपना अधिकांश समय अपने मालिक को खुश करने, उछल–कूद मचाने और खुद को चाटने में व्यतीत करती हैं. वैज्ञानिकों ने 3-डी स्कैन की मदद से पता लगाया है कि बिल्लियां अपनी सफाई का खास ख्याल रखती हैं.
बिल्लियों पर हुई रिसर्च
“प्रोसीडिंग्स ऑफ दी नेशनल एकेडमी ऑफ साइन्सेज़” (यूएस) में प्रकाशित रिपोर्ट बताया गया कि एक अध्ययन के लिए तरह–तरह की बिल्लियों की जीभों के नमूने पोस्ट मॉर्टम के बाद लिए गए थे. इनमें एक घरेलू बिल्ली, एक बॉबकैट, एक प्यूमा, एक हिम तेंदुआ और एक शेर शामिल था. ये सभी बिल्ली प्रजातियों के जानवर हैं.
सभी बिल्लियों की जीभ पर शंक्वाकार (पैपिला) उभार थे साथ ही पैपिला के सिरे पर एक नली नुमा गर्त थी. बिल्लियां पानी के गुणों का फायदा उठाकर अपनी लार को बालों के नीचे त्वचा तक पहुंचाने में सफल होती हैं. पानी के ये दो गुण हैं पृष्ठ तनाव और आसंजन. पृष्ठ तनाव पानी के अणुओं के बीच लगने वाला बल है, जिसकी वजह से वे एक–दूसरे से चिपके रहते हैं. दूसरी ओर आसंजन वह बल है जो पानी के अणुओं को पैपिला से चिपकाए रखता है.
क्या रहा शोध का निष्कर्ष
जब बिल्लियों की खुद को चाटने की प्रक्रिया को स्लो मोशन में देखा गया तो पता चला कि चाटते समय उनकी जीभ के पैपिला लंबवत स्थिति में रहते हैं. इस वजह से वे बालों के बीच में से अंदर तक जाकर त्वचा की सफाई कर पाते हैं. वैज्ञानिकों ने पैपिला की इस क्रिया का उपयोग करके एक कंघी भी बना ली है, जिसे वे ‘जीभ–प्रेरित कंघी’ कहते हैं. इसका उपयोग करने पर पता चला कि यह मनुष्यों के बालों की बेहतर सफाई कर सकती है.
खुद को रखती हैं ठंडा
बिल्लियां खुद को चाटकर केवल अपनी सफाई नहीं करती बल्कि अपनी लार को फैलाकर वे खुद को शीतलता भी प्रदान करती हैं. बिल्लियों के पूरे शरीर पर पसीना ग्रंथियां पूरे शरीर पर नहीं पाई जातीं, बल्कि सिर्फ उनके पंजों की गद्दियों पर होती हैं. मनुष्यों में पूरे शरीर पर पाई जाने वाली पसीना ग्रंथियों से निकलने वाला पसीना शरीर को ठंडा रखने में मदद करता है. इन पसीना ग्रंथियों के अभाव में बिल्लियां अपनी लार की मदद लेती हैं. (स्रोत फीचर्स)