सेकंड हैंड कार खरीदने का मन बना रहे हैं तो आपको कुछ बातों का विशेष रूप से ख्याल रखना ज़रूरी है. क्यों कि सेकेंड हैंड कार खरीदते वक्त आप किसी भी तरह की गारंटी की उम्मीद नहीं कर सकते. ऐसे में पुराणी कार खरीदते समय अलर्ट रहना बेहद ज़रूरी है. यदि आप सजग रहेंगे तो ठगने से बच जाएंगे.
ज़रूरत और बजट के हिसाब से चुने कार
सेकेंड हैंड कार खरीदने से पहले अपनी पसंदीदा ऑटो कंपनियों की सूची बना लें और जिस कंपनी में आपको गुणवत्ता की कमी नज़र आए उसे सूची से बाहर रख दें. यह भी पहले ही तय कर लें की आप किस बॉडी टाइप की कार खरीदना चाहते हैं?
कार का मॉडल चुनते समय आपको अपने बजट पर भी ध्यान देना होगा. कार का मॉडल अपनी ज़रूरत और बजट के मुताबिक ही चुने, ताकि बाद में आपको पछताना न पड़े. वैसे बाजार में जो भी मॉडल आप खरीदना चाहतें हैं, वे कई रेंज में उपलब्ध होते हैं, इसलिए इस बारे में जानकारी हासिल कर लें.
टायर्स पर दें ध्यान
कार खरीदते समय चारों टायर ध्यान से देखते हुए इस बात पर गौर करें कि क्या सभी टायर्स समान घिसे हुए हैं. टायर के बाहरी और अंदरूनी हिस्से को चेक कर लें कि कहीं कोई टायर अंदर या बाहर से कटा हुआ तो नहीं है. टायर्स में पर्याप्त थ्रेडिंग भी होना चाहिए. थ्रेडिंग चेक करने के लिए एक सिक्के को टायर में डालें और देखें वह कितना अंदर तक जाता है. यदि सिक्का ज्यादा अंदर तक नहीं जाता है तो कार में नए टायर डलवाने की जरूरत है.
इंजन भी जांचें
कार का इंजन चेक करते टाइम यदि आपको ऑयल की लीकेज दिकहे तो समझ लें की गाड़ी अंडर मैनटेनेंस है. इसके बाद इंजन बेल्ट को देखें कि वह सही ढंग से फिट है या नहीं, अधिक घिसी बेल्ट मतलब गाड़ी में सुधर की ज़रूरत है. फ्यूड्स भी देखें कि उसका लेवल सही है या नहीं.
यदि इंजन के ऑयल का कलर अधिक काला और गंदा होने का मतलब है कि कार का रखरखाव ढंग से नहीं किया गया है. कार का इंजन साफ नहीं होने का एक मतलब फ्यूल प्रॉब्लम की निशानी भी है.
टेस्ट ड्राइव के समय इंटीरियर भी करें चेक
कार खरीदने से पहले किसी जानकर व्यक्ति के साथ आप गाड़ी को टेस्ट ड्राइव पर ले जाएं. टेस्ट ड्राइव पर जाते समय कार की स्टार्टिंग, इंजन की आवाज, ब्रेक को भी चेक कर लें. यदि ब्रेक लगाने पर कार में वाइब्रेशन हो तो समझ जाइए कि ब्रेक पैड्स घिसने शुरू हो गए हैं.
बेकार सड़क पर कार चलाकर देखें कहीं केबिन से ज्यादा आवाज तो नहीं आ रही. अधिक आवाज आने का सीधा सा मतलब है कि बॉडी पैनल और डोर फिटिंग ढीली हो गई है. इंटीरियर फिटिंग और स्विच भी चेक कर लेना चाहिए.
सर्विस हिस्ट्री
कार का यूजर मैनुअल देखकर यह भी पता लगा लें कि कार की सर्विसिंग और मेंटेनेंस कब-कब करवाई गई है. क्या सर्विसिंग के दौरान कभी कोई बड़ी खराबी निकली है. सर्विस हिस्ट्री से पता चल जाएगा कि इंजन ऑयल सही समय पर बदलवाया जा रहा है या नहीं.
(नोट: यह लेख आपकी जागरूकता और समझ बढ़ाने के लिए साझा किया गया है. अधिक जानकारी के लिए किसी ऑटो एक्सपर्ट की सलाह ज़रूर लें.)