सनातन धर्म में तम को हरकर उजाला फ़ैलाने वाले पर्व को ‘दीपावली’ के रूप में मनाया जाता है. दीपों के इस पर्व से पूरा देश जगमगाता है. पुराणों के मुताबिक श्रीराम लंकापति रावण को पराजित कर और अपना वनवास समाप्त कर अयोध्या वापस लौटे, तो अयोध्यावासियों ने कार्तिक अमावस्या की रात को दीपों के उजाले से भर दिया था.
लक्ष्मी पूजन की है परंपरा
माता लक्ष्मी के पूजन का दीपावली की रात विशेष महत्व है. देश में दिवाली पर लक्ष्मी पूजन करने की परंपरा है. मां लक्ष्मी के साथ-साथ श्री गणेश, कुबेर पूजन और बही-खाता पूजन भी किया जाता है. दिवाली पर उपासक को अपने सामर्थ्य के अनुसार व्रत करना चाहिए.
दीपावली पूजन का मुहूर्त
बुधवार 7 नवंबर की रात 21.31 बजे तक अमावस्या रहेगी और 19.36 बजे तक स्वाति नक्षत्र रहेगा. इसके बाद विशाखा नक्षत्र शुरू हो जाएगा. वृश्चिक लग्न सुबह 6.56 से 9.13 बजे तक और कुंभ लग्न 13.05 से 14.35 बजे तक रहेगा. यदि आप व्यवसाय करते हैं तो इस लग्न में पूजन करने से लाभ मिलेगा.
शाम 17.41 से वृष लग्न शुरू होकर 19.38 बजे तक चलेगा, जो कि लक्ष्मी पूजन के लिए उत्तम मुहूर्त है. इसके बाद सिंह लग्न रात 12.09 से रात 2.23 बजे तक चलेगा यह मुहूर्त भी दीवाली पूजन के लिए श्रेष्ठ है.
दीपावली पूजन विधि
पूर्व या पश्चिम दिशा की ओर मुख कर चौकी पर माता लक्ष्मी व गणेश जी की प्रतिमाओं को रखें. साथ ही लक्ष्मीजी की प्रतिमा गणेशजी के दाहिनी ओर विराजित करें. कलश को लक्ष्मीजी के पास चावलों पर रखकर नारियल को लाल वस्त्र में लपेट कलश पर रख दें. घी का दीपक गणेश जी और तेल का दीपक लक्ष्मी जी के सामने रखें.
दूसरी चौकी रखकर उस पर लाल वस्त्र बिछाएं और उस पर लाल वस्त्र पर चावल से नवग्रह बनाएं. रोली से स्वास्तिक और ॐ भी बनाएं. पूजन करने क लिए उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करें. ध्यान रहे की केवल प्रदोष काल में ही माता लक्ष्मी का पूजन किया जाए.
पंचगव्य (दूध, दही, शहद, गंगाजल और शर्करा) का भोग चांदी के पात्र में लगाएं. पूजन के दौरान ‘ॐ भूर्भव: स्व: महालाक्ष्मै नम:’ का जाप करें. पूजन और आरती के बाद चूरा, खील-बताशे, लई, गट्टे, सफ़ेद मिष्ठान और मौसमी फल चढ़ाएं.
व्यापारी पूजन के समय अपने बही-खातों के साथ सिक्कों की थैली-तिजोरी की चाभी का भी पूजन करें. दिवाली को लक्ष्मी पूजन के बाद वाहनों और गाय का पूजन भी करें. गाय का पूजन करने के बाद उसे मिष्ठान खिलाएं.
(नोट: यह लेख आपकी जागरूकता, सतर्कता और समझ बढ़ाने के लिए साझा किया गया है. पूजन या धार्मिक अनुष्ठान करते समय आप किसी पंडित या ज्योतिषी की सलाह जरूर लें.)