दुनिया भर में कैंसर के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं. लाइफ स्टाइल से जुड़ी यह बीमारी अब बच्चों को भी अपना शिकार बना रही है. कैंसर की मुख्य वजह अनियमित रहन-सहन और गलत खान-पान की वजह बन रही है. मगर धीरे-धीरे यह बीमारी अनुवांशिक हो गई है.
बीमारी के अनुवांशिक होने के कारण इसका असर अब छोटे-छोटे बच्चे पर भी दिखने लगा है. एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार भारत में कैंसर के जितने मरीज आते हैं, उनमें से लगभग पांच फीसदी मामले 15 साल से कम उम्र के बच्चों के होते हैं.
करीब 50 हजार बच्चों को हर साल होता है कैंसर
कैंसर तेजी से बच्चों को अपनी चपेट में ले तो रहा है, लेकिन बच्चों में कैंसर होना बहुत आम नहीं है. पर्याप्त आंकड़े नहीं होने के कारण हमारे देश में इस तरह के मामलों का पूरी तरह अनुमान लगाना संभव नहीं है. हालांकि एक छपी रिपोर्ट के अनुसार भारत में प्रति वर्ष 14 साल से कम उम्र के करीब 50 हजार बच्चे कैंसर का शिकार हो जाते हैं.
नहीं हो पाती कैंसर के लक्षणों की पहचान
डॉक्टर्स का कहना है कि बच्चों में कैंसर के लक्षणों की पहचान आसानी से नहीं हो पाती है. इसी कारण कैंसर के मामलों का निदान भी नहीं हो पाता है. एक बड़ा कारण बेहतर स्वास्थ्य सेवा तक लोगों की पहुंच न होना भी है. इन्ही कमियों के कारण बच्चों में कैंसर पैर पसारता जा रहा है.
समय से शुरू नहीं होता इलाज
दुनिया भर में किसी भी बीमारी के फैलने का एक बड़ा कारण मरीज का देरी से स्वास्थ्य केंद्र पर पहुंचन है. पहले तो प्राथमिक स्तर पर बीमारी को पहचनने में देरी होना. दूसरा उचित इलाज के लायक केंद्रों तक रेफर करने की सुस्त प्रक्रिया से इलाज की दर में कमी आती है.
बीमारी की शुरुआत में ही इलाज शुरू कर जाए तो बीमारी को काबू किया जा सकता है. कई बार उचित देखभाल होने के बाद भी अनावश्यक रूप से की गई देरी, गलत परीक्षण, अधूरी सर्जरी या अपर्याप्त कीमोथेरेपी से भी इलाज पर नकारात्मक असर पड़ता है.
बच्चों में कैंसर के लक्षण (Cancer Symptoms in Children)
शरीर में पीलापन और रक्तस्राव (जैसे चकत्ते, बेवजह चोट के निशान या मुंह या नाक से खून आना) कैंसर के लक्षण हैं. इसके अलावा हड्डियों में दर्द. शरीर के किसी खास हिस्से में दर्द न होना और दर्द के कारण बच्चे का अक्सर रात को जाग जाना.
बच्चे का अचानक लंगड़ाना, वजन उठाने में परेशानी या अचानक चलना छोड़ देना. बच्चे की पीठ में दर्द होना. टीबी से संबंधित ऐसी गांठें जो इलाज के छह हफ्ते बाद भी बेअसर रहें. अचानक उभरने वाले न्यूरो संबंधी लक्षण.
दो हफ्ते से ज्यादा समय से सिर में दर्द रहना. सुबह-सुबह उल्टी होना और लड़खड़ा कर चलना. अचानक से पेट, सिर, गर्दन और हाथ-पैर पर चर्बी आ जाना. अलावा अकारण लगातार बुखार, उदासी और वजन गिरना.