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चिंता और भय ह्यूमन नेचर का हिस्सा हैं और कभी न कभी हर मानव किसी न किसी प्रकार के भय व चिंता से ग्रस्त होता ही है. मानव का चिंता और भय से घिर जाना कोई बड़ी बात है, लेकिन जब यह दोनों भावनाएं बढ़ कर आपके नियंत्रण से बाहर हो जाएं तो समझिए आप एंग्जाइटी  डिस्‍ऑर्डर के शिकार हो गए हैं. हमारे देश में इस बीमारी से पुरुषों से ज्यादा महिलाएं पीड़ित हो रही हैं.

क्या है social anxiety disorder 

सोशल एंग्जाइटी डिस्‍ऑर्डर एक मानसिक विकार है, जो आमतौर पर 13 से 35 साल की उम्र के लोगों में ज्यादा देखने को मिलता है. समय रहते सोशल एंग्जाइटी डिस्‍ऑर्डर का ट्रीटमेंट न होने पर यह फोबिया का रूप ले लेता है. बदलती लाइफ स्टाइल और टेंशन इसके मुख्य कारण हैं. बहुत से लोगों को इसके लक्षण पता न होने के कारण वे इससे अनजान हैं.

महिलाएं हो रहीं अधिक शिकार

महिलाओं में सोशल एंग्जाइटी की समस्या काफी तेज़ी से बढ़ती जा रही है. पुरूषों की तुलना में महिलाएं इस समस्या से अधिक ग्रस्त हैं. 35 साल के आसपास की उम्र वाली महिलाएं इस गंभीर बीमारी की शिकार हो रही हैं.

क्या हैं बीमारी के लक्षण

बोलते हुए घबराहट होना, पेट में हलचल, कमजोरी, थकावट, बेवजह चिंता, हाथ-पैर का बेवजह कांपना, घबराहट, डर, नकारात्मक विचार, बेकाबू होना, रात में अचानक उठ जाना, लोगों से डर लगना, हाथ-पैरों का ठंडा होना, मांसपेशियों में सूजन इस बीमारी के लक्षण हैं.

शारीरिक रूप से रहे सक्रिय, करें योग

डेली एक्सरसाइज करें जिससे दिमाग का ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है और उसकी कार्यक्षमता बढ़ती है. ब्रीदिंग एक्सरसाइज व शीतली प्रणायाम करें. योग करें जिससे मेटाबॉलिक रेट बढ़ाता है. ध्यान करने से आपको मानसिक शांति मिलेगी. इसके अलावा कैफीन और मादक पदार्थों से दूर रहें.

डाइट में शामिल करें हेल्दी फूड

सोशल एंग्जाइटी के मरीज की डाइट में ताजे फल, सब्जियां और साबुत अनाज को शामिल करें. एक साथ भारी खाना न खाकर दिन में 5 से 6 बार थोड़ी-थोड़ी मात्रा में खाएं. ऑइली और स्पाइसी खाना न खाएं.

ऐसे रोके एंग्जाइटी डिसआर्डर को

एंग्जाइटी से बचने के लिए सबसे पहले अपनी अस्त-व्यस्त लाइफ स्टाइल को सुधारें. समय पर सोने, उठने और भोजन का समय निश्चित करें. एंग्जाइटी से बाहर निकलने के लिए साइकोथेरेपी बेहद कारगर उपाय है.

साइकोथेरपी में पेशेंट से लंबी चर्चा कर उसकी मानसिक स्थिति को समझने में मदद मिलती है. शोध में पता चला है कि सोशल लाइफ में व्यस्त रहने वाले लोगों को एंग्जाइटी का खतरा नहीं होता.

(नोट : यह लेख आपकी जागरूकतासतर्कता और समझ बढ़ाने के लिए साझा किया गया है. यदि किसी बीमारी के पेशेंट हैं तो अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें.)

By दीपेन्द्र तिवारी

युवा पत्रकार. लोकमत समाचार, Network18 सहित विभिन्न अखबारोंं में काम. Indiareviews.com में Chief Sub Editor.

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