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बचपन की यादे जीवन मे कभी भी भुलाई नहीं जाती. जब हम छोटे थे, तो बिना किसी टेंशन मे अपनी एक अलग ही दुनिया में मशगूल रहते थे. बचपन मे सबसे ज्यादा दोस्तो के साथ कबड्डी खेलने मे मजा आता था. मुझे आज भी याद है, जिस तरह ढलती शाम मे गांव के मैदान मे जब हम सब दोस्त कबड्डी खेलते थे, तो अधिकांश व्यक्ति वहा एकत्रित हो कर खेल का आनंद लेते थे. हल्की सी गीली मिट्टी पर कबड्डी-कबड्डी ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाते हुये जब हम विपक्षी दल मे जाते थे, तो साथी खिलाड़ियो के साथ गांव के व्यक्ति भी हमारा होसला बड़ाते थे. उस समय किसी ने भी इस बात की कल्पना नहीं की होगी की गांव के गलियारो मे खेले जाने वाला कबड्डी का खेल इंटरनेशल मैदान तक पहुच जाएगा.

भारतीयो का सबसे ज्यादा पसंद किए जाने वाला खेल भी कबड्डी ही है. आज हम इस खेल को इंटरनेशल लेवल पर खिलाड़ियो को खेलते हुये जब टीवी या मैदान पर देखते है, तो बचपन की वह यादे एक पुनः जाग्रत हो जाती हैं. हालाकी गाव के गलियारे से इंटरनेशल मैदान तक पहुचने के बाद इस खेल मे काफी बदलाव भी हमे देखने को मिले हैं. फिर बात इस खेल के नियम की हो या फिर खेलने का तरीका.

बीते कुछ सालो मे कबड्डी मे हमे काफी बदलाव देखने को मिला है, कुछ समय पहले इस खेल को अधिक महत्वता नहीं दी जाती थी, यह खेल मंहज गांव तक ही सीमित थी, लेकिन बच्चो के साथ-साथ बड़ो मे भी इस खेल के प्रति उत्तेजना की भावना देखने को मिली. जिसकी बदोलत आज इस खेल को देश ही नहीं विदेशो मे भी पसंद किया जाने लगा है. मुझे अच्छी तरह से याद है जब धूल से भरी जमीन पर हम यह खेल खेलते थे, लेकिन अब तो इस खेल की परिभाषा ही बदल गई है. धूल भरी जमीन का स्थान मैदान ने ले लिया. अब तो लाखो लोगो के बीच खिलाड़ी स्पोर्ट्स की चमकदार जर्सी पहने हुये खिलाड़ी दूसरे खिलाड़ियो को घूमते नजर आते हैं. कहा जा सकता है की लोगो के मन मे इस खेल का संचार बड़ाने का काम प्रो कबड्डी लीग कर रहा है.

प्रो कबड्डी लीग की जब से शुरुआत हुई है, तभी से लोगो मे इस खेल के प्रति उत्तेजना ओर भी बड़ गई हैं. अब तो इस कबड्डी के खिलाड़ियो पर लाखो रुपए खर्च कर उन्हे मैदान पर उतारा जाता है. यदि इस खेल के इतिहास की बात की जाए तो, इस खेल को अलग-अलग नामो से भी जाना जाता है. जैसे हू-तू-तू , हा-डू-डू और चेडु-गुडु. कबड्डी के खेल को भारत में महाभारत से भी जोड़ा जाता है. कहा जाता है, की अभिमन्यु ने कौरवों के रचे गए चक्रव्यूह को तोड़ा था, लेकिन युद्ध के दौरान अभिमन्यु मारे गए थे. यही पल कबड्डी का खेल याद दिलाता है.

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