वैसे तो मीठा अधिकतर लोगों की चाहत होती है क्योंकि हर खुशी की बात पर मुंह मीठा कराने की बात की जाती है पर इंसान अनजाने में दिन भर में इतना मीठा खा लेता है कि उसे इसका आभास ही नहीं होता कि कितना फालतू मीठा शरीर में चला गया है. दिन भर की चाय में, बिस्कुट, टाॅफी, चाॅकलेट, आइसक्रीम, मिठाई और शीतल पेयों से शरीर को काफी मीठा मिल जाता है.
प्रकृति ने शरीर को ऐसा नहीं बनाया कि शरीर में अधिक मीठा इकट्ठा होने पर हम स्वस्थ रह सकें. ऐसा होने पर हमें कई भयंकर बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है जैसे दिल की बीमारी, डायबिटीज और इम्यून सिस्टम का कमजोर होना. मीठा एक धीमा जहर है जो धीरे-धीरे शरीर की अंदरूनी क्रियाओं पर दुष्प्रभाव डालता है.
अधिक मीठे से होने वाली समस्याएंः-
पित्ताशय और पित्त नली के कैंसर के खतरे को बढ़ाता है.
ब्लडप्रेशर को बढ़ाने में सहायक होता है.
माइग्रेन सिरदर्द को बढ़ावा मिलता है.
अधिक मीठा खाने से मोटापा बढ़ता है.
दांत खराब होते हैं. दांतों में सड़न और मसूढे़ कमजोर पड़ जाते हैं.
दिल की बीमारी के लिए अधिक मीठा खतरनाक होता है.
अधिक मीठे के सेवन से महिलाओं को स्तन कैंसर होने के खतरे को बढ़ावा मिलता है.
अधिक मीठा किडनी को भी नुकसान पहुंचाता है.
पिताशय में पथरी का निर्माण करने में सहायक होता है.
अधिक मीठा पेट में गैस की शिकायत को बढ़ावा देता है.
गठिया के दर्दों का प्रमुख कारण मीठे की अधिकता भी होती है.
मीठा शरीर में मौजूद विटामिन ‘बी‘ और ‘क्रोमियम‘ को नष्ट करता है.
इसके अधिक सेवन से कोलेस्ट्रोल, ट्राइग्लिसराइड और इंसुलिन का स्तर बढ़ता है.
डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों का सेवन कम से कम करना चाहिए. रेशायुक्त भोजन अधिक से अधिक करना चाहिए. भोजन में प्रतिदिन उचित मात्रा में प्रोटीन, विटामिन्स, खनिज तत्व युक्त आहार का सेवन करें. जो व्यक्ति संतुलित आहार लेते हैं उन्हें मीठा अधिक नुकसान नहीं पहुंचाता. प्राकृतिक मीठे फलों का सेवन करें जैसे बेर, खजूर, गाजर, सेब, शकरकंदी, पपीता आदि. बाजारु ‘मुरब्बों‘ और ‘साॅफ्ट ड्रिंक्स‘ के स्थान पर घर का बना ताजे फलों का रस लें. अधिकता किसी भी चीज की नुकसान पहुंचाती है, इस बात का ध्यान अवश्य रखें.
अतिरिक्त मीठे का सेवन मजबूरीवश थोड़ा सा ही करें. दिन, त्यौहार, खुशी के मौकों पर बस चखने के लिए ही मीठा खायें. खाने के बाद मीठा खाने की आदत को कभी बढ़ावा न दें.