ज्योतिष के नवग्रहों में (saturn planet in astrology) शनि देव को गॉडफादर कहा जाता है. शनि ग्रह मकर और कुंभ राशि के स्वामी और तीन दृष्टियों से देखने वाले ग्रह हैं.
शनिदेव की जहां वक्री दृष्टि अशुभ मानी जाती है वहीं उनकी (saturn drishti on which houses) शनि ग्रह की तीसरी, सातवी और दसवी दृष्टि भी अपने कुंडली में भावों, कारक तत्वों के चलते व राशि के अनुसार फल देती है.benefits of worshipping shani dev
पुराणों में शनि देव यम देवता के भाई और सूर्यपुत्र कहे जाते हैं. शनि जहां न्याय के देवता है तो वहीं सूर्यदेव नौ ग्रहों में राजा की तरह कार्य करते हैं. किसी भी जातक की कुंडली में यदि शनि की स्थिति अच्छी है तो वह अपनी दशा और अंतर्दशा में शुभ अशुभ फल देंगे.
शनिवार को शनि पूजा का महत्व और उपाय
शनिवार के दिन शनि पूजा का महत्व ज्योतिष और हिन्दू धर्म में बहुत उच्च माना जाता है.शनि ग्रह को कर्मफल के प्रतीक के रूप में जाना जाता है और इसका महत्वपूर्ण रूप से पूजन किया जाता है क्योंकि यह कर्म और न्याय की प्रतीक है. यह पूजा शनि ग्रह के किसी दोष को कम करने और जीवन में सुख और समृद्धि की प्राप्ति में मदद कर सकती है।
शनिदेव के उपाय (shani dev ke upay bataiye) : शनि पूजा को सही तरीके से करने के लिए निम्नलिखित उपायों का पालन करें:
शनि मंत्र जप: (shani dev mantra in hindi) पूजा की शुरुआत में, “ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः” मंत्र का 108 बार जप करें. मंत्र को ध्यान से और भक्ति भाव से पढ़ें.
शनि शांति होम या पूजा: यदि आपकी कुंडली में शनि ग्रह के दोष हो, तो एक पंडित से सलाह लें और उनके मार्गदर्शन में शनि शांति होम या पूजा करवाएं.
शनि की मूर्ति की स्थापना: शनि पूजा के लिए शनि ग्रह की मूर्ति की स्थापना करें। इस मूर्ति को धूप, दीप, चंदन, और बिल्व पत्रों के साथ पूजें.
शनि व्रत (उपवास) (shani dev ka vrat kaise karen) : शनिवार को उपवास करें. इसके दौरान केवल एक बार खाना खाएं और शनि ग्रह की पूजा करें.
दान करें: गरीबों को खाना, कपड़े, या धन का दान करें, इससे आपके कर्मों को पुनः देखा जाता है और शनि ग्रह की कृपा मिलती है.
नीला या काला कपड़ा पहनें: शनिवार को नीला या काला रंग के कपड़े पहनें, इससे शनि ग्रह की शांति मिल सकती है.
शनि की पूजा विधान: शनि पूजा के साथ दिनभर ध्यान, भक्ति, और श्रद्धा से शनि की उपासना करें.
कर्णवेला शनिवार: यह एक विशेष प्रकार का शनिवार होता है, जिसे कर्णवेला शनिवार कहा जाता है. इस दिन लोग अन्न, कपड़े, और धन दान करते हैं ताकि उन्हें शनि ग्रह की कृपा मिले.
आपको बता दें कि शनिदेव नवग्रहों में एक महत्वपूर्ण ग्रह हैं. पुराणों और ग्रंथों में शनिदेव की कई कथाओं का वर्णन किया गया है. शनिदेव के उपायों में शनि चालीसा का पाठ तो करें ही अपितु शनिदेव की कथा (shani dev ji ki katha in hindi) का शनिवार के दिन पाठ करें.
शनि की साढ़े साती- (shani ki sade sati kya hota hai)
शनि की साढ़ेसाती (what is shani sade sati in hindi) को ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण घटना माना जाता है। यह एक व्यक्ति के जीवन पर गहरा प्रभाव डाल सकती है। शनि को न्याय का देवता माना जाता है और इसे कर्म का फल देने वाला ग्रह भी माना जाता है, इसलिए, शनि की साढ़ेसाती को एक व्यक्ति के पिछले कर्मों का फल माना जाता है.
शनि की साढ़ेसाती के दौरान, व्यक्ति को कई प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. इनमें आर्थिक परेशानियां, स्वास्थ्य समस्याएं और पारिवारिक समस्याएं शामिल हैं। हालांकि, शनि की साढ़ेसाती हमेशा बुरी नहीं होती है. कुछ लोगों के लिए यह अवधि उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने वाली भी हो सकती है.
शनि की साढ़ेसाती के तीन चरण होते हैं: (shani sade sati charan)
- उच्चावस्था: जब शनि राशि से 12वीं, 11वीं और 10वीं राशि में होता है, तो यह उच्चावस्था में होता है. इस चरण में, व्यक्ति को आर्थिक और करियर में सफलता मिल सकती है.
इस चरण में, व्यक्ति को अपने कर्मों का फल प्राप्त होने लगता है.(Duration and period of Shani Mahadasha) जो लोग अच्छे कर्म करते हैं, उन्हें इस चरण में सफलता और धन की प्राप्ति होती है। जो लोग बुरे कर्म करते हैं, उन्हें इस चरण में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है.
- मध्यावस्था: जब शनि राशि से 9वीं, 8वीं और 7वीं राशि में होता है, तो यह मध्यावस्था में होता है. इस चरण में, व्यक्ति को कई प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, जैसे कि आर्थिक परेशानियां, स्वास्थ्य समस्याएं और पारिवारिक समस्याएं.
इस चरण में, व्यक्ति को अपने पिछले कर्मों के फल का भुगतान करना पड़ सकता है। जो लोग अच्छे कर्म करते हैं, उन्हें इस चरण में भी सफलता मिल सकती है, लेकिन उन्हें कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। जो लोग बुरे कर्म करते हैं, उन्हें इस चरण में कई प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है.
- अधोवस्था: जब शनि राशि से 6वीं, 5वीं और 4वीं राशि में होता है, तो यह अधोवस्था में होता है। इस चरण में, व्यक्ति की परेशानियां कम होने लगती हैं और वह अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव देख सकता है.
इस चरण में, व्यक्ति को अपने कर्मों के फल का पूर्ण भुगतान मिल जाता है, जो लोग अच्छे कर्म करते हैं, उन्हें इस चरण में सफलता और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। जो लोग बुरे कर्म करते हैं, उन्हें इस चरण में भी कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन वे अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव देख सकते हैं.
शनि की साढ़ेसाती के दौरान, कुछ उपाय करके व्यक्ति इस अवधि के प्रभाव को कम कर सकता है. इन उपायों में शामिल हैं:
- संतोषी जीवन जीना.
शनि को संतोष पसंद है। इसलिए, शनि की साढ़ेसाती के दौरान व्यक्ति को संतोषी जीवन जीना चाहिए। इससे शनि का प्रभाव कम होता है।
- दान करना.
दान करने से व्यक्ति के कर्म अच्छे होते हैं। इसलिए, शनि की साढ़ेसाती के दौरान व्यक्ति को दान करना चाहिए। इससे शनि का प्रभाव कम होता है।
- शनि मंदिर में जाना.
शनि मंदिर में जाकर शनि देव की पूजा करने से शनि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इससे शनि की साढ़ेसाती के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
- शनि मंत्रों का जाप करना.
शनि मंत्रों का जाप करने से शनि का प्रभाव कम होता है। शनि के कुछ प्रमुख मंत्रों में “ऊँ शन्नो देवीरभिष्टम” और “ऊँ शनिश्चराय नम:” शामिल हैं.
शनिदेव की आरती- (shani dev ki aarti in hindi)
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥
श्याम अंग वक्र-दृष्टि चतुर्भुजा धारी।
नी लाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥
क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥
मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥
देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
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शनिदेव की यह आरती भी आप पढ़ सकते हैं- (shani dev aarti in hindi lyrics)
जय जय श्री शनिदेव भगवान।
करमुख करमुख उदार अविनाशी।
धन्यनिमेष पूजित पावन दिवसी।
नाथ पवन नाथ पावन सुत जाया।
जय प्रियकान्त सानी धरणीधर आया।
दुःखिनी सुखकारी अरुणवर आदित्य।
ग्रहराज गौरीश शुचिनाथ महिती।
त्रिलोक नायक अचल अविनाशी।
मनमोहक दानी दुःखहर्ता सानी।
सौराष्ट्रवासी रविवारपुत्र अदितिसुत ग्रहाधीश्वरा।
चायापान कराने संकट काटने सानी ध्वाज उठाया।
जय जय श्री शनिदेव भगवान।
करमुख करमुख उदार अविनाशी।
धन्यनिमेष पूजित पावन दिवसी।