दशहरा को एक प्रमुख हिन्दू त्योहार के रूप में मनाया जाता है. इस दिन भगवान राम ने लंकापति रावण का वध किया था तथा सीता माता को उनकी कैद से छुड़ाया था. (Dussehra Puja Vidhi) बुराई पर अच्छाई की जीत के इस पर्व को हर साल धूम-धाम से मनाया जाता है.
दशहरा पर रावण का वध तो किया ही जाता है साथ ही दशहरा पूजा भी की जाती है. इस दिन विशेष रूप से दशहरा पूजा किए जाने का प्रावधान है. इसके अलावा शाम को रावण को विधि-विधान (Dussehra Puja Vidhi) से जलाया जाना चाहिए.
दशहरा पूजा कैसे करें? (Dussehra Puja Vidhi)
दशहरे के दिन दशहरा पूजा अवश्य करनी चाहिए. दशहरा पूजा पर रावण की पूजा नहीं की जाती है बल्कि भगवान राम, माता सीता और हनुमान जी की पूजा की जाती है. (Dussehra Puja Vidhi) इनसे आप अपनी विजय के लिए कामना कर सकते हैं क्योंकि ये विजयादशमी का त्योहार है.
– दशहरा पूजा के लिए सुबह जल्दी स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
– इसके बाद प्रभु श्रीराम, माता सीता और हनुमान जी की पूजा करें.
– पूजा करने के बाद गोबर के 10 गोले बनाएं.
– इनके ऊपर जौ के बीज लगाएं.
– इन्हें धूप और दीप दिखाकर इनकी पूजा करें.
-इसके बाद इन गोलों को जला दें.
ऐसा कहा जाता है कि ये 10 गोले रावण के दस सिर हैं जो उसकी 10 बुराइयाँ हुआ करती थी. इन्हें जलाने से आपके अंदर से भी ये नष्ट हो जाते हैं. अपने अंदर की बुराई को खत्म करने के की भावना के साथ ये 10 गोले जलाए जाते हैं.
दशहरा शुभ मुहूर्त (Dussehra Shubh Muhurat)
इस साल का दशहरा काफी खास है इस दिन विजय, अमृत काल और दुर्हुमूर्त जैसे शुभ योग बन रहे हैं, जो ज्योतिष में बहुत महत्वपूर्ण माना गया है. दशहरे के शुभ मुहूर्त की बात करें तो
दशमी तिथि की शुरुआत- 04 अक्टूबर 2022, दोपहर 2:20 बजे से
दशमी तिथि समाप्ति- 5 अक्टूबर 2022, दोपहर 12 बजे से
श्रवण नक्षत्र प्रारंभ- 4 अक्टूबर 2022, रात 10 बजकर 51 मिनट से
श्रवण नक्षत्र समाप्ति- 5 अक्टूबर 2022, रात 09 बजकर15 मिनट तक
विजय मुहूर्त- 5 अक्टूबर 2022, दोपहर 02 बजकर 13 मिनट से 02 बजकर 54 मिनट तक
रावण दहन कब करें? (Ravan Dahan Timing)
दशहरा पर रावण दहन पूरे देश में किया जाता है. यदि आप रावण दहन के लिए सही समय की तलाश कर रहे हैं तो ध्यान रखें कि आप सूर्यास्त के बाद 8:30 बजे तक रावण दहन कर सकते हैं. इस अवधि में रावण दहन किया जाना काफी अच्छा माना जाता है.
अपराजिता पूजा कैसे करें? (Aprajita Puja Vidhi)
विजयादशमी की एक खास पूजा अपराजिता पूजा भी है. इसे किए बिना दशहरा पूर्ण नहीं माना जाता है.
– सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
– घर के पूर्वोत्तर में कोई पवित्र स्थान चुनें.
– उस स्थान को साफ करें.
– उस स्थान पर चंदन के लेप से अष्टदल चक्र (कमल की आठ पंखुड़ियाँ) बनाएं.
– पुष्प और अक्षत के साथ अपराजिता देवी की पूजा का संकल्प लें.
– अष्टदल चक्र के मध्य में अपराजिताय नमः मंत्र बोलकर माँ अपराजिता का आह्वान करें.
– अष्टदल चक्र के दाई ओर क्रियाशक्तयै नमः मंत्र का जाप कर माँ जया का आह्वान करें.
– अष्टदल चक्र के बाई ओर उमायै नमः मंत्र का जाप कर माँ विजया का आह्वान करें.
– इसके बाद अपराजिताय नमः, जयायै नमः, विजयायै नमः मंत्र के साथ शोडषोपचार पूजा करें.
– अपने कार्यों में विजय के लिए माँ से प्रार्थना करें.
– अंत में ‘हारेण तु विचित्रेण भास्वत्कनकमेखला, अपराजिता भद्ररता करोतु विजयं मम मंत्र के साथ पूजा का विसर्जन करें.
इस तरह आप अपराजिता माता की पूजा करके अपनी विजय की कामना कर सकते हैं. आप किसी व्यापार को शुरू करना चाहते हैं, भवन बनवाना चाहते हैं या कोई भी शुभ कार्य करना चाहते हैं तो दशहरे पर अपराजिता पूजा कर सकते हैं.
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