सितंबर के माह में श्राद्ध पक्ष शुरू हो जाएंगे, जिसके बाद ये 16 दिनों तक चलेंगे. श्राद्ध करने से (Shradh Paksha Vidhi) आपके पितृ को शांति मिलती है तथा आपका भी सांसारिक जीवन सुखमय होता है.
श्राद्ध पक्ष को लेकर कई तरह की भ्रांतियाँ होती हैं. लेकिन इन सभी भ्रांतियों के जवाब जानने चाहिए. श्राद्ध पक्ष कब और कैसे मानना चाहिए? इस बारे में हिन्दू धर्म के लोगों को अवश्य जानना चाहिए.
श्राद्ध पक्ष कब है? (Shradh Paksha Kab hai?)
श्राद्ध पक्ष को भाद्रपद माह की पूर्णिमा से लेकर आश्विन माह की अमावस्या तक माना जाता है. मतलब भाद्रपद माह की पूर्णिमा से लेकर आश्विन माह की अमावस्या तक के 16 दिनों को ही श्राद्ध पक्ष, पितृ पक्ष या सोलह श्राद्ध कहा जाता है.
साल 2022 में श्राद्ध पक्ष 10 सितंबर से शुरू हो रहे हैं जो 25 सितंबर तक चलेंगे. (Shradh Paksha 2022) इस दौरान आपको पितृ शांति के लिए हर संभव प्रयास करने चाहिए.
श्राद्ध करने की प्रक्रियाँ (Shradh Paksha Vidhi)
श्राद्ध करने की मुख्यतः दो प्रक्रिया है.
1) पिंडदान : इसे आप श्राद्ध पक्ष में किसी पवित्र नदी के किनारे जाकर किसी ब्राहमण की मदद से कर सकते हैं.
2) ब्राह्मण भोज : श्राद्ध पक्ष में उचित तिथि पर ब्राहमण को भोजन कराना चाहिए. ब्राहमण के मुख से देवता हव्य को तथा पितृ कव्य को खाते हैं.
पंचबलि कर्म क्या है? (Panchbali Karm Kya hai?)
श्राद्ध पक्ष के दौरान पंचबलि कर्म करने का प्रावधान है. इसमें गौ बलि, श्वान बलि, काक बलि, देवादि बलि, पिपलिका बलि है. (Shradh Paksha Vidhi) बलि का अर्थ हत्या से नहीं बल्कि इन्हें भोजन कराने से है. श्राद्ध पक्ष मे आपको इन पांचों को भोजन कराना चाहिए.
श्राद्ध कब किया जाता है? (Shradh Kab Kare?)
आपने देखा होगा कि आपके घर में किसी नियत तिथि को ही श्राद्ध किया जाता है. पूरे 16 दिन तक श्राद्ध नहीं किया जाता है. (Shradh Paksha Vidhi) आमतौर पर ये मान्यता होती है कि जिस तिथि को स्त्री या पुरुष का निधन होता है उसी तिथि को उसका श्राद्ध किया जाता है.
इसके अलावा भी कुछ और दिन श्राद्ध किये जाते हैं.
– किसी सन्यासी व्यक्ति का निधन हो जाता है तो उसका श्राद्ध द्वादश तिथि को किया जाता है.
– शस्त्राघात में मारे गए या दुर्घटना में मारे गए व्यक्ति का श्राद्ध चतुर्दशी के दिन किया जाता है.
– सौभाग्यवती स्त्री का श्राद्ध नवमी के दिन किया जाता है.
– घर की स्वर्गवासी बुजुर्ग दादी-नानी का श्राद्ध आश्विन शुक्ल की प्रतिपदा को किया जाता है.
– आपको घर के बुजुर्ग के निधन की तिथि पता नहीं है तो आप अमावस्या के दिन श्राद्ध कर सकते हैं. इसे सर्वपितृ अमावस्या कहते हैं.
श्राद्ध कैसे करें? (Shradh Kaise Kare?)
अपने पितृ की शांति के लिए आपको श्राद्ध जरूर करना चाहिए.
– सुबह उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
– देव स्थान या पितृ स्थान को गोबर से लीपें और गंगाजल से पवित्र करें.
– ब्राहमण को भोज के न्योता दें.
– श्राद्ध के लिए भोजन बनाएं, भोजन नहाकर ही बनाएं.
– ब्राहमण से पितृ पूजा और तर्पण आदि कराएं.
– पितृ को अग्नि में गाय का दूध, दही, घी एवं खीर अर्पित करें.
– गाय, कौआ, कुत्ता और अतिथि के लिए चार भोजन के ग्रास निकालें.
– ब्राह्मण को आदरपूर्वक भोजन करें, उन्हें दक्षिणा देकर सम्मानित करें.
– अपने पितृ की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें.
– ब्राहमण से भोजन कैसा बना है ये नहीं पूछना चाहिए और न ही ब्राह्मण को भोजन की तारीफ करनी चाहिए.
श्राद्ध पक्ष में गाय, कुत्तों और कौए को भरपेट भोजन कराना चाहिए. इससे पितृ बेहद प्रसन्न होते हैं. अपने पितृ की आत्मा की शांति के लिए हमें श्राद्ध जरूर करना चाहिए. यही वो एक दिन होता है जब आप पितृ की आत्मा की शांति के लिए कोई कार्य करते हैं.
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