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fema and fera act

भारत में जब काले धन, Money Laundering और विदेशी निवेश की बात होती है तो FEMA Act की भी बात की जाती है. क्योंकि विदेशी मुद्रा के भारत में नियंत्रण के लिए ये एक महत्वपूर्ण कानून है. भारत में कोई भी विदेशी मुद्रा कहाँ से आ रही है, कितनी खर्च हो रही है और किस काम के लिए खर्च हो रही है? इन सभी बातों की जानकारी सरकार के लिए बेहद जरूरी होती है और यहीं पर काम आता है FEMA ऐक्ट.

FEMA Act क्या है? (What is FEMA Act 1999?) 

FEMA एक ऐसा कानून है जो भारत में विदेशी मुद्रा के प्रबंधन से संबंधित है. भारत में किसी दूसरे देश की मुद्रा कितनी आ रही है, ये मुद्रा किसके पास है, कौन इसका संरक्षण कर रहा है? इन सभी बातों की जानकारी सरकार को होना चाहिए. 

इस कानून के मुताबिक कुछ ऐसे नियम बनाए गए हैं जो विदेशी मुद्रा खर्च करने और इकट्ठा करने से संबंधित है. आपने भी सुना होगा कि कोई व्यक्ति कैश में कुछ सीमित डॉलर ही भारत ला सकता है. 

इसके अलावा कोई व्यक्ति भारत में अपने पास कुछ सीमित डॉलर ही रख सकता है. अब कोई व्यक्ति अगर इन नियमों का उल्लंघन करता है तो उस पर कानूनी कार्यवाही की जाती है. 

FERA Act क्या है? (What is FERA Act 1973?) 

FEMA की कहानी शुरू होने से पहले कहानी शुरू होती है FERA Act की. FERA Act को साल 1973 में लाया गया था.  फेरा का पूरा नाम Foreign Exchange Regulation Act है.  

इस कानून के अनुसार रिजर्व बैंक को विदेशी मुद्रा का संरक्षक बनाया गया था. इस कानून के तहत विदेशी मुद्रा के संरक्षण को महत्व दिया गया. उस समय हर किसी के पास आपको डॉलर दिखाई नहीं देते थे. 

सरकार का ये कानून देश के लिए मुसीबत बन गया. साल 1991 में जब आर्थिक संकट आया तो देश की अर्थव्यवस्था में उदारीकरण की नीति अपनाई गई. जिसके फलस्वरूप अंतर्राष्ट्रीय व्यापार आसान हो गया. 

उस समय इस कानून में थोड़ी ढील दी गई थी कोई नया कानून नहीं लाया गया था. नया कानून साल 1999 में FEMA Act के नाम से लाया गया था. जिसे FEMA Act 1999 कहा जाता है.  

FEMA Act Full Form

FEMA Act 1999 का पूरा नाम Foreign Exchange Management Act 1999 है.  इसे हिन्दी में विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम कहते हैं. इसे FERA Act के स्थान पर लाया गया था. इसके आने के बाद FERA को समाप्त कर दिया गया. 

FEMA Act के प्रमुख प्रावधान (Important Point of FEMA Act) 

FEMA Act को विदेशी मुद्रा के लेनदेन करने के लिए बनाया गया था. इसके तहत कुछ प्रमुख प्रावधान हैं जो आपको पता होना चाहिए.  

– इसके दायरे में भारत में निवास कर रहे प्रत्येक व्यक्ति, हिन्दू अविभाजित परिवार, कोई कंपनी, ऑफिस, संस्था, फर्म, विदेशी कंपनी द्वारा भारत में संचालित शाखा आती है. 

– इसके तहत विदेशी मुद्रा और विदेशी प्रतिभूतियों (Foreign Exchange and Security) का किसी ऐसे व्यक्ति या संस्था से लेनदेन करना जो आरबीआई द्वारा अधिकृत नहीं है उसे प्रतिबंधित किया गया है.  

– FEMA Act 1999 के अनुसार चालू कहते के द्वारा आप लोटरी टिकट, प्रतिबंधित मैगजीन, फुटबॉल टीम खरीदना, भारतीय कंपनी द्वारा विदेश में स्थित अपनी किसी शाखा को निर्यात की एवज में कमीशन देना लोटरी की जीती गई रकम को बाहर भेजना प्रतिबंधित है. 

– निर्यात के एवज में कमीशन के रूप में डॉलर देना प्रतिबंधित है लेकिन आप रुपए में कितनी भी राशि कमीशन में दे सकते हैं. 

– भारत के नागरिक के चालू खाते द्वारा विदेशी प्रिन्ट मीडिया में 10000 डॉलर से अधिक का विज्ञापन देना, किसी स्पोर्ट्स में 1 लाख डॉलर से अधिक की स्पॉन्सरशिप देने के लिए सरकार से मंजूरी लेना आवश्यक है. 

– कोई व्यक्ति विदेशी यात्रा, गिफ्ट डोनेशन, विदेश में रोजगार, विदेश में प्रवास, सगे संबंधियों को पैसे भेजने, व्यापार, चिकित्सा, शिक्षा पर 2.5 लाख डॉलर रुपए तक खर्च कर सकता है. 

– चिकित्सा और शिक्षा पर 2.5 लाख डॉलर से अधिक खर्च किये जा सकते हैं लेकिन उसके लिए अस्पताल या यूनिवर्सिटी द्वारा इसकी पुष्टि की जानी चाहिए.  

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FEMA Act में सजा का प्रावधान (Punishment in FEMA Act?) 

FEMA Act के नियमों का उल्लंघन करता यदि कोई व्यक्ति पकड़ा जाता है तो उस पर उल्लंघन में शामिल राशि का तीन गुना या दो लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है.  

विदेशी मुद्रा का संरक्षण और खर्च भारत में बेहद ही सोच-समझकर करना चाहिए. डॉलर को भारत में लाने से पहले आपको जान लेना चाहिए कि कितने डॉलर आप ला सकते हैं और कितने भारत में खर्च कर सकते हैं.  

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