क्या आपको अंडा, मूंगफली, सोयाबीन, मछली-गेहूं या दूध आदि पीने के पश्चात् कोई दर्द होता है? क्या आपके बच्चे को कुछ चीजें जैसे आइसक्रीम, पेस्ट्री आदि के बाद पेट दर्द होने लगता है? यदि हां तो शायद उसे इन पदार्थों से ‘फूड एलर्जी‘ है. यूं तो एलर्जी एक बहुत बड़ा शब्द है. कुछ लोगों को मौसम विशेष से और कुछ को विशिष्ट कपड़ों से एलर्जी की शिकायत हो सकती है किंतु भोज्य पदार्थों से एलर्जी सर्वाधिक प्रचलित है.
इस एलर्जी के कई लक्षण होते हैं. कुछ लोगों को मुंह में खुजली-सी होने लगती है तो कुछ को जीभ और गले में सूजन आ जाती है. कुछ लोगों को सांस लेने से तकलीफ हो सकती है जबकि कुछ लोगों को कब्ज, डायरिया व वमन की शिकायत हो सकती है. ये शिकायतें प्रायः ऐसी वस्तु खाने के दो घंटे के भीतर हो सकती हैं. कुछ लोगों को खांसी व कुछ अन्य शिकायतें भी हो सकती हैं.
कुछ लोगों को गेहूं से एलर्जी होती है किंतु इस एलर्जी के लक्ष्ण तुरंत दिखाई नहीं देते बल्कि कुछ सप्ताह से कुछ मास के पश्चात दिखाई दे सकते हैं. ऐसे लोगों को चिड़चिड़ापन, कमजोरी, पेटदर्द व डायरिया की शिकायत हो सकती है.
आपको किस भोज्य पदार्थ से एलर्जी है, इसका पता तो अनुभव से ही लगाया जा सकता है. प्रायः लोगों को दूध, अंडा, मूंगफली, सोयाबीन, मछली, गेहूं आदि में से किसी एक या अधिक भोज्य पदार्थों से एलर्जी हो सकती है. यह एलर्जी प्रायः जीवन पर्यन्त रहती है.
एलर्जी का पता लगाने के लिए मरीज से एक फूड डायरी बनाने को कहा जाता है, जिसमें प्रत्येक खाई पी गई वस्तु का रिकार्ड रखना होता है. इस डायरी और एलर्जी कब हुई, इन जानकारियों के आधार पर यह तय करने का प्रयास किया जाता है कि किस भोज्य पदार्थ से एलर्जी है. एक बार यह पता चल जाने पर कि किस भोज्य पदार्थ से एलर्जी है, इस पदार्थ से दूर रहना ही एलर्जी से दूर रख सकता है. यदि किसी बच्चे को दूध से एलर्जी हो, उसे न केवल दूध बल्कि दूध से बने पदार्थ-जैसे दही, पनीर, मक्खन, चाकलेट, आइसक्रीम आदि से भी दूर रहना चाहिए. एलर्जी हेतु अभी ऐसी दवाएं नहीं बनी हैं, जो इसे सदा के लिए ठीक कर सकें.
कुछ भोज्य पदार्थों को सदा के लिए भोजन से निकाल देने पर भोजन संतुलित नहीं रहेगा जो बच्चों के लिए विशेष रूप से खतरनाक हो सकता है. ऐसे में डॉक्टर से सलाह लेकर बच्चे के संतुलित विकास के लिए विशेष भोजन चार्ट बनवा लेना चाहिए ताकि बच्चा कुपोषण द्वारा अन्य बीमारियों का शिकार न हो सके.
(नोट : यह लेख आपकी जागरूकता, सतर्कता और समझ बढ़ाने के लिए साझा किया गया है. यदि किसी ला ईलाज बीमारी के पेशेंट हैं तो अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें.)
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