हिंदू धर्म में ब्रह्मा, विष्णु और शिव की त्रिशक्ति में शिव सबसे अलग हैं. (Mahashivratri) शंकर भक्तों के सर्वप्रिय हैं. वे भोले, सरल, सहज और सारी पूजा पद्धतियों और आडंबर से दूर अपने भक्तों के लिए सुलभ और आसानी से वर प्रदान करने वाले हैं. लेकिन जितना सरल शिव का दिखाई देने वाला स्वरूप है, उतना ही रहस्यमय उनका वह रूप है जिस तक सामान्य भक्त और व्यक्ति की निगाह नहीं पहुंचती.
भक्तों के लिए सरल और सहज रूप में उपलब्ध महादेव महज दो बिल्व पत्र में प्रसन्न होने वाले देव हैं. एक ओर जहां शिव इस अखिल ब्रह्मांड की वह चेतना हैंं, जो कण-कण में समाहित है.
शिव से गूढ़ तत्व दर्शन की उत्पत्ति हुई, वे जटिल और दुरूह साधना पद्धतियों के अधिपति हैं. वे कला, विज्ञान, योग, और ब्रह्मांड के संहारक, संसार की कारणमात्र शक्ति और संपूर्ण चेतना, व प्रत्येक जीवों में समान रूप से समाहित होने वाले हैं. शिव अलौकिक रूप से जितने रहस्मयी और आश्चर्य पैदा करने वाले हैं उतने ही उनका लौकिक संसार भी आश्चर्यों से भरा हुआ है.
दरअसल, शिव तक पहुंचने का लौकिक और अलौकिक दोनों ही मार्ग आज भी सबसे दुर्गम और आश्चर्यों से भरा पड़ा है. एक ओर जहां शिव की उपासना के लिए बनाई गई साधना पद्धतियां हैं जो अच्छे-अच्छों विद्वानों, दार्शनिकों और गूढ़ विद्या के जानकारों को हैरत में डाल देती है, तो वहीं भोलेनाथ के दर्शन के लिए उनका निवास स्थान कैलाश पर्वत भी दुर्गम और आज भी अजेय है.
दरअसल, पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शिव जहां विराजते हैं या कह लें महादेव जहां रहते हैं वह स्थान है कैलाश पर्वत. पृथ्वी का सर्वाधिक जटिल और रहस्यमयी भूगोल. ऐसी जगह जो आज भी सबसे ज्यादा रहस्यों से भरी है. जहां आज तक कोई मनुष्य नहीं पहुंच पाया. हजारों सालों की वैज्ञानिक उन्नति के बीच भोलनाथ का कैलाश पर्वत आज भी अविजित खड़ा हुआ है. अपराजेय और अपनी दुर्लभ भौगोलिक संरचना के साथ शिव की ही तरह अपने शांत और तृप्त.
हिंदू पौराणिक गाथाओं में शिव जो आदियोगी और तपस्वी हैं उनका निवास स्थान हिमालय पर कैलाश मानसरोवर ही बताया गया है. हिंदू धर्म में यह स्थान पवित्र तीर्थस्थल ही है. यह स्थान पृथ्वी के अद्भुत रहस्यमयी जगहों में से एक है. शिवपुराण, स्कंद पुराण, मत्स्य पुराण में कैलाश खंड नाम के इस स्थान महिमा बताई गई.
कैलाश पर्वत जो कि हिमालय क्षेत्र में मानसरोवर भू-भाग में स्थित है उस पर चीन का कब्जा हो गया. (What is special about Mount Kailash?) कैलाश पर्वत की संरचना 4 दिक् बिंदुओं के समान है. यह एक तरह से विशाल पिरामिड की तरह ही है. एक तरह से 100 छोटे पिरामिडों का केंद्र.
कहां स्थित है कैलाश पर्वत? (where is mount kailash located)
कैलाश पर्वत हिमालय पर्वतमाला में स्थिति है. देश के आधार पर देखा जाए तो यह तिब्बत क्षेत्र में जो इस समय चाइना के अधीन है वहां स्थित है. (Mount Kailas, Tibet Autonomous Region, China) हालांकि यह दुनिया की सबसे ऊंचा पर्वत नहीं है बल्कि इसकी ऊंचाई माउंट एवरेस्ट से 2200 मीटर कम ही है. (Why no one has climbed Mount Kailash?) इस तरह कैलाश पर्वत की ऊंचाई 6600 मीटर ही है. आश्चर्य की बात यह है कि एवरेस्ट की ऊंचाई से कम होने के बाद भी कैलाश पर्वत पर आज तक कोई चढ़ नहीं पाया जबकि इसकी तुलना में एवरेस्ट पर 7 हजार लोग चढ़ चुके हैं.
हालांकि आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि यदि कोई कैलाश पर्वत पर नहीं चढ़ पाया है तो फिर मानसरोवर यात्रा क्या होती है?
दरअसल, मानसरोवर यात्रा के दौरान श्रद्धालु उस स्थान पर तो पहुंचते हैं लेकिन कैलाश पर्वत को दूर से ही प्रणाम कर लौट आते हैं.
कैलाश पर्वत की खास बात है. यह पृथ्वी की एकमात्र ऐसी जगह है जहां इतनी ऊंचाई पर आपको झील मिलेगी वह भी एक नहीं बल्कि दो. पहली झील का नाम है मानसरोवर झील जो कि इतनी ऊंचाई पर पहली शुद्ध पानी की सबसे बड़ी झील है. इस झील का आकार सूरज की तरह है, यानी की गोल.
दूसरी झील का नाम है राक्षस झील. इस झील की खास बात यह भी इतनी ऊंचाई पर बनी यह दुनिया की सबसे बड़ी खारी झील है जिसका आकार चंद्रमा की तरह है. इन झीलों को लेकर आज भी वैज्ञानिक खोज कर रहे हं कि आखिर इतनी ऊंचाई पर ये झीलें आई कैसे? इन्हीं सब कारणों से कैलाश पर्वत को रहस्यमयी कहा जाता है.
आपको जानकार आश्चर्य होगा कि वैज्ञानिक कैलाश पर्वत को पृथ्वी का केंद्र बिंदु मानते हैं. पृथ्वी के एक तरफ उत्तरी ध्रुव है तो वहीं दूसरी ओर दक्षिणी ध्रुव और दोनों ध्रुवों के बीच में है हिमालय पर्वत श्रृंखला और हिमालय पर्वत है. वैज्ञानिक इस केंद्र बिंदु को एक्सिस मुंडी कहते हैं.
वैज्ञानिक भाषा में इसका अर्थ होता है दुनिया की नाभि या आकाशीय ध्रुव या फिर इसे भौगोलिक ध्रुव केंद्र भी कह सकते हैं. जो लोग इस जगह पर गए हैं या फिर इस क्षेत्र की रिसर्च टीम का हिस्सा रहे हैं उनके मुताबिक इस स्थान में लगातार ऐसी ध्वनि आती रहती हैं जैसे यहां से हवाई जहाज गुजर रहे हों लेकिन ध्यान से सुनने पर यह डमरू या ऊं की तरह सुनाई देती है.
कैलाश पर्वत की 4 दिशाओं से ही 4 नदियों का उद्गम हुआ है, इनमें ब्रह्मपुत्र, सतलज, सिंधु और करनाली है. इसके अलावा यहां से चीन की भी कई नदियां निकली हैं.
समय-समय पर इस इलाके को लेकर हुई शोध बताती हैं कि दुनिया के अन्य पर्वतीय इलाकों से यह क्षेत्र बहुत ही अलग है. कहा जाता है कैलाश पर्वत पर कोई चढ़ नहीं पाया. इधर रशिया के वैज्ञानिकों ने एक रिपोर्ट यूएनस्पेशियल में 2004 में प्रकाशित की थी जिसके मुताबिक 11वी शताब्दी में एक तिब्बती बौद्ध भिक्षु मिलारेपा ने इस पर चढ़ाई की थी, लेकिन उसने कभी कुछ बताया नहीं. लिहाजा यह बात आज भी रहस्य ही है.