1 फरवरी को हर साल भारत का बजट संसद में पेश किया जाता है. इसे देश के वित्त मंत्री प्रस्तुत करते हैं और देश के लिए आगे क्या नई वित्तीय योजनाएं हैं, टैक्स स्लैब कैसा रहेगा ये सब इसी में तय होता है? बजट के आने पर तमाम तरह के कयास लगाए जाते हैं कि income tax कितना प्रतिशत रहने वाला है, GST कितना रहने वाला है, महंगाई कितनी बढ़ेगी, नौकरीपेशा लोगों को क्या लाभ मिलेगा?
इन सभी सवालों के जवाब तो आपको बजट (Budget 2022) के आने पर मिल जाते हैं लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि बजट कैसे तैयार किया जाता है? एक साल के बजट में एक देश की अर्थव्यवस्था समाई होती है. इसमें पूरी अर्थव्यवस्था का एक ढांचा होता है जिसके अनुसार आने वाले समय में भारत कैसे आगे बढ़ेगा इसका एक ढांचा होता है. इसलिए ये जानना बेहद जरूरी है कि बजट कैसे बनता है?
बजट क्या होता है? (What is budget in Hindi)
बजट पूरे साल के आर्थिक खर्चो का एक अनुमान होता है. इसमें वित्तीय मंत्री के द्वारा सरकार के समक्ष अपनी व्यय का अनुमान लगाकर आने वाले साल के लिए कई योजनाएं बनाकर जनता के सामने हर वित्तीय वर्ष के दौरान प्रस्तुत करती है. एक आदर्श बजट वही होता है जिसमें स्वार्थ न हो. सरकार द्वारा बजट के द्वारा अपने नागरिकों को लाभ देने के लिए कई योजनाएं बनाई जाती है.
कैसे बनता है बजट? (Budget making process in India)
बजट बनाना कोई एक दिन का काम नहीं है. इसमें महीनों लगते हैं. ये पूरे साल भर का आय व्यय का लेखा-जोखा होता है जिसे वित्तमंत्री संसद में सभी के समक्ष पेश करते हैं. बजट कैसे बनाया जाता है? (How budget prepared in india?)इसकी तैयारी कैसे की जाती है आप नीचे दिये गए बिन्दुओं के आधार पर सम्झ सकते हैं.
बजट बनने की शुरुआत कैसे होती है?(How budget is prepared and executed in India?)
बजट को बनाने का काम अगस्त-सितंबर से ही शुरू हो जाता है. मतलब बजट बनाने का काम बजट के पेश होने से 6 महीने पहले ही शुरू हो जाता है. वित्त मंत्रालय संबन्धित मंत्रालयों को बजट से संबन्धित फॉर्म और सर्कुलर जारी करता है. इसे आगे अधिकारियों को वितरित किया जाता है. जिन विभागों में इन्हें भेजा जाता है उनका लेखा-जोखा इसमें मांगा जाता है.
बजट के लिए डाटा कहाँ से आता है? (Data for budget making)
किसी भी बजट को बनाने के लिए डाटा की जरूरत पड़ती है. इस साल कितना खर्च हुआ और अगले साल कितना खर्च हो सकता है इसका अनुमान लगना बजट में बेहद जरूरी होता है. डाटा को इकट्ठा करने के लिए सभी विभागों के शीर्ष अधिकारियों से जमीनी स्तर पर जानकारी मांगी जाती है. इसका अप्रूवल मिलने के बाद इस डाटा को संबन्धित मंत्रालय को भेज दिया जाता है.
वित्त मंत्रालय इस डाटा की जांच करता है और वर्तमान स्थिति और उपलब्ध संसाधनों को देखते हुए आने वाले बजट का निर्धारण किया जाता है. इसमें ये भी तय किया जाता है कि आने वाले बजट में किस डिपार्टमेन्ट को कितना पैसा दिया जाएगा.
बजट कंपोज़ीशन (Budget composition)
वित्त मंत्रालय देश का हर पहलू पर निरीक्षण करता है और फिर राजस्व आवंटित करता है. मंत्रालय नई योजनाएं भी इसी आधार पर तैयार करता है. कई मामलों में संसाधनों के आवंटन को लेकर मंत्रालय के बीच विवाद हो जाता है जिसमें केन्द्रीय मंत्रिमण्डल या प्रधानमंत्री से परामर्श लिया जाता है.
भविष्य के व्यय के लिए संसाधनो के आवंटन को पूरा करने के बाद सीबीडीटी, सीबीआईसी के सहयोग से आगामी वित्तीय वश में अनुमानित राजस्व रिपोर्ट की एक रिपोर्ट तैयार करता है.
बजट प्रिंटिंग (Budget printing)
वित्त मंत्रालय सभी आंकड़ों का निरीक्षण करने के बाद तथा आय एवं व्यय का अनुमान लगाने के बाद पूरा बजट बनाते हैं और फिर बजट को प्रिंटिंग पर भेज देते हैं. प्रिंटिंग प्रक्रिया को दिल्ली के नॉर्थ ब्लॉक में हलवा समारोह से चिन्हित किया जाता है. इस समारोह की अध्यक्षता वित्त मंत्री करते हैं.
इस हलवा सेरेमनी में वित्त मंत्री के अलावा वे सभी अधिकारी होते हैं जिनहोने बजट बनाने की प्रक्रिया में अपना योगदान दिया है. समारोह के पूरा होने के बाद वे नॉर्थ ब्लॉक बेसमेंट में रहते हैं और ये गोपनियता को सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है. बजट के पेश होने से पहले इन्हें अंडरग्राउंड रखा जाता है ताकि बजट से संबन्धित कोई जानकारी पहले से लीक न हो.
बजट पेश करना (Presentation of budget)
बजट का अंतिम चरण बजट को पेश करना होता है. इसे वित्त मंत्री द्वारा संसद में प्रस्तुत किया जाता है. इसे हर साल 1 फरवरी को पेश किया जाता है. चुनावी वर्ष में अन्तरिम बजट भी तैयार किया जाता है जो चुनाव से पहले प्रस्तुत किया जाता जाता है. एक बार जब चुनाव समाप्त हो जाते हैं तो नई सरकार फिर से दूसरा बजट पेश करती है.
घर हो या देश बजट सभी के लिए महत्व रखता है. ये आपके आने वाले भविष्य के आर्थिक योजना होती है जो आपको एक सही ट्रैक पर चलने का निर्देश देती है. इसमें आप अपने पास उपलब्ध संसाधनों का कैसे उपयोग करेंगे इसका एक ढांचा होता है.
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