श्रीलंका का भारत के साथ पुराना संबंध रहा है. रामायण में इसका विशेष तौर पर उल्लेख मिलता है. भारत ने कई मोर्चों पर सालों से श्रीलंका की मदद की है. श्रीलंका के सियासी हालात गड़बड़ हैं और इसका असर उसकी आर्थिक मामलों में पड़ा है. श्रीलंका की माली हालत इतनी खराब हो गई है वह दिवालिया (Shrilanka Economic Crisis) होने की कगार पर आ पहुंचा है. इस आर्थिक संकट से उबारने के लिए भारत संकटमोचन बनकर सामने आया है.
देश का दिवालिया होना क्या है? (Meaning of sovereign defaults)
किसी देश का दिवालिया होना बहुत बड़ी बात मानी जाती है. दिवालिया होने का क्या मतलब होता है? (meaning of defaulter) सबसे पहले इस बात को समझते हैं. जब कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति या संस्थान से कर्ज लेता है. इस कर्ज को लेने के बाद वो किसी भी हालत में कर्ज देने की स्थिति में नहीं रहता है तो उसे दिवालिया घोषित कर दिया जाता है.
दिवालिया घोषित होने के बाद उस व्यक्ति की उधार लेने की जो साख होती है जो रेपुटेशन होती है वो खत्म हो जाती है. अगली बार कोई व्यक्ति या संस्थान उसे कर्ज देने से मना कर देगा या दस बार सोचेगा. यानी अगली बार उस व्यक्ति को कर्ज या तो मिलेगा नहीं या फिर बहुत ही मुश्किल से मिलेगा.
किसी देश के दिवालिया होने की बात करें तो एक देश खुद के विकास के लिए, देश में आयात के लिए और परियोजनाओं को शुरू करने के लिए दूसरे देशों से कर्ज लेता है. ये कर्ज अरबों और खरबों रुपये का होता है. इस कर्ज को लेकर एक देश का विदेशी मुद्रा भंडार भी बढ़ जाता है जिसके चलते दुनिया में उसकी साख अच्छी होती है. लेकिन जब कोई देश दूसरे देश के कर्ज को चुका पाने की स्थिति में न रह पाये, उसका विदेशी मुद्रा भंडार भी काफी कम हो जाए तो ऐसी स्थिति को देश का दिवालिया होना कहा जाता है.
श्रीलंका कैसे हुआ दिवालिया? (Shri Lanka Economic Crisis 2021)
श्रीलंका भारत का पड़ोसी देश है. श्रीलंका ने देश में आर्थिक विकास के उद्देश्य से कई देशों से कर्ज ले रखा है. जिसमें प्रमुख देश चीन, जापान और भारत है. इसमें सबसे बड़ा कर्जदाता चीन है. चीन का श्रीलंका पर सबसे ज्यादा कर्ज है. अकेले चीन का श्रीलंका पर कर्ज 5 खरब अमेरिकी डॉलर है. जिसे चुकाने की स्थिति में श्रीलंका नहीं है क्योंकि मौजूदा वक़्त में श्रीलंका के पास श्रीलंका के पास 1.58 अरब डॉलर ही विदेशी मुद्रा बची है. जिसके चलते श्रीलंका आर्थिक संकटों से घिर गया है.
श्रीलंका के दिवालिया होने पर क्या होगा? (Effect of Shri Lanka Economic Crisis)
श्रीलंका में विपक्ष के प्रमुख नेता और अर्थशास्त्री हर्षा डी सिल्वा ने श्रीलंका में संसद के सत्र के दौरान कहा
हमारा देश पूरी तरह दिवालिया हो जाएगा. मैं किसी को डराना नहीं चाहता. लेकिन ऐसा ही चलता रहा तो आयात रुक जाएगा, देश का पूरा आईटी सिस्टम बंद हो जाएगा. हमारा देश गूगल मैप का भी इस्तेमाल नहीं कर पाएगा. क्योंकि हम इसके लिए पैसे देने की स्थिति में नहीं होंगे.
डी सिल्वा ने श्रीलंका की आर्थिक संकट को लेकर चिंता जाहीर की है. श्रीलंका में आम उपभोग की चीजों ने भी आसमान छु लिया है. महंगाई की दर तेजी से बढ़ी है. पेट्रोल से लेकर खाने-पीने का सामान हर चीज महंगी हो गई है. महंगाई की दर जो पहले 9.5 प्रतिशत हुआ करती थी वो अब 12.1 हो गई है.
श्रीलंका के राष्ट्रपति देश में पहले ही आर्थिक आपातकाल की घोषणा कर चुके हैं जिसमें सेना को खाद्यान्नों के वितरण के विशेष अधिकार दिये गए हैं. सेना को अधिकार दिया गया है कि वो ये सुनिश्चित करे कि सरकार ने जो खाद्यान्न सामाग्री के दर तय किए गए हैं लोगों तक वो उसी दर पर पहुंचे.
श्रीलंका के लिए संकटमोचन बना भारत (India helps in Shri Lanka Economic Crisis)
अपने पड़ोसी देश श्रीलंका पर आर्थिक संकट गहराता देख भारत ने संकटमोचन की भूमिका निभाई है. भारत ने आर्थिक मोर्चे पर श्रीलंका की मदद करने के लिए हाथ आगे बढ़ाया है. कर्ज के जाल में फंसे श्रीलंका के लिए भारतीय उच्चायोग ने 90 करोड़ डॉलर की मदद की घोषणा की थी. इसके बाद भी भारत ने 18 जनवरी को श्रीलंका को 50 करोड़ डॉलर की एक और मदद की जिससे श्रीलंका पेट्रोलियम उत्पाद खरीद सके और अपने कर्ज को चुकाने में सक्षम हो सके. श्रीलंका में आर्थिक संकटों की वजह से ऊर्जा संकट भी उत्पन्न हो रहा है. जिससे बचने के लिए भारत ने ये मदद की है.
भारत हर मोर्चे पर श्रीलंका की मदद करता आया है. भारत द्वारा उठाए गए इस कदम की सराहना पूरे श्रीलंका के मीडिया में हो रही है. हर अखबार में भारत की प्रशंसा की जा रही है. भारत ने बिना आईएमएफ़ के सहयोग के जो श्रीलंका की मदद की वो एक निर्णायक कदम है.
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