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ज्यादा टीवी और मोबाइल देखने से आपकी नैगेटिविटी बढ़ तो नहीं रही? (फोटो: Pixabay)
ज्यादा टीवी और मोबाइल देखने से आपकी नैगेटिविटी बढ़ तो नहीं रही? (फोटो: Pixabay)

कहते हैं एक नकारात्मक विचार आपके पूरे दिन को खराब कर सकता है जबकि एक छोटी सी सकारात्मक सोच (positive thoughts) आपकी एक दिन नहीं बल्कि पूरी जिंदगी बदलने की ताकत रखता है. (positive and negative thoughts) सकारात्मक और नकारात्मक सोच को लेकर अनगिनत किताबें और लैक्चर दिए जा चुके हैं.

कहा जा चुका है मस्तिष्क के काम करने की तरीका दो दिशाओं में होता है पहला पॉजिटिव सोच की दिशा तो दूसरी होती है नैगेटिव देखने की दिशा, ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या हम अपने मस्तिष्क में दिनभर में सकारात्मक सोच भर रहे हैं या फिर नकारात्मक?

दरसअल, आज के समय हर व्यक्ति यह समझता है कि पॉजिटिव और नैगटिव सोच कैसे जिंदगी को प्रभावित करती है और यह कितनी जरूरी है, लेकिन कोई यह नहीं समझता की हमने आसपास क्या ऐसी दुनिया बना रखी है हमारे पास की एनर्जी को बेहतर बना रही है या दूषित कर रही है?

टीवी है नैगेटिव एनर्जी का सोर्स (How Watching TV Is Bad For Your Health)

हर एक चीज का गलत और सही इस्तेमाल दोनों हो सकता है, यह निर्भर आप पर करता है कि आप साधनों का प्रयोग कैसे करते हैं. साधन आपके उपयोग में आता है या आप साधन के उपयोग में आते हैं. (TV and mobile negative effects) टीवी हर घर में सालों से मनोरंजन के साधन के तौर पर इस्तेमाल हो रहा है, लेकिन समय बदलने के साथ आज इसे इडियट बॉक्स कहा जाने लगा है. बुद्धु बक्सा कही जाने वाली टीवी आज दुनियाभर की नकरात्मक ऊर्जा का सोर्स बन चुकी है.

सास-बहू के सीरियल एक अच्छे भले तनाव रहित खुशहाल घर में सास को बहू के खिलाफ और बहू को सास के खिलाफ इतनी नकारात्मक ऊर्जा बांट देते हैं, (Impact of Daily Soaps on Indian Society) घर-घर में छोटी-मोटी बातों पर होने वाली नोंक-झोंक को इन धारावाहिकों में इतना बढ़ा-चढ़ाकर बताया जाता है कि मानों भाई-भाई, बहन-भाई, पति-पत्नी, दोस्त और दूसरे रिश्ते आपस में दुनिया के सबसे बड़े दुश्मन बन जाते हैं.

ऊपर से बीते दो साल में कोरोना काल में तो घर में बैठे लोगों को विशेषज्ञों ने दिनरात चलते न्यूज चैनल ना देखने तक की सलाह दे डाली कि यह नैगेटिव एनर्जी फेंकने वाला बक्सा आपको (health effects of watching TV) एंग्जाइटी, नींद ना आने की समस्या, बेवजह का तनाव और (what are the negative effects of media?) दूसरे मानसिक रोगों का शिकार बना देता है. ऐसे में आपको कुछ चीजों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए- टीवी देखना छोड़ना नहीं है बल्कि बजाय कि टीवी आपका इस्तेमाल करे आपक टीवी में वही चीजें देखें जिससे आपका मनोरंजन होता है.

ऐसी सीरियल और प्रोग्राम को देखना बंद करें जिससे नकारात्मकता फैलती हो. स्वस्थ मनोरंजन और पॉजिटिव एनर्जी वाले प्रोग्राम देखें, जीवन में वैसे ही बहुत संघर्ष है, आप ऊपर टीवी चालू करके उसे और ना बढ़ाएं. धार्मिक चैनल, कोई कॉमेडी मूवी, कोई हल्की-फुल्की कॉमेडी वाला शो देखें जो आपको तनाव रहित नींद दे.

टीवी से बचे तो मोबाइल से जरूर बचें, यह भी है एक बड़ी नैगेटिविटी

टीवी यदि आप सोच-समझकर देख रहे हैं तो मोबाइल से भी बचें. खासतौर पर सोशल मीडिया से. (negative aspects of social media) सोशल मीडिया पर दूसरों की जिंदगी की तुलना अपने जीवन से बिल्कुल ना करें. वहां आपको केवल कोरी लफ्फाजी के अलावा कुछ नहीं मिलेगा. जिंदगी में जो भी आपको मिला है उसका आनंद लेना सीखें और संतुष्ट हों. महज 5 से 6 हजार लोगों की फ्रेंडशिप वाले लोगों को सौ से डेढ़ सौ लाइक में ऐसा ना सोचें कि बस आपने अपनी जिंदगी में कुछ नहीं किया, यह आपकी तुलना में बहुत बड़ा हो सकता है लेकिन ऐसी पोस्ट की स्थिति की (how social media affects mental health) तुलना एक हजार लोगों की आबादी वाले गांव से करके देखिए जहां मुश्किल से 100 लोग भी एक दूसरे को नहीं जान पाते जबकि वे सालों से उसी गांव में रह रहे हैं.

कहने का तात्पर्य यह है कि सोशल मीडिया से प्रभावित ना हों और यदि आपके दिमाग में दिनभर सोशल मीडिया पर छाए लोगों की बातें चलती रहती हैं तो आप मानसिक बीमारी की ओर बढ़ रहे हैं जो आपको सीधे-सीधे डिप्रेशन की ओर ले जाएगा.

सोशल मीडिया पर रहते हुए कुछ बातों का ध्यान रखें-

  1. तुलना से बचें और सबसे सही तरीका है कुछ समय के लिए डिएक्टिवेट (Easy Ways To Detach Yourself From Social Media) करें और छोड़ दें.
    आपको जो अच्छा लगता हैं वह करें, उसकी किसी से तुलना ना करें.
    फोटो, वीडियो कम शेयर करें, ना यह ठीक है ना इस पर आई किसी भी तरह की प्रतिक्रिया चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक आपके लिए ठीक है.
    लाइक, शेयर और व्यू आपके दिमाग के डोपामाइन को प्रभावित करता है, (social media likes and dopamine) डोपामाइन एक कैमिकल जो आपके हैप्पी हार्मोंस को जनरेट करने में सहायता करता है्.
  2. रिसर्च कहती हैं कि सोशल मीडिया पर एक्टिव लोगों का डोपामाइन का स्तर प्रभावित होता है और उन्हें कई तरह की दूसरी समस्याएं होती हैं, लिहाजा इससे बचें.
  3. अंत में ज्यादा से ज्यादा सकारात्मक रहें. नैगेटिविटी से प्रभावित ना हों बल्कि उसे समझें और जानें दें, वह आपके जीवन को और नीचे ही गिराएगी ना कि उठाएगी. जीवन छोटा और बहूमून्य है उसे एंजॉय करें. अपने ग्रह की तुलना ब्रह्मांड से करें और समझें कि आपकी अस्तित्व कुछ नहीं है, केवल सकारात्मक, अच्छी और स्वस्थ सोच ही आपको सुंदर जीवन देगी.

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