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Gujarat News: भाजपा, भूपेंद्र पटेल और चुनावी गणित, आसान नहीं होगी हार्दिक पटेल की चुनावी राह..!

राजभवन में राज्यपाल के पास नई सरकार का प्रस्ताव पेश करने पहुंचे भूपेंद्र पटेल
राजभवन में राज्यपाल के पास नई सरकार का प्रस्ताव पेश करने पहुंचे भूपेंद्र पटेल. (फोटो: साभार-ट्विटर)

एक औचक सियासी उठापटक में पीएम मोदी (PM Modi and Gujarat) के गृहनगर गुजरात के सीएम विजय रूपाणी ने पहले इस्तीफा दे दिया और अब भूपेंद्र पटेल राज्य के नये सीएम होंगे. मीडिया में चल रही खबरों के मुताबिक भूपेंद्र पटेल आज (Bhupendra Patel to take oath as 17th Gujarat CM today) गुजरात के सीएम पद की शपथ लेंगे. सकते हैं बेहद लो प्रोफाइल मानें जाने वाले भूपेंद्र पटेल का एक टर्म के विधायक के साथ ही राज्य की बागडोर अपने हाथ में ले लेना राज्य में चुनावी समीकरण के संकेते दे रहा है.

हालांकि राज्य की राजनीति पर करीब से नजर रखने वाले विश्लेषक मानते हैं कि भूपेंद्र पटेल का सीएम बनना जहां राज्य में पटेल वोटर्स को साधने का दांव है वहीं पिछले टर्म में विजय रूपाणी का विफल कामकाज का ढंकने की भी रणनीति है.

कौन हैं भूपेंद्र पटेल?  (Who is Bhupendra Patel?) 

विजय रूपाणी के इस्तीफे के बाद भूपेंद्र पटेल गुजरात के नये सीएम बनेंगे इसका अंदाजा राज्य की सियासत में सक्रिय राजनीतिज्ञों को दूर-दूर तक नहीं था. लेकिन शाह और मोदी की यह औचक घोषणा और तत्काल परिस्थितियों को बदल देने का गणित उन्हें सबसे अलग बनाता है.

फिलहाल नये सीएम के तौर पर शपथ लेने जा रहे भूपेंद्र पटेल के सियासी करियर की बात करें तो पटेल के पीछे राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में मप्र की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल का करीबी माना जाता है. मीडिया में आई खबरों की मानें तो भूपेंद्र पटेल को सीएम बनाने के पीछे भी आनंदीबेन पटेल का हाथ माना जा रहा है.

जहां तक दोनों नेताओं के (bhupendra patel and anandiben patel relationship)संबंधों की बात करें तो यह पुराना राजनीतिक गठजोड़ 2010 से चला आ रहा है जब आनंदीबेन पटेल राज्य में राजस्व और शहरी विकास मंत्री रहीं थीं जबकि उस समय भूपेंद्र पटेल को अहमदाबाद म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन की स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन पद का जिम्मा सौंपा गया था.

यही नहीं पटेल बाद में यानी की 2015 में अहमदाबाद अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी के चेयरमैन भी बने और 2017 तक आते-आते वे पहली बार विधायक बने और उन्होंने घटलोडिया सीट से चुनाव लड़ा. बता दें कि यह वही सीट थी जहां से पहले आनंदीबेन पटेल चुनाव लड़ा करती थीं.

पटेल (Bhupendra patel) कैसे बदलेंगे चुनावी समीकरण

राजनीतिक पंडित मानते हैं कि पटेल को सीएम पद पर बैठाकर भाजपा एक तीर से कई निशाने साधने जा रही है. इसमें पहला तो वह पाटीदार वोट बैंक है जिसे बीते पांच सालों में हार्दिक पटेल बीजेपी से दूर कर दिया है. बतातें चलें कि साफ छवि वाले भूपेंद्र पटेल पर ना तो कोई आपराधिक मामला है और ना ही कोई विवाद है. यही नहीं उनका विनम्र भाषी होना उन्हें संगठन में सबका प्रिय बनाता है.

इधर अपने समाज पर भी उनका खासा प्रभाव है, यही वजह कि साल 2017 में पहले ही चुनाव में उन्होंने अपने विरोधी शशिकांत पटेल को 17 लाख वोटों से शिकस्त दी थी. दूसरे पक्षों पर गौर करें तो पटेल की आमतौर पर उस पटेल समुदाय का चेहरा नहीं है जो करोड़पति हैं बल्कि विधानसभा में दिया उनकी कुलसंपत्ति का ब्योरा 69 लाख 55 हजार 707 रुपए का है. जाहिर है करोड़पति पाटीदार समाज के बीच वे एक ऐसे सीएम हैं जो अपनी सादगी, मध्यवर्गीय छवि, ईमानदारी और जीतने पर अगले सीएम पद की छवि को भी निर्मित करेंगे. 

हार्दिक पटेल की बेचैनी क्यों बढ़ रही है?

इधर भूपेंद्र पटेल (bhupendra patel biography)के सीएम बनने की घोषणा के साथ ही (hardik patel news today) हार्दिक खेमे में एक अलग सी बेचैनी देखी जा रही है. हार्दिक पटेल ने भूपेंद्र पटेल के सीएम बनने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि- भाजपा भले ही सीएम बदल ले लेकिन आने वाले चुनावों में (Gujarat Elections 2022) राज्य की जनता सरकार ही बदलने वाली है.

हालांकि इस बयान पर गौर किया जाए तो इसमें हार्दिक पटेल की परिपक्वता कम और बेचैनी ज्यादा दिखाई दे रही है. जाहिर है हार्दिक ये अंदरखाने यह समझ रहे हैं कि पाटीदार समाज से आने वाले भूपेंद्र पटेल के सीएम बनने से भाजपा का नुकसान फायदा दूर की बात है, लेकिन उनकी अपनी लड़ाई जरूर कम होने वाली है.

यदि कारणों पर गौर किया जाए तो दरअसल, 2015 से पटेलों के आरक्षण को लेकर लड़ाई लड़ रहे हार्दिक पटेल (hardik patel) लोकप्रिय तो हो गए, यहां तक कि कांग्रेस में शामिल भी हो गए लेकिन उनके इस लंबे संघर्ष का फायदा जमीन पर उतरता दिखाई नहीं दिया.

पटेल युवा बनकर हौसले से हुंकार तो भरते रहे, लेकिन सियासी अनुभव की कमी उनमें साफ दिखाई दी. वे स्वीकार करें या ना करें और तमाम मुद्दों को दरकिनार भी कर दिया जाए तो भूपेंद्र पटेल का प्रभाव हार्दिक पटेल को कमजोर तो करेगा बल्कि चुनावों में कांग्रेस के ग्राफ को और कमजोर करेगा.

हां यदि विजय रूपाणी सीएम (Vijay Rupani Gujarat) बने रहते भाजपा विरोधियों के लिए रास्ता आसान रहता लेकिन गुजरात में नये सीएम का चुना जाना भाजपा की चुनावी रणनीति की दीर्घकालिक प्लानिंग की तैयारी है, क्या कांग्रेस (Gujart Congress) और दूसरी पार्टियां तैयार हैं? बता दें कि राज्य चुनाव में एक साल से भी कम का समय बचा है्. राज्य में विधानसभा चुनाव 2022 (Gujarat Assembly Elections 2022) में होंगे. 

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