भारत में कई तरह की शादियाँ होती है. कई धर्मों की शादी होती है. लेकिन आजकल युवा Live in relationship में रहते हैं. लिव इन रिलेशन को भारत में कई लोग मान्यता नहीं देते हैं हालांकि सुप्रीम कोर्ट इसे मान्यता देता है और इसको लेकर भारत में कानून भी है. अगर कोई व्यक्ति लिव इन रिलेशनशिप में रहता है तो उसे लिव इन रिलेशन कानून (Live in Relationship Law) के बारे में जानना चाहिए.
लिव इन रिलेशनशिप क्या है? | What is Live in Relationship?
लिव इन रिलेशनशिप से जुड़े कानून के बारे में जानने से पहले ये जान लेना चाहिए कि लिव इन रिलेशनशिप क्या होता है? जब दो वयस्क पुरुष और महिला अपनी सहमति से एक दूसरे के साथ बिना विवाह किए एक पति और पत्नी की तरह रहते हैं तो उसे लिव इन रिलेशनशिप कहा जाता है. लिव इन में आप अपनी सहमति से एक विवाहित जोड़े की तरह रहते हैं, आपने आर्थिक संसाधन को बांटते हैं.
क्या लिव इन वैध शादी है? | Is Live in Relationship is Legal?
सुप्रीम कोर्ट के अनुसार लिव इन रिलेशनशिप यदि लंबे समय तक रहता है तो उसे एक वैध शादी माना जाएगा. दोनों के बीच यदि बच्चा होता है तो उसे भी सारे अधिकार मिलते हैं. लेकिन यदि लिव इन रिलेशनशिप थोड़े समय के लिए रहता है और बच्चा नहीं होता है तो उसे एक वैध शादी नहीं माना जाएगा.
लिव इन में महिलाओं के कानूनी अधिकार | Legal Right for Women in Live in relation
महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कुछ लिव इन रिलेशनशिप कानून महिलाओं के हित में बनाए गए हैं जिनसे कोई भी पुरुष सिर्फ शारीरिक संबंध बनाने के लिए लिव इन रिलेशनशिप में न रहे. यदि कोई पुरुष ऐसा करता है तो उसके खिलाफ कार्यवाही की जा सके. लिव इन रहने वाली महिला के पास वे सभी कानूनी अधिकार है जो भारतीय संविधान ने एक पत्नी को दिये हैं. जैसे घरेलू हिंसा से संरक्षण, प्रॉपर्टी पर अधिकार, संबंध विच्छेद की स्थिति में गुजारा भत्ता, बच्चे को विरासत का अधिकार.
संपत्ति का अधिकार | Property right in live in relationship
लिव इन में रहने वाले लोग अपनी मर्जी से साथ रहते हैं लेकिन यदि वे लंबे समय तक साथ रहते हैं तो लिव इन को एक वैध शादी माना जाता है. इसलिए पत्नी का पति की संपत्ति पर भी अधिकार बनाता है. ठीक उसी तरह जिस तरह के पत्नी का होता है. यदि दोनों के बीच बच्चे होते हैं तो बच्चे का पिता की संपत्ति पर अधिकार होगा.
तलाक एवं गुजारा भत्ता | Divorce rule in live in relationship
लिव में रहने वाली महिला अपने साथी से अलग हो सकती है और तलाक के लिए अप्लाई कर सकती है. यदि वे लंबे समय तक साथ रहते हैं तो दोनों तलाक की अर्जी कोर्ट में दे सकते हैं. यदि पुरुष किसी और महिला के साथ रहना चाहता है और तलाक ले रहा है तो महिला गुजारा भत्ता के लिए भी आवेदन कर सकती है. आमतौर पर जो तलाक के नियम विवाहित जोड़े पर लागू होते हैं वही लिव इन में रहने वाले कपल के लिए भी लागू होते हैं.
लिव इन में रहने वाले कपल को समाज में विवाहित कपल नहीं माना जाता है लेकिन सुप्रीम कोर्ट के अनुसार इन्हें एक विवाहित जोड़ा ही कहा जाएगा. इनके लंबे समय तक रहने पर इनकी शादी को वैध ठहराया जाएगा. इसलिए इन पर वे सभी नियम लागू होते हैं जो एक विवाहित जोड़े पर होते हैं.
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