Sat. Apr 19th, 2025

शादी होने के बाद महिलाओं को कई तरह के अधिकार (Women right after marriage) मिलते हैं जिसमें वो ससुराल वालों के परेशान किए जाने पर उनके खिलाफ रिपोर्ट कर सकती है और उन्हें जेल तक भिजवा सकती है. आमतौर पर लोगों को लगता है की सारे कानूनी अधिकार सिर्फ महिलाओं के पास हैं लेकिन ऐसा नहीं है. भारतीय कानून व्यवस्था में कुछ कानून पुरुषों (Men right after marriage) के लिए भी हैं जो उन्हें शादी के बाद महिला द्वारा परेशान किए जाने पर मदद करते हैं.

पीड़ित केवल पीड़ित होता है. (Who is Victim?)

पुरुष हो या महिला हो कानून की नजरों में सब समान है. न्यायालय ने कई बार इस बात को बताया है. कानून की नजरों में पुरुष हो या महिला यदि वह अपराधी है तो वह सिर्फ अपराधी ही रहेगा. यदि वह पीड़ित है तो वह पीड़ित ही रहेगा. हालांकि महिलाओं के लिए कानून में थोड़े से बदलाव किए गए हैं. जैसे उनकी गिरफ्तारी से संबन्धित नियम अलग हैं. लेकिन यदि महिला अपराधी है तो उसे अपराधी ही माना जाएगा.

पत्नी देगी खर्च (Maintenance rule for men)

आपने अक्सर देखा होगा कि पत्नी अपने पति को अपने माता-पिता से अलग रहने के लिए बोलती है और कई बार पति अपने माता-पिता से अलग हो जाता है या फिर उन्हें छोड़ने के लिए मजबूर हो जाता है. सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले में यह व्यवस्था की गई है कि यदि पत्नी अपने पति को माता-पिता को छोड़ने के लिए मजबूर करती है जो पूरी तरह बेटे की आय पर आश्रित हैं तो ऐसी स्थिति में पत्नी की ओर से उनकी बीमारी और गुजर बसर के लिए खर्च मुहैया कराया जाएगा. लेकिन ऐसा करने के लिए पति को ये साबित करना होगा कि पत्नी के कारण ही वो अपने माता-पिता से अलग हुआ है या पत्नी ने उसे मजबूर किया है.

तलाक लेने का अधिकार (Men right for divorce)

पुरुषों के पास तलाक की याचिका दायर करने का अधिकार होता है. केस फाइल करने के लिए ये जरूरी नहीं कि उसकी पत्नी की भी सहमति हो. डिवोर्स फाइल करने के लिए पुरुष अत्याचार, पार्टनर के छोड़ जाने, बर्ताव में बदलाव, बीमारी, मानसिक अस्थिरता, मौत होने की आशंका का हवाला दे सकता है. केस फाइल करने से पहले एक बात का ध्यान रखें कि केस फाइल करने से पहले और बाद में उन्हें पत्नी के साथ किसी प्रकार की मारपीट, मौखिक या यौन उत्पीड़न नहीं करना है. ऐसा करना मुश्किल है लेकिन ऐसा करके आप अपना केस मजबूत कर पाएंगे.

डिवोर्स फाइल करने से लेकर डिवोर्स मिलने तक किसी नए रिश्ते में भी न जाए. गुस्से में आकर अपनी पत्नी को गाली न दें और न ही उनके साथ मारपीट करें. अगर आप कुछ खरीदना-बेचना चाहते हैं तो उसे डिवोर्स फाइल करने से पहले कर सकते हैं. यदि आप वास्तव में सही हैं और अपनी पत्नी से परेशान हैं तो सही दस्तावेज़ और सबूतों के आधार पर आप डिवोर्स ले सकते हैं.

तलाक के बाद गुजारे भत्ते का कानून (Law for maintenance after divorce)

कई पुरुषों को लगता है कि तलाक लेने के बाद उन्हें अपनी पत्नी को गुजारा भत्ता देना होगा. कई लोग इससे बचना भी चाहते हैं. वैसे अगर आप तलाक दे रहे हैं तो कुछ स्थितियों में आप इससे बच सकते हैं.

– यदि आपकी पत्नी के पहले से किसी पुरुष के साथ संबंध हैं या फिर उसने उससे दूसरी शादी कर ली है और फिर आपने तलाक लिया है तो ऐसी स्थिति में आप गुजारा भत्ता देने से बच सकते हैं.

– तलाक के वक्त पति यह साबित कर दे कि उसकी कमाई इतनी नहीं है कि वह खुद का भी ध्यान रख सके और पत्नी की आमदनी उससे अच्छी है तो पति तलाक के बाद गुजारा भत्ता देने से बच सकता है.

– पत्नी यदि तलाक ले रही है और किसी और व्यक्ति से शादी कर रही है और वो अच्छा कमाती है वही पति शारीरिक रूप से कमाने में अक्षम हैं तो तलाक लेने के बाद पत्नी द्वारा पति को गुजारा भत्ता दिया जाने का भी प्रावधान है.

पत्नी के झूठे केस पर पति के अधिकार (Law for fraud case of wife against husband)

कई बार ऐसा होता है कि पत्नी अपने पति पर या ससुराल वालों पर किसी कारण से दहेज, मानसिक या शारीरिक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप लगाती है. जबकि उसके पति या ससुराल वालों ने ऐसा कुछ भी नहीं किया होता है. ऐसे में पति और उसके घरवालों को गिरफ्तार कर लिया जाता है. लेकिन इस स्थिति में भी आपके पास खुद को बचाने का विकल्प होता है.

पत्नी के झूठे केस से बचने के लिए आपको पहले से सतर्क रहना चाहिए. यदि आपको थोड़ी सी भी इस बात की शंका होती है कि पत्नी ऐसा कुछ करने वाली है तो उसके खिलाफ सबूत इकट्ठा करना शुरू कर दें. ये सबूत ही आपको पत्नी के झूठे केस से बचा सकते हैं. पत्नी के केस करने पर आप कोर्ट में पत्नी के खिलाफ मानहानि व मानसिक रूप से प्रताड़ित किए जाने का आरोप लगा सकते हैं. इसके साथ ही आप पत्नी से इन सभी चीजों के लिए मुआवजे की भी मांग कर सकते हैं. पर ध्यान रखें कि आपके पास सबूत हो, लोग आपके पक्ष में हो.

भारत में कानून को अंधा जरूर कहा जाता है लेकिन ये सभी के लिए समान है. हालांकि इसमें कितनी वास्तविकता है ये हम सभी जानते हैं. कई वकील कानून को तोड़-मरोड़कर केस को अपने पक्ष में कर लेते हैं. लेकिन फिर भी लोग कानून में विश्वास रखते है और इसी विश्वास के साथ भारत की न्यायव्यवस्था चल रही है.

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