इस पूरे ब्रह्मांड में सबसे ज्यादा महत्व सूर्य का है क्योंकि उसी से पूरा सौरमंडल रोशन है. खगोलीय दृष्टि से तो सूर्य को एक तारा माना जाता है लेकिन ज्योतिषीय दृष्टि से सूर्य को एक ग्रह का दर्जा दिया गया है. हिन्दू पौराणिक ग्रन्थों में भी सूर्य देव की महिमा का बखान है. आपकी कुंडली में भी सूर्य ग्रह का काफी महत्व होता है.
सूर्य ग्रह
सौरमंडल के केन्द्र में स्थित सूर्य पृथ्वी से काफी करीब है. सूर्य के कारण ही पृथ्वी पर जीवन सुचारु रूप से चल रहा है. ज्योतिष में सूर्य को एक क्रूर ग्रह का दर्जा दिया गया है लेकिन अगर ये किसी जातक पर प्रभावी होता है तो उसका समय भी बदल सकता है.
सूर्य का महत्व
सूर्य को आत्मा का कारक माना जाता है. सूर्य की स्थिति ही पिता और संतान में रिश्तों को मधुर और कटु बनाती है. किसी व्यक्ति की ज़िंदगी में यदि सूर्य प्रभावी हो तो उसे यश प्राप्ति होती है. वह ओजस्वी व प्रतापी होता है. ज्योतिष में सूर्य सिंह राशि का स्वामी है. ये मेष राशि में उच्च होता है और तुला राशि में निम्न होता है.
सूर्य का प्रभाव
जातक के शरीर में सूर्य हृदय को दर्शाता है. सूर्य की स्थिति के कारण ये तय होता है की वह कितना ऊर्जावान तथा ओजस्वी रहेगा. अगर किसी की राशि में सूर्य बली है तो वह अपने जीवन में सभी लक्ष्यों की प्राप्ति करता है. जीवन भर उसे मान-सम्मान मिलता है. वह ऊर्जावान, आत्मविश्वासी व आशावादी होता है. उसके घर में खुशी और आनंद का माहौल बना रहता है. ये जातक रहन-सहन से राजा की तरह होते हैं लेकिन दयालु किस्म के होते हैं.
कुंडली के 12 भावों में सूर्य का फल
कुंडली के पहले भाव में सूर्य का फल : आप कानून का पालन करने वाले होते हैं. जीवन के प्रति आपका पॉज़िटिव रवैया होता है. आप बहुत ही नैतिकता से सारी जिम्मेदारियाँ निभाते हैं. यहाँ बैठा सूर्य आपको आशावादी और महत्वकांक्षी भी बनाता है.
कुंडली के दूसरे भाव में सूर्य का फल : दूसरे भाव में बैठा सूर्य आपको सरकारी अधिकारियों का शत्रु बना सकता है. इसके कारण आपका स्वभाव चिड़चिड़ा, जिद्दी हो सकता है और आप अनेक रोगों से ग्रस्त हो सकते हैं. आपको बहुत परिश्रम के बाद ही धन प्राप्त होता है.
कुंडली के तीसरे भाव में सूर्य का फल : तीसरे भाव में बैठा सूर्य आपको सफलता मिलने में देरी कराता है. इसकी वजह से आपके संबंध आपके भाई-बहनों के साथ अच्छे नहीं रहते. यहाँ बैठा सूर्य आपको साहसी और चंचल बनाता है.
कुंडली के चौथे भाव में सूर्य का फल : यहां बैठा सूर्य आपको बहुत दुखी और अप्रसन्न बनाता है. इसकी वजह से आप खुद ही परेशान होने की कोई न कोई वजह ढूंढ लेते हैं. यहां बैठा सूर्य आपको पैतृक संपत्ति भी दिला सकता है.
कुंडली के पांचवे भाव में सूर्य का फल :यहां बैठे सूर्य के कारण आप हृदय रोगों से ग्रस्त हो सकते हैं.सूर्य की इस स्थिति के कारण आपको पहाड़ों में अकेला रहना बहुत पसंद होता है. इसके अलावा आप धन-सम्पदा से समृद्ध होंगे.
कुंडली के छठे भाव में सूर्य का फल : छठे भाव में बैठा सूर्य आपको जीवन में बहुत ही प्रसिद्धि दिलाता है. यहां बैठा सूर्य सीधे-सीधे राजनीति में उज्ज्वल भविष्य का संकेत करता है.
कुंडली के सातवे भाव में सूर्य का फल : यहां बैठा सूर्य आपको अहंकारी बनाता है जिस वजह से आपके विवाह में देरी होती है. आपमें नैतिकता की कमी आती है. आप अपना काम करवाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं.
कुंडली के आठवे भाव में सूर्य का फल : आठवे भाव में बैठा सूर्य आपको दीर्घायु बनाता है. आप सभी से मिलजुलकर रहना पसंद करते हैं. लेकिन आप पीड़ित सूर्य के कारण अपने सिर पर चोट खा सकते हैं. पीड़ित सूर्य आपको हमेशा दुखी करता है.
कुंडली के नौवे भाव में सूर्य का फल : यहां बैठे सूर्य के कारण आपके संबंध अपने पिता से और अपने रिशतेदारों से अच्छे नहीं होंगे. आप बड़ों को न तो सम्मान देंगे और न ही उनकी बात सुनेंगे. आपका धर्म के प्रति भी विश्वास नहीं रहेगा, आप धर्म परिवर्तन कर सकते हैं.
कुंडली के दसवे भाव में सूर्य का फल : इस घर में बैठा सूर्य आपको सम्मान, प्रसिद्धि और आदर की प्राप्ति करवाता है. आप जिस भी चीज के लिए प्रयास करेंगे आप उसमें सफल होंगे. आपके बड़े अधिकारियों से अच्छे संबंध बनेंगे. यहां बैठा सूरी आपको बुद्धिमान बनाता है.
कुंडली के ग्यारहवे भाव में सूर्य का फल : यहां बैठा सूर्य आपको धनवान और दीर्घायु बनाता है. आपको सरकार से भी लाभ दिलाता है. यहा बैठे सूर्य के कारण आपको कुछ भी पाने के लिए ज्यादा प्रयत्न नहीं करना पड़ता है.
कुंडली के बारहवे भाव में सूर्य का फल : यहां बैठा सूर्य आपको कोई न कोई शारीरिक परेशानी देता है. आपके पुत्रों की संख्या अधिक होती है. यहां बैठा सूर्य आपको चारित्रिक रूप से कमजोर करता है जिस वजह से आपको जीवन में आदर और सम्मान नहीं मिल पाता है.
सूर्य के उपाय
– पीड़ित सूर्य के लिए जातकों को आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करना चाहिए.
– सूर्य उपासना भी उनके लिए फलदायी रहती है.
– रविवार का व्रत रखें.
– मुंह में मीठा डालकर ऊपर से पानी पीकर ही घर से निकलें.
– गायत्री मंत्र का जाप करें.
– तांबा, गेहूं एवं गुड़ का दान करें.
– ॐ रं रवये नमः का 108 बार जाप करें.
यंत्र – सूर्य यंत्र
मंत्र – ओम भास्काराय नमः
रत्न – माणिक्य
रंग – पीला/ केसरिया
जड़ – बेल मूल
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