कभी चाय की दुकान तो कभी पंचर की दुकान पर आपने किसी न किसी बच्चे को काम (Child labor) करते हुए देखा होगा. काफी लंबे समय से बच्चे छोटी-छोटी दुकानों पर काम करते आए हैं लेकिन सरकार ने बच्चों के द्वारा मजदूरी (Child labor) करवाना गैर कानूनी माना है. इसके लिए कानून बनाए हैं. जिसके तहत बच्चों को जोखिम वाली जगहों पर काम करना गैर कानूनी है. अगर कोई व्यक्ति बच्चों से काम करवाता है तो उस पर कानूनी कार्यवाही का प्रावधान है.
बाल मजदूरी क्या है? (What is Child labor?)
बाल मजदूरी (Child labor meaning) का मतलब होता है ‘बच्चों द्वारा काम करवाना’. लेकिन बाल मजदूरी का ये बिलकुल भी मतलब नहीं है की बच्चे आमतौर पर काम नहीं कर सकते. बच्चों के काम करने के लिए एक सही उम्र निर्धारित की गई है और उनके काम करने के लिए अलग-अलग जगह का प्रावधान है जहां उनके लिए जोखिम न हो.
बाल श्रम कानून (Child labor act)
बाल श्रम कानून (Child labor act in India) के मुताबिक 14 साल से कम उम्र के बच्चों से व्यवसायिक रूप से काम करवाना गैर कानूनी है. 14 साल से कम उम्र के बच्चे यदि किसी कारखाने, फ़ैक्टरी आदि में मजदूरी करते हुए पाये जाते हैं तो उस फ़ैक्टरी के संचालक के खिलाफ कार्यवाही की जाती है. इस कानून के मुताबिक 14 साल से कम उम्र के बच्चों को उनके माता-पिता या किसी अन्य व्यक्ति के द्वारा काम पर लगवाना या किसी व्यक्ति के द्वारा इन्हें काम पर रखना गैर कानूनी है.
14 साल से कम उम्र के बच्चो का खनन, विस्फोटक और कारखानों में काम करना खतरनाक माना जाता है. इससे उनकी सेहत, मानसिक स्वस्थ्य आदी पर प्रभाव पड़ता है. आमतौर पर किसी फ़ैक्टरी या कारखाने में या किसी जोखिम वाली जगह पर कार्य करने वाले व्यक्ति की उम्र कम से कम 18 साल होना जरूरी है. इससे कम उम्र पाये जाने पर कानूनी कार्यवाही की जा सकती है.
बालश्रम अधिनियम (Child labor act 1986)
बालश्रम अधिनियम 1986 में 14 वर्ष से कम उम्र के व्यक्ति को एक बच्चे के रूप में परिभाषित किया गया था. इस अधिनियम में ये भी बताया गया है की बच्चे कहां और कैसे काम कर सकते हैं और कहाँ पर बाल श्रम प्रतिबंधित (Child labor prohibited) है. संविधान के अनुच्छेद 24 (Article 24 in hindi) में भी उल्लेख मिलता है की 14 वर्ष से कम उम्र के किसी भी बच्चे को कारखाने या खान में काम करने के लिए न रखा जाए. वहीं दूसरी तरफ अनुच्छेद 39 (Article 39) ये राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करता है की बच्चों के खिलाफ दुर्व्यवहार न हो, उन्हें ऐसे व्यावसाय में प्रवेश करने के लिए न मजबूर किया जाए जो उनकी उम्र और ताकत के हिसाब से न हो.
बच्चे किस उम्र से काम कर सकते हैं? (Age for working?)
सरकार ने साल 2016 में बाल मजदूर अधिनियम (Child labor act amendment) में दो प्रमुख संशोधन किए जिसमें कहा गया की कम उम्र के बच्चों के लिए शिक्षा अनिवार्य है और इसके लिए सरकारी स्कूलों के माध्यम से उन्हें 8वी तक निशुल्क शिक्षा दी जाए. इसमें उन्हें ड्रेस, किताबे और खाना मुफ्त मिलें. इसका दूसरा संशोधन ये था की 14 से 18 वर्ष तक की आयु के बच्चों को खतरनाक रोजगार से प्रतिबंधित किया जाए. हालांकि कम उम्र के बच्चे पारिवारिक रूप से काम करते हैं हैं जैसे बीड़ी रोलिंग, चूड़ी बनाने में या हस्तशिल्प जैसे काम में.
बाल मजदूरी के लिए सजा (Legal action for Child labor)
बालश्रम कानून (Child labor act) के मुताबिक बच्चों को काम पर रखने वाले नियोक्ता के खिलाफ सजा और जुर्माने दोनों का प्रावधान है. बालश्रम के कानून के मुताबिक किसी भी 14 साल से कम उम्र के बच्चों को नियुक्त करने वाले व्यक्ति को दो साल तक की कैद की सजा और उस पर 50 हजार रुपये का अधिकतम जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया.
बाल श्रम करवाना एक तरह का अपराध है. इसे रोकने के लिए सरकार कई तरह के प्रयास कर रही है लेकिन कुछ मजबूरियों के चलते आज भी बच्चे काम करने पर मजबूर हैं. बाल श्रम रोकने के लिए बच्चों के माता-पिता और बच्चों को जागरूक किया जाए तभी ये रुक सकता है. उन्हें बताया जाए की बालश्रम से उन पर क्या असर पड़ता है. तब जाकर हो सकता है बाल श्रम की दर मे कमी आए.
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