किसी अपराधी को जब गिरफ्तार (arrest) किया जाता है तो वो कोर्ट में जमानत (bail) के लिए अर्जी लगता है. जमानत गिरफ्तार होने से पहले और बाद में दोनों स्थितियों में हो सकती है. लेकिन जमानत होगी या नहीं ये केस की गंभीरता और पुलिस की कार्यवाही पर निर्भर करेगा. कोई भी व्यक्ति चाहे तो गिरफ्तार होने से पहले अग्रिम जमानत (anticipatory bail) के लिए कोर्ट में अर्जी लगा सकता है और गिरफ्तार होने से बच सकता है.
अग्रिम जमानत क्या होती है? (What do you mean by anticipatory bail?)
अग्रिम जमानत (anticipatory bail) से पहले हमें ये जान लेना चाहिए की जमानत क्या होती है? (What is bail?) जमानत एक तरह का लिखित वचन होता है जिसमें आरोपी ये वचन लिखित में कोर्ट को देता है की वो दूसरे पक्ष को कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगा, उस शहर से बाहर कहीं नहीं जाएगा और कोर्ट की तारीख पर सही समय पर पेश होगा. यदि वो पेश नहीं हुआ तो उसकी जमानत को रद्द कर दिया जाएगा.
अग्रिम जमानत (anticipatory bail) वो जमानत होती है जो गिरफ्तारी से पहले करवा ली जाती है. कई बार कुछ लोगों को झूठे केस में फंसा दिया जाता है. ऐसे में फंसने वाले को पहले ही पता लग जाता है की कोई व्यक्ति उसके खिलाफ साजिश कर रहा है और उसे गिरफ्तार करवाना चाहता है. ऐसे में व्यक्ति अपने वकील के द्वारा कोर्ट से पहले ही अग्रिम जमानत करवा लेता है ताकि उसे जेल न जाना पड़े. लेकिन ध्यान रहें अग्रिम जमानत तभी मिल सकती है जब केस आपके पक्ष में हो और केस ज्यादा गंभीर न हो.
अग्रिम जमानत का जिक्र दंड प्रक्रिया संहिता 1973 में है. इसकी धारा 438 की उप चारा (1) में प्रावधान है की जब किसी शख्स के पास किसी गरी जमानती अपराध में गिरफ्तार होने का वैध कारण हो तो उस स्थिति में वह उच्च नयायलय या सत्र न्यायलय में अग्रिम जमानत के लिए अपील कर सकता है. अगर अदालत को उचित लगता है तो वह व्यक्ति को जमानत दे सकती है. अग्रिम जमानत देने का अधिकार सिर्फ सत्र न्यायलय और उच्च न्यायलय को है.
अग्रिम जमानत की शर्तें (anticipatory bail laws and rules)
अग्रिम जमानत लेने के लिए व्यक्ति को कोर्ट की कुछ शर्तों को मानना होता है.
– जब भी पुलिस उसे पूछताछ के लिए बुलाएगी उसे हाजिर होना पड़ेगा.
– अदालत की अनुमति के बिना वह शख्स कहीं बाहर नहीं जाएगा.
– वह व्यक्ति दूसरे पक्ष को कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगा. उन्हें गलत बयान देने के लिए नहीं धमकाएगा और सच बताने से नहीं रोकेगा.
अग्रिम जमानत देने का कारण (Reason for anticipatory bail)
अग्रिम जमानत देने के संदर्भ में विधि आयोग की रिपोर्ट कहती है की कई बार प्रभावशाली लोग खुद को बचाने के लिए अपने प्रतिद्वंदी को गलत मामलों में फंसा देते हैं. इसके अलावा किसी अपराध में दोषी व्यक्ति हमेशा फरार होने या जमानत का गलत वादा उठाने की कोशिश नहीं करता. इसलिए अग्रिम जमानत को मान्य किया गया है.
अग्रिम जमानत से दूसरे पक्ष को डर लगता है की सामने वाला जो दोषी है वो छूटने के बाद उन्हें नुकसान पहुंचाएगा. लेकिन कोर्ट उन्हें इस शर्त पर छोड़ती है की वो दूसरे पक्ष को कोई नुकसान न पहुंचाए. अगर उन्हें कोई नुकसान होता है तो कोर्ट जमानत लेने वाले पर कार्यवाही करती है.
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