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Chandrayaan 3 : चंद्रयान 3 मिशन की खास बातें, भारत के चंद्रयान मिशन

साल 2020 में भारत चांद की तरफ एक ओर कदम बढ़ाने वाला है जिसका नाम होगा चंद्रयान 3 (Chandrayaan 3). चंद्रयान 2 (Chandrayaan 2) को साल 2019 में भारत ने भेजा था ये काफी हद तक सफल रहा था बस इसका लैंडर ठीक से लैंडिंग नहीं करा पाया. इसी काम को फिर से करने के लिए इसरो इस साल चंद्रयान 3 भेजेगी.

चंद्रयान 3 की खास बात (Why Chandrayaan 3?)

चंद्रयान 3 पिछले वाले चंद्रयान की तरह उसी मकसद से भेजा जाएगा. चंद्रयान का उद्देश्य (Chandrayaan 3 prospective) है की वो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरे और वहां पर पानी की खोज करे. वैज्ञानिकों का मानना है की चांद पर बर्फ के रूप में पानी मौजूद है. इसलिए इसके दक्षिणी ध्रुव पर जाकर हम इस बात का पता लगा सकते हैं. हालांकि अभी तक कोई भी देश चांद के दक्षिणी ध्रुव पर जाकर आज तक लैंडिंग करने में सफल नहीं हो पाया है.

चंद्रयान 3 पिछले वाले चंद्रयान से थोड़ा अलग होगा. चंद्रयान 3 में लैंडर और रोवर तो होंगे लेकिन इसमें ओर्बिटर नहीं होगा. दरअसल ओर्बिटर को सितंबर में मिशन चंद्रयान 2 के जरिये सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया गया और ये अपना काम अच्छे से कर रहा है. इसलिए इस मिशन में ओर्बिटर को नहीं भेजा जाएगा.

चन्द्रयान 3 का बजट (Chandrayaan 3 Budget)

इसरो के मुताबिक चंद्रयान 3 की परियोजना की लागत करीब 250 करोड़ रुपये है. लेकिन इसकी लॉंचिंग की लागत 350 करोड़ रुपये है. इस तरह इसकी कुल लागत 600 करोड़ रुपये हो जाती है. इसरो के मुताबिक इस चंद्रयान की लागत पिछले वाले चंद्रयान से कम रह सकती है.

चन्द्र मिशन (Moon mission in world)

चंद्रयान 2 के रूप में सिर्फ भारत ही असफल हुआ ऐसा नहीं है. कई बड़े देश चंद पर जाने में असफल रहे हैं. अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के मुताबिक अभी तक 109 चन्द्र मिशन किए जा चुके हैं जिनमें से 61 सफल हुए और 48 असफल रहे. अमेरिका का खुद का पहला चन्द्र अभियान पाइनैयर 0 असफल रहा था. अमेरिका को सफलता छठे प्रयास में मिली थी.

चंद्रयान 1 (Chandrayaan 1)

चंद्रयान 1 चांद की तरफ भारत का पहला कदम था. ये एक मानवरहित यान था जिसे 22 अक्टूबर 2008 (Chandrayaan 1 launching date) को चांद पर भेजा गया था. ये 30 अगस्त 2009 तक सक्रिय रहा था. चंद्रयान को चांद पर पहुंचने में उस समय पांच दिन लगे थे. तथा उसकी कक्षा में स्थापित होने में 15 दिनों का समय लगा था. इस चन्द्रमिशन में चंद्रयान ओर्बिटर का मून इम्पैक्ट प्रोब 15 नवंबर 2008 को चांद की सतह पर उतरा था जिसके बाद भारत चांद पर जाने वाला चौथा देश बन गया. इस मिशन का मकसद चंद्रमा की सतह पर पानी के अंश और हीलियम की तलाश करना था.

चंद्रयान 2 (Chandrayaan 2)

चंद्रयान 2 चंद्रयान 1 का दूसरा भाग था. इसे 22 जुलाई 2019 (Chandrayaan 2 launching date) को प्रक्षेपित किया गया था. चंद्रयान 2 में लैंडर, रोवर और ओर्बिटर थे. इसमें ओर्बिटर को सफलतापूर्वक चंद्रमा की कक्षा में स्थापित किया गया था लेकिन लैंडिंग करते वक़्त इसरो का संपर्क लैंडर से टूट गया और ये मिशन अधूरा रह गया. इस मिशन की खास बात ये थी की इसमें लैंडर को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड कराया जा रहा था. और ये पहला ऐसा मिशन है जिसमें कोई देश चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग करा रहा था.

चंद्रयान 2 के असफल होने के बाद इसरो चंद्रयान 3 भेजने की तैयारी कर रहा है. संभवतः ये साल 2020 या 2021 (chandrayaan 3 launching date) में भेजा जा सके. चंद्रयान 3 में इसरो की कोशिश होगी की लैंडर को सफलतापूर्वक चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड कराया जा सके और वहां पर पानी और हीलियम की खोज की जा सके.

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