अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत ने कई ऐसे कीर्तिमान रचे हैं जिन्हें दुनिया सलाम करती है. जैसे मिशन मॉम (Mission MOM) जिसमें भारत का सबसे हल्का अंतरिक्ष यान सबसे कम खर्चें में मंगल पर गया और मंगल ग्रह की तस्वीरे भी ली. भारत चांद पर भी अपने अंतरिक्ष यान को भेज चुका है लेकिन अब आने वाले सालों में भारत इससे भी कुछ बड़ा करने की तैयारी में है जिसका नाम ‘गगनयान मिशन’ (Gaganyaan mission) है.
गगनयान मिशन क्या है? (What is gaganyaan mission?)
गगनयान मिशन की घोषण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2018 को की थी. इस मिशन का मकसद है कि अंतरिक्ष में मनुष्यों को भेजा जाए. इस दिशा में भारत का ये पहला कदम होगा. इस मिशन के लिए अलग से एक रॉकेट बनाया जा रहा है जिसमें तीन इंसानों (human space flight) को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा और वे वहां कुछ दिन रहकर वापस पृथ्वी पर आ जाएंगे. इस मिशन का बजट 10 हजार करोड़ रूपए है. केबिनेट ने इसे साल 2018 में अप्रूव किया था.
गगनयान क्या है? (What is gaganyaan?)
गगनयान वो यान है जिसमें भारत इंसानों को अंतरिक्ष में भेजेगा. ये एक भारतीय मानवयुक्त अंतरिक्ष(human space flight program) यान है. इसे तीन लोगों को ले जाने के लिए तैयार किया गया है और इसे एडवांस डॉकिंग केपेसिटीसेलैस किया गया है. ये 3.7 टन का एक अंतरिक्ष यान है. ये पृथ्वी के ऑरबिट से 400 किमी दूर 7 दिनों तक तीन लोगों के साथ चक्कर लगाया जाएगा.
गगनयान मिशन की खास बातें (Gaganyaan mission insight)
– इस प्रोजेक्ट के लिए जीएसएलवी एमके 3 रॉकेट का उपयोग किया जाएगा. ये इसरो का सबसे एडवांस और भारी-भरकम रॉकेट है.
– इस मिशन के लिए तीन व्योमोनॉट (vyomanauts) चुने गए हैं जिन्हें सबसे पहले दो से ढाई साल की ट्रेनिंग दी जाएगी ताकि वे अंतरिक्ष में कैसे रहना है, वहां का वातावरण कैसा होता है. इन सभी चीजों की ट्रेनिंग ले सकें.
– जो गगनयान में बैठकर अंतरिक्ष में जाएंगे. व्योमोनॉट भारत में उन लोगों को कहा जाता है जो अंतरिक्ष में सफर करने के लिए जाते हैं. ये अलग-अलग देश के अलग-अलग नाम होते हैं. तो ये अंतरिक्ष में जाएंगे.
– व्योमोनॉट गगयनान में पृथ्वी के 400 किमी ऊपर तक रॉकेट में जाएंगे. ऊपर जाते-जाते रॉकेट के कई भाग निकल जाते हैं और सिर्फ कैप्सूल बचते हैं. इन कैप्सूल में ये व्योमोनॉट 7 दिनों तक रहेंगे. इसके बाद ये कैप्सूल बंगाल की खाड़ी या अरब सागर में इनके कैप्सूल लैंड करेंगे. जहां से ट्रैक करके उन्हें वापस सही सलामत लाया जाएगा.
गगनयान का स्पेस सूट (Gaganyaan space suit)
व्योमोनॉट जो सूट पहनेंगे उसे इसरो द्वारा बनाया गया है. ये सूट ऑरेंज कलर का है और इसे विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर तिरूअंनंतपुरम द्वारा बनाया गया है. इस सूट में एक ऑक्सीजन सिलेंडर है जो व्योमोनॉट को 60 मिनट तक सांस लेने में मदद करेगा. यानि अगर व्योमोनॉट अंतरिक्ष में अंतरिक्ष यान से बाहर निकले तो उन्हें 60 मिनट तक ऑक्सीजन इस सिलेंडर से मिल पाएगा.
गगनयान के तीन मिशन (Gaganyaan trial mission)
इस मिशन को साल 2021 में लॉन्च किया जाएगा जिसमें तीन व्योमोनॉट को भेजा जाएगा लेकिन इससे पहले इसरो दो ट्रायल मिशन करेगा जिससे भेजे जाने वाले लोगों को कोई खतरा न हो. पहला मिशन दिसंबर 2020 में होगा जिसमें सिर्फ स्पेस शटल को ही भेजा जाएगा इसमें कोई भी व्योमोनॉट नहीं होंगे. दूसरा ट्रायल मिशन 2021 जुलाई में होगा ये भी बिना व्योमोनॉट के होगा. इसके बाद दिसंबर 2021 में फाइनल मिशन होगा. जिसमें तीन व्योमोनॉट को भेजा जाएगा.
गगनयान मिशन के लाभ (Gaganyaan mission benefit)
इस मिशन से सीधे तौर पर भारत को ज़्यादा कोई लाभ नहीं होगा. लेकिन इस मिशन से भविष्य में भारत को बहुत लाभ होगा.
– इससे भारत अंतरिक्ष में मानव को भेजने वाला चौथा देश बन जाएगा.
– इसके साथ ही भारत के लोगों के लिए ये फक्र की बात होगी कि वे अब अंतरिक्ष में जा सकेंगे और वहां नई-नई खोज कर सकेंगे.
– इन सभी के अलावा जो बच्चे साइंटिस्ट बनना चाहते हैं उन्हें काफी प्रेरणा मिलेगी और वे आगे चलकर साइंस से जुड़ेंगे.
अगर गगनयान मिशन सफल होता है तो भारत दुनिया का चौथा देश बन जाएगा जो मानव को अंतरिक्ष में भेजने में सक्षम है. इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन इस तरह के मिशन में सफल हो चुके हैं. स्पेस जाने वाला सबसे पहला व्यक्ति यूरी गागरिन हैं जो रूस से थे. भारत के सबसे पहले व्यक्ति राकेश शर्मा थे जो रूस के द्वारा अंतरिक्ष में भेजे गए थे. अब भारत खुद भारतीयों को अंतरिक्ष में भेजने की तैयारी कर रहा है. यही गगनयान मिशन है.
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