भाई-बहन के प्रेम के प्रतीक स्वरूप भारत में हर साल रक्षाबंधन (raksha bandhan) मनाया जाता है लेकिन दिवाली (diwali) के त्योहार के दौरान भी भाई-बहन के स्नेह के प्रतीक के रूप में दिवाली के दूसरे दिन भाई दूज (bhai dooj) का त्योहार मनाया जाता है. कार्तिक मास की दूज को भाई दूज कहा जाता है. इस दिन बहनें अपने भाइयों को घर पर आमंत्रित करती हैं और भाई की लंबी उम्र के लिए उनकी पूजा करती हैं और भगवान से प्रार्थना करती हैं. भाई दूज का त्योहार मनाने से पहले आपको ये जान लेना चाहिए की भाई दूज क्यों मनाई जाती है? भाई दूज का क्या महत्व है? भाई दूज की पूजा कैसे की जाती है? भाई दूज की कथा क्या है?
भाई दूज क्यों मनाई जाती है?
कार्तिक मास की शुक्ल द्वितीय को भाई दूज मनाई (bhai dooj celebration) जाती है. कहा जाता है की भाई दूज के दिन भाई की पूजा करने से उस पर आने वाले संकट टल जाते हैं. इस दिन पूजा करने से यमराज प्रसन्न होते हैं और बहन द्वारा भाई की पूजा करने पर उस पर आने वाले हर संकट को टालते हैं.
भाई दूज की कथा
भाई दूज की कथा (bhai dooj story in hindi) यमराज तथा उनकी बहन यमुना से जुड़ी है. पौराणिक कथा के अनुसार भगवान सूर्य की पत्नी छाया थी. इनके दो बच्चे पुत्र यमराज और पुत्री यमुना थी. यमुना अपने भाई यमराज से बेहद स्नेह करती थी और उनसे बार-बार निवेदन करती थी की वो अपने इष्ट मित्र सहित उनके घर भोजन करे लेकिन यमराज अपने कामों में व्यस्त होने के कारण उनकी बातों को बार-बार टालते थे. एक बार कार्तिक शुक्ल के दूसरे दिन यमुना ने यमराज को भोजन करने का निमंत्रण देकर वचनबद्ध कर दिया.
इसके बाद यमराज ने सोचा की मैं तो प्राणों को हर्णे वाला हूं, कोई भी मुझे अपने घर नहीं बुलाना चाहता है. मेरी बहन मुझे जिस स्नेह और प्यार से बुला रही है मुझे उसका पालन जरूर करना चाहिए. यही मेरा धर्म है. यमराज कार्तिक मास की शुक्ल द्वितीय को अपनी बहन यमुना के घर गए. यमराज को देखकर यमुना की खुसी का ठिकाना नहीं रहा. यमराज के घर आने पर यमुना ने उन्हें भोजन कराया और आतिथ्य सेवा की. यमराज इन सभी चीजों से बेहद प्रसन्न हुए और बहन यमुना से वर मांगने के लिए कहा.
बहन यमुना ने अपने भाई से कहा की मुझे और कुछ नहीं चाहिए बस आप हर साल इसी दिन मेरे घर आयें ताकि मैं आपका आदर सहित तिलक कर पायूं. यमराज ने तथास्तु कहा और वहाँ से चले गए. इसके बाद से हर साल दिवाली के दूसरे दिन यमराज अपनी बहाने के घर तिलक करवाने के लिए आने लगे. तभी से भाई-दूज का ये पावन त्योहार मनाया जाता है.
भाई दूज पूजा
भाई दूज की पूजा (bhai dooj puja vidhi) वैसे आप घर पर भी कर सकते हैं लेकिन जीवन में एक बार भाई और बहन को साथ मिलकर दिवाली के दूसरे दिन यमुना नदी के किनारे जाकर भाई दूज की पूजा जरूर करनी चाहिए. इससे यमराज भाई पर आने वाले संकट को टालते हैं.
– भाई दूज के दिन बहनें सुबह उठकर स्नान करती हैं और स्वच्छ वस्त्र पहनती हैं.
– इसके बाद घर पोर ऐपन बनाकर उनकी पूजा की जाती है.
– कुछ बहाने ऐपन के रूप में सात भाइयों की आकृति बनाकर उनकी पूजा करती है तथा उनकी खुशहाली के लिए प्रार्थना करती हैं.
– इनकी पूजा के बाद बहाने अपने भाइयों का तिलक करती हैं और उनकी पूजा करती हैं.
– इसके बाद ही बहने भोजन करती हैं.
दिवाली के बाद भाई दूज की पूजा जरूर करनी चाहिए. इस दिन बहनों को अपने घर पर भाइयों को भोजन के लिए आमंत्रित करना चाहिए और उनकी पूजा करनी चाहिए जिससे उनकी लंबी उम्र बनी रहे और विपत्ति उन पर न आए.
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